DGP पर आरोप, सरकार की खिलाफत, क्यों विवादों में हैं IPS संजीव गांधी?
हिमाचल प्रदेश काडर के IPS अधिकारी संजीव गांधी प्रदेश पुलिस के मुखिया यानी DGP पर ही आरोप लगा रहे हैं। पढ़िए पूरा मामला क्या है और वह विवादों में क्यों हैं?

आपस में ही भिड़ गए हिमाचल के अधिकारी, Photo Credit: Khabargaon
भारतीय पुलिस सेवा (IPS) के अधिकारी संजीव कुमार गांधी ने हिमाचल प्रदेश में खलबली मचा दी है। शिमला के पुलिस अधीक्षक संजीव कुमार गांधी पिछले 10 दिन में दो बार प्रेस कॉन्फ्रेंस करके पुलिस महानिदेशक (DGP) तक पर आरोप लगा चुके हैं। संजीव गांधी का कहना है कि 2023 में हुए एक बम धमाके के मामले में उन्हें फंसाने की कोशिश की गई। रोचक बात है कि संजीव गांधी ने डीजीपी अतुल वर्मा के खिलाफ विनय नेगा केस में आरोप लगाए और अतुल वर्मा बिना फेयरवेल ही रिटायर हो गए।
संजीव गांधी की इस तरह की बयानबाजी ने पुलिस महकमे के साथ-साथ राजनीतिक गलियारे में भी खलबली मचा दी है। पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान में विपक्ष के नेता जयराम ठाकुर ने आरोप लगाए हैं कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने संजीव गांधी को खुली छूट दे रखी है और संजीव गांधी ही हिमाचल प्रदेश की सरकार चला रहे हैं। हालांकि, 24 मई को संजीव गांधी की पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद ही उन्हें छुट्टी पर भेज दिया गया था।
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संजीव गांधी ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में अधिकारियों के नाम के साथ-साथ पूर्व कैबिनेट मंत्री सुधीर शर्मा का नाम भी लिया था। अपना नाम उछाले जाने से नाराज सुधीर शर्मा ने विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप पठानिया को प्रस्ताव दिया है। यह प्रस्ताव विशेषाधिकार हनन का है जो कि संजीव गांधी के खिलाफ दिया गया है। सुधीर शर्मा का कहना है कि संजीव गांधी के बयान से उनके सम्मान को ठेस पहुंची है और यह एक जनप्रतिनिधि के काम में सीधा हस्तक्षेप है। अब देखना यह है कि विधानसभा अध्यक्ष संजीव गांधी को सदन में बुलाकर स्पष्टीकरण देने को कहते हैं या नहीं।
25 मई की प्रेस कॉन्फ्रेंस में संजीव गांधी ने क्या कहा था?
संजीव गांधी ने डीजीपी को आड़े हाथ लेते हुए कहा था:-
हमने पूरी ईमानदारी और निष्ठा के साथ जांच की थी। DGP की ओर से पेश की गई स्टेटस रिपोर्ट और एफिडेविट बहुत गैरजिम्मेदाराना था। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि पुलिस मुख्यालय में तैनात कई सीनियर अधिकारी मेरे खिलाफ द्वेष रखते हैं। मैं कोर्ट जाऊंगा और यह उजागर करूंगा कि कैसे अतुल वर्मा ने गुप्त इरादे से यह रिपोर्ट दाखिल की।
इसी प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान संजीव गांधी ने आरोप लगाए कि उन पर कई बार दबाव बनाया गया कि जांच प्रभावित की जाए। उन्होंने यह भी कहा कि रामकृष्ण मिशन केस की जांच के दौरान उनसे कहा गया कि स्वामी तन्महिमानंद से पूछताछ न की जाए। संजीव गांधी ने नाम लेकर कहा कि चीफ सेक्रेटरी ने उनसे कहा था कि मामले की जांच वैसे न करें, जैसे की जा रही है।
क्या बोले थे अतुल वर्मा?
संजीव गांधी की प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद तत्कालीन डीजीपी अतुल वर्मा ने भी इस पर जवाब दिया। अतुल वर्मा ने हिमाचल प्रदेश के अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) को लिखी चिट्ठी में लिखा, 'शिमला के एसपी ने 23 मई को की गई प्रेस कॉन्फ्रेंस में हिमाचल प्रदेश सरकार के चीफ सेक्रेटरी और राज्य में एक संवैधानिक प्राधिकरण के खिलाफ निराधार और गलत आरोप लगाए हैं। उन्होंने भारत सरकार के राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड के बारे में असत्यापित और संभावित रूप से पक्षपातपूर्ण बयान भी दिए जो कि वर्तमान में जांचरत है। इन चीजों से केंद्र सरकार और राज्य सरकार के संबंधों तनाव या शर्मिंदगी पैदा होने की आशंका है।'
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विवादों में क्यों आए संजीव गांधी?
दरअसल, विमल नेगी केस में हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने सीबीआई जांच का आदेश दिया था। संजीव गांधी ने हिमाचल प्रदेश सरकार की सहमति के बगैर इस फैसले को हाई कोर्ट की डबल बेंच में चुनौती दे दी। हालांकि, 30 मई को उन्होंने अपनी याचिका वापस भी ले ली। यह अपील सरकार की ओर से राज्य के एडवोकेट जनरल ही दायर कर सकते थे, एसपी नहीं। वहीं, हिमाचल प्रदेश के सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सीबीआई जांच का स्वागत किया था और इसे चुनौती देने से इनकार किया था। खुद पर लगे आरोपों पर संजीव गांधी ने कहा था कि वह इस तरह अपमान सहने के बजाय इस्तीफा देना पसंद करेंगे।
इससे पहले, विनय नेगी केस की जांच के लिए डीजीपी ने एक एसआईटी बनाई गई थी। यह तब हुआ था जब तक विनय नेगी की लाश नहीं मिली थी। लाश मिलने के बाद एसपी संजीव गांधी के निर्देश पर बनी एक टीम ने जांच की और कोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल की गई। DGP रहे अतुल वर्मा ने इस रिपोर्ट पर सवाल उठाए थे। इसी के बाद संजीव गांधी भड़क गए और अतुल वर्मा पर ही जमकर आरोप लगा दिए।
विमल नेगी केस क्या है?
हिमाचल में बिजली बनाने और बेचने वाली कंपनी हिमाचल प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (HPPCL) में महाप्रबंधक और चीफ इंजीनियर के पद पर तैनात विमल नेगी पहले तो गायब हुए फिर उनकी लाश मिली। वह गायब हुए थे 10 मई को उनका शव 18 मार्च को मिला। उनका शव बिलासपुर जिले की एक झील में मिला था।
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इस केस में विमल नेगी की पत्नी ने आरोप लगाए थे कि विमल के सीनियर अधिकारी उनसे दुर्व्यवहार कर रहे थे। यही वजह रही कि विमल नेगी का शव HPPCL ऑफिस के बाहर रखकर विरोध प्रदर्शन भी किया गया था। विमल नेगी की पत्नी किरण नेगी ने सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू को 23 मई को एक चिट्ठी लिखी थी। इस चिट्ठी में लिखा था, 'मेरे संज्ञान में आया है कि निर्देश के बावजूद राज्य सरकार ने यह केस CBI को सौंपने के लिए कदम नहीं उठाए हैं। इस तरह की देरी न केवल कानून के खिलाफ है बल्कि यह कोर्ट की अवमानना भी है।ऐ'
क्या है ब्लास्ट वाला मामला?
संजीव कुमार गांधी ने सोमवार को आरोप लगाए कि पुलिस मुख्यालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने 2023 में एक रेस्तरां में हुए धमाके के मामले में उन्हें फंसाने के लिए केंद्रीय एजेंसियों को गुमराह किया कि घटनास्थल से RDX के सैंपल मिले थे। DGP ऑफिस पर षड्यंत्र रचने का आरोप लगाते हुए संजीव गांधी ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि शिमला में एक रेस्तरां में गैस लीक की वजह से हुए विस्फोट को आतंकवादी कृत्य के रूप में पेश करने का प्रयास किया गया। दरअसल, शिमला में मॉल रोड के पास मिडल बाजार में 18 जुलाई 2023 की शाम को एक भोजनालय में हुए धमाके में दो लोगों की मौत हो गई थी जबकि 10 से अधिक लोग घायल हो गए थे।
यह दूसरी बार है जब संजीव गांधी ने राज्य के शीर्ष अधिकारियों पर आरोप लगाए हैं। उन्होंने 24 मई को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में पूर्व DGP संजय कुंडू और अतुल वर्मा के साथ-साथ मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना पर भी गंभीर आरोप लगाए थे। इसमें उन्होंने तत्कालीन डीजीपी अतुल वर्मा पर सार्वजनिक रूप से निशाना साधते हुए कहा था कि उन्होंने ‘HPPCL’ कर्मचारी विमल नेगी की मौत की जांच के संबंध में SIT में भ्रामक रिपोर्ट दाखिल की थी। डीजीपी अतुल वर्मा ने बाद में अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) ओंकार शर्मा को एक पत्र लिखकर संजीव गांधी को सस्पेंड करने की मांग भी कर डाली थी।
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हालांकि, कुछ दिनों बाद ही संजीव गांधी, अतुल वर्मा और ओंकार शर्मा को छुट्टी पर भेज दिया गया था। संजीव गांधी ने सोमवार को कहा कि फॉरेंसिक विशेषज्ञों और राज्य सीआईडी ने साबित कर दिया है कि शिमला रेस्तरां मामला गैस लीक का था। उन्होंने कहा कि फॉरेंसिक विशेषज्ञों के अनुसार, 10 किलोग्राम गैस लीक होने के कारण विस्फोट हुआ था। संजीव गांधी ने कहा कि घटना के पांच दिन बाद राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) को बुलाया गया जिसने शिमला पुलिस के साथ कोई समन्वय किए बिना तीन दिन तक घटनास्थल का निरीक्षण किया था।
उन्होंने कहा कि घटनास्थल से लिए गए सैंपल को गवाहों के सामने सील नहीं किया गया था। एसपी ने दावा किया कि बाद में एनएसजी ने रिपोर्ट दर्ज की कि यह एक ‘आतंकवादी घटना’ थी जिसमें IED और RDX का इस्तेमाल किया गया था। संजीव गांधी ने कहा कि इसके बाद तत्कालीन डीजीपी ने मुख्य सचिव को पत्र भेजकर कहा कि शिमला पुलिस की ओर से लापरवाही बरती गई है। उन्होंने दावा किया कि उनके खिलाफ झूठी शिकायत दर्ज कराई गई है। संजीव गांधी ने कहा कि सीआईडी ने भी घटना की जांच पूरी कर ली है और पाया है कि विस्फोट गैस रिसाव के कारण हुआ था। उन्होंने कहा कि इसमें आरडीएक्स या आईईडी का इस्तेमाल नहीं किया गया था।
विपक्ष ने लगाए गंभीर आरोप
इस मामले पर 1 जून को विपक्ष के नेता और पूर्व सीएम जयराम ठाकुर ने भी प्रेस कॉन्फ्रेंस की। उन्होंने संजीव गांधी का जिक्र करते हुए कहा, 'आखिर पुलिस का यह अधिकारी इतनी रुचि क्यों ले रहा है? यह बहुत बड़ा सवाल है। उनके आचरण से लग रहा है कि वह खुद को डीजीपी से भी ऊपर मानते हैं, जो न तो सरकार की सुनते हैं और न ही हाई कोर्ट की। मुझे लगता है कि इस एसपी (संजीव गांधी) को मुख्यमंत्री का ही आशीर्वाद है जिनके कहने पर यह ऐसा कर रहा है। मुख्यमंत्री मीडिया में आकर झूठ बोल रहे हैं। ऐसा लग रहा है कि यह व्यक्ति (संजीव गांधी) ही सरकार चला रहा है। एक दूसरे मामले में हाई कोर्ट ने इन्हें झूठा एफिडेविट देने के लिए लताड़ लगाई है। यह दिखाता है कि खुद को ईमानदारी का सर्टिफिकेट देने वाला यह अधिकारी कैसे बेलगाम है।'
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कौन हैं संजीव गांधी?
हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले की अर्की तहसील के एक गांव में जन्मे संजीव कुमार गांधी प्रदेश के चर्चित अधिकारियों में गिने जाते हैं। साल 2011 में UPSC की परीक्षा पास करने वाले संजीव गांधी हिमाचल काडर के IPS अधिकारी हैं। शिमला का एसपी बनने से पहले वह कई अन्य जिलों के कप्तान की भूमिका भी निभा चुके हैं। कांगड़ा में अवैध खनन के खिलाफ कार्रवाई को लेकर भी वह खूब चर्चा में रहे थे।
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