बंगाल की बाढ़ से कैसे शुरू हुई केंद्र-राज्य में लड़ाई? समझिए कहानी
पश्चिम बंगाल की बाढ़ ने एक बार फिर केंद्र और राज्य सरकार को आमने-सामने लाकर खड़ा कर दिया है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बाढ़ को मेन-मेड डिजास्टर बताया है। क्या है पूरा मामला? समझते हैं।

प्रतीकात्मक तस्वीर। (AI Generated Image)
पश्चिम बंगाल में भारी बारिश और बाढ़ से तबाही जारी है। बाढ़ और बारिश के कारण बंगाल में अब तक दो दर्जन से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं। अकेले दार्जिलिंग में ही 23 मौतें हो चुकी हैं। इनमें कई बच्चे शामिल हैं। दार्जिलिंग में अचानक आई बाढ़ के कारण लैंडस्लाइड की घटनाएं भी सामने आई हैं। इनमें कई घर बह गए और सड़कों पर पानी भर गया। सैकड़ों की संख्या में पर्यटक भी दार्जिलिंग में फंसे हुए हैं।
अधिकारियों ने बताया कि सरसली, जसबीरगांव, मिरिक बस्ती, धार गांव (मेची), नागराकाटा और मिरिक झील क्षेत्र से लोगों के मारे जाने की खबर है। दार्जिलिंग के पास जलपाईगुड़ी जिले के नागराकाटा में रेस्क्यू टीम ने लैंडस्लाइड के मलबे से 5 शव बरामद किए हैं। मौतों की संख्या बढ़ने की आशंका है, क्योंकि अधिकारियों का कहना है कि कम से कम 35 जगहों पर लैंडस्लाइड हुआ है।
इस बीच सियासत भी तेज हो गई है। बाढ़ की वजह से एक बार फिर राज्य की तृणमूल कांग्रेस की सरकार और केंद्र की बीजेपी सरकार के बीच टकराव हो गया है। टीएमसी ने दामोदर वैली कॉर्पोरेशन (DVC) पर निशाना साधा है। टीएमसी ने DVC पर जानबूझकर पानी छोड़कर 'मेन मेड डिजास्टर' पैदा करने का आरोप लगाया है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दावा किया है कि बाहरी राज्यों से नदियों में पानी छोड़ा गया, जिस कारण बंगाल में बाढ़ आई।
हालांकि, DVC ने इन आरोपों को खारिज किया है। बताया जा रहा है कि सोमवार को लक्ष्मी पूजा के बाद कोलकाता में DVC दफ्तर का घेराव करने जा रही है, ताकि विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी को घेरने का मौका मिल सके।
यह भी पढ़ें-- कटक में कर्फ्यू, इंटरनेट बैन, चप्पे-चप्पे पर पुलिस, आखिर हुआ क्या है?
यह DVC क्या है?
पश्चिम बंगाल और झारखंड में फैले दामोदर नदी क्षेत्र में बने डैम और हाइड्रो और थर्मल पावर प्लांट का काम DVC ही संभालता है। इसे 1948 में बनाया गया था। DVC में एक बोर्ड है, जिसमें 7 सदस्य होते हैं। इसमें अध्यक्ष और 4 सदस्य होते हैं। बाकी तीन सदस्यों में एक-एक केंद्र, पश्चिम बंगाल और झारखंड सरकार का प्रतिनिधि होता है।
टीएमसी ने क्या आरोप लगाए हैं?
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का आरोप है कि DVC ने जानबूझकर 1.50 लाख क्यूसेक से ज्यादा पानी छोड़ा था, जिस कारण बंगाल में बाढ़ आई।
उन्होंने X पर लिखा था, 'DVC ने जानबूझकर मैथन और पंचेत बांधों से 1.50 लाख क्यूसेक से ज्यादा पानी छोड़ा है, ताकि त्योहारों के समय पश्चिम बंगाल में बाढ़ लाई जाए। यह हमें आपदा में डालने और लाखों लोगों को पूजा के दौरान दुख पहुंचाने की सुनियोजित साजिश है। यह शर्मनाक, असहनीय और अस्वीकार्य है, जिसका हम विरोध करते हैं।'
The latest update on the unilateral and wilful release of water by DVC is that they have by the evening today released more than 150,000 cusecs of water from Maithon and Panchet dams etc to flood our West Bengal during festival times. This is a deliberate ploy to unleash disaster…
— Mamata Banerjee (@MamataOfficial) October 3, 2025
इससे पहले 3 अक्टूबर को उन्होंने X पर लिखा था, 'विजय दशमी पर भी पश्चिम बंगाल के लोगों को शांतिपूर्वक त्योहार मनाने देने के बजाय DVC ने बिना बताए 65 हजार क्यूसेक पानी छोड़ दिया। यह लापरवाही हमें त्योहारों के दौरान दुख पहुंचाने की कोशिश से कम नहीं है।' उन्होने आरोप लगाया था कि यह प्राकृतिक आपदा नहीं है, बल्कि DVC की आपदा है।
Bijoya Dashami marks the close of Durga Puja — a time for joy, cheer and renewed hope. Yet instead of allowing the people of West Bengal to conclude the festival in peace, the DVC released 65,000 cusecs of water without any prior notice to the State. This reckless act is nothing…
— Mamata Banerjee (@MamataOfficial) October 3, 2025
वहीं, ममता बनर्जी के भतीजे और टीएमसी के महासचिव अभिषेक बनर्जी ने कहा था, 'यह दुख की बात है कि जब बंगाल के लोग अपने त्योहार को खुशी के साथ मनाने की कोशिश कर रहे थे, तब बंगाल-विरोधी जमींदारों ने DVC को हथियार बनाकर मैथन और पंचेत बांधों से 1.50 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा, जिसका मकसद बंगाल को नुकसान पहुंचाने के लिए मानव-निर्मित बाढ़ पैदा करना था।'
उन्होंने कहा था कि जो लोग सोचते हैं कि वे बंगाल की भावना को डुबो सकते हैं, वे बहुत गलत हैं। उन्होंने कहा था, 'मां दुर्गा के आशीर्वाद से 2026 में बंगाल के लोग नहीं, बल्कि वे खुद एक विनाश का सामना करेंगे।'
यह भी पढ़ें-- दार्जिलिंग में लैंडस्लाइड से 23 मौतें, रेस्क्यू के लिए आई सेना
टीएमसी और DVC में कैसे बढ़ा विवाद?
यह पहली बार नहीं है जब ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल में बाढ़ के लिए DVC को निशाना बनाया है। पिछले हफ्ते जब भारी बारिश के बाद कोलकाता में जलभराव हुआ, तो उन्होंने कहा था, 'प्रकृति हमारे हाथ में नहीं है। कोलकाता पोर्ट, फरक्का बैराज, डीवीसी का मैथन में पिछले 20 सालों से इनका ड्रेजिंग नहीं हुआ है। जब भी बिहार या उत्तर प्रदेश में बारिश होती है, पानी बंगाल में आता है। हमें सब कुछ खुद ही संभालना पड़ता है।'
अगस्त में भी उन्होंने दक्षिण बंगाल के कुछ हिस्सों में बाढ़ के लिए DVC को जिम्मेदार ठहराया था। उन्होंने आरोप लगाया था कि 2024 की तुलना में DVC ने 2025 में 11 गुना और 2023 की तुलना में 30 गुना ज्यादा पानी छोड़ा है।
वहीं, DVC का कहना था कि दामोदर घाटी में ज्यादा बारिश के कारण पानी छोड़ना पड़ा। एक अधिकारी ने दावा किया था कि पानी छोड़ने से पहले राज्य सरकार को बताया गया था।
पिछले साल भी यह मामला तब विवादों में आ गया था जब 2000 बैच के आईएएस अफसर शांतनु बसु ने DVC बोर्ड के सदस्य के रूप में इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने अपने इस्तीफे में लिखा था, 'अनियंत्रित तरीके से पानी छोड़ने कारण लोगों को भारी नुकसान हुआ है, इसलिए मैं अपना इस्तीफा देता हूं।'
केंद्र सरकार का क्या है कहना?
ममता बनर्जी और टीएमसी सरकार लगातार बाढ़ के लिए DVC पर आरोप लगाती रही हैं। हालांकि, DVC इससे इनकार करता रहा है।
वहीं, केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल ने शनिवार को बताया मैथन से 42 हजार और पंचेत से 27,500 क्यूसेक यानी कुल 70 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा गया है, न कि 1.50 लाख क्यूसेक जैसा मुख्यमंत्री दावा कर रहीं हैं।
उन्होंने बताया कि 'पानी छोड़ने से पहले पश्चिम बंगाल सरकार से विचार और सुझाव मांगे गए थे लेकिन उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं आया था।'
और पढ़ें
Copyright ©️ TIF MULTIMEDIA PRIVATE LIMITED | All Rights Reserved | Developed By TIF Technologies
CONTACT US | PRIVACY POLICY | TERMS OF USE | Sitemap