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मोगा स्कैंडल: झूठे केस में फंसाने वाले पुलिसकर्मियों को 18 साल बाद सजा

18 साल पुराने मोगा सेक्स स्कैंडल मामले में मोहाली की CBI कोर्ट ने 4 पुलिसकर्मियों को सजा सुनाई है। यह मामला जून 2007 में सामने आया था।

punjab police

प्रतीकात्मक तस्वीर। (AI Generated Image)

पंजाब के 18 साल पुराने सेक्स स्कैंडल मामले में मोहाली की CBI कोर्ट ने 4 पुलिसकर्मियों को सजा सुनाई है। कोर्ट ने मोगा के पूर्व एसएसपी देविंदर सिंह गरचा और तत्कालीन एसपी परमदीप सिंह संधू को 5-5 साल की जेल की सजा सुनाई है। दोनों दो 2-2 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। 


इनके अलावा, CBI कोर्ट ने मोगा सिटी पुलिस थाने के पूर्व SHO राकेश कुमार को 8 साल जेल और 3 लाख के जुर्माने की सजा दी है। जबकि, पूर्व इंस्पेक्टर अमरजीत सिंह को 6.5 साल की जेल की सजा सुनाई है। साथ ही 2.5 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है।


CBI कोर्ट के जज राकेश गुप्ता ने चारों को सजा सुनाई है। इन चारों को कोर्ट ने 29 मार्च को मोगा सेक्स स्कैंडल मामले में दोषी ठहराया था। 

 

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2007 में सामने आया था मामला

यह मामला जून 2007 में तब सामने आया था, जब मोगा के रहने वाली रंजीत सिंह ने शिकायत की थी कि पूर्व SHO अमरजीत सिंह ने उनसे पैसे मांगे हैं और न देने पर रेप के झूठ केस में फंसाने की धमकी दे रहे हैं।


जांच के दौरान अमरजीत सिंह समेत दो महिलाओं- मनजीत कौर और एक नाबालिग लड़की के खिलाफ केस दर्ज किया गया था। बाद में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के आदेश पर इस केस की जांच CBI को सौंपी गई थी। इस मामले में CBI ने दिसंबर 2007 में FIR दर्ज की थी।


मामले में CBI ने देविंदर सिंह गरचा, परमदीप सिंह संधू, रमन कुमार, अमरजीत सिंह, बरजिंदर सिंह और अकाली दल के पूर्व नेता के बेटे सुखराज सिंह को आरोपी बनाया था।

कैसे करते थे ब्लैकमेलिंग?

जानकारी के मुताबिक, साल 2007 में मोगा सिटी पुलिस थाने में गांव की एक लड़की के शिकायत के आधार पर गैंगरेप का केस दर्ज किया गया था। पुलिस अफसरों ने इस केस की जांच के आड़ में ब्लैकमेलिंग शुरू कर दी थी। पुलिस वालों ने लोगों को झूठे रेप केस में फंसाने की धमकी देकर उगाही करने शुरू कर दी।


इसी दौरान रंजीत सिंह नाम के शख्स ने फोन रिकॉर्डिंग कर ली और पूर्व SHO अमरजीत सिंह की शिकायत कर दी। रंजीत सिंह ने इसकी शिकायत ADGP से कर दी। फिर जैसे-जैसे इस मामले में कारोबारियों और राजनेताओं को फंसाने की बात सामने आने लगीं तो मामला चर्चा में आ गया।


नवंबर 2007 में हाईकोर्ट ने इस मामले का संज्ञान लिया। इस केस से जुड़ी सारी रिपोर्ट मांगी गई। इसके बाद हाईकोर्ट ने इस केस की जांच CBI को सौंप दी। 

 

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मामले में कब-कब क्या हुआ?

  • जून 2007: रंजीत सिंह नाम के शख्स ने ब्लैकमेलिंग करने की शिकायत की। आरोप लगाया कि पुलिस वाले झूठे रेप में फंसाने की धमकी देकर पैसे मांग रहे हैं।
  • नवंबर-दिसंबर 2007: नवंबर में पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने मामले का संज्ञान लिया। दिसंबर में हाईकोर्ट ने केस की जांच CBI को सौंप दी।
  • फरवरी 2008: इस मामले में CBI ने मोगा के तत्कालीन SSP देविंदर सिंह गरचा और रुपनगर के SP परमजीत सिंह को गिरफ्तार कर लिया।
  • फरवरी 2012: पटियाला की CBI कोर्ट ने 9 लोगों के खिलाफ आरोप तय किए। इनमें 4 पुलिसकर्मी और बाकी दूसरे लोग शामिल थे।
  • सितंबर 2018: सरकारी गवाह बनी मनजीत कौर और उसके पति की फिरोजपुर के जीरा में गोली मारकर हत्या कर दी गई।
  • मार्च 2025: मोहाली की CBI कोर्ट ने 29 मार्च को देविंदर सिंह गरचा, परमदीप सिंह संधू, राकेश कुमार और अमरजीत सिंह को दोषी ठहराया। बरजिंदर सिंह और सुखराज को बरी कर दिया गया।
  • अप्रैल 2025: CBI कोर्ट ने 7 अप्रैल को चारों पूर्व पुलिसकर्मियों को सजा सुनाई। चारों को 5 से 8 साल तक जेल की सजा सुनाई है। साथ ही 2 से 2.5 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया है।

सरकारी गवाह बन गई थी मनजीत कौर

इस मामले में CBI ने पहले मनजीत कौर नाम की महिला को भी आरोपी बनाया था। बाद में मनजीत कौर सरकारी गवाह बन गई थी। इस बीच सितंबर 2018 में मनजीत कौर और उसके पति की गोली मारकर हत्या कर दी गई।

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