इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) को प्रारंभिक परीक्षा की मेरिट लिस्ट दोबारा तैयार करने का आदेश दिया। गुरुवार को हाई कोर्ट ने कहा कि जब तक नई मेरिट लिस्ट नहीं बन जाती, तब तक अलग-अलग पदों के लिए होने वाली मुख्य परीक्षा को स्थगित किया जाए। यह फैसला OBC उम्मीदवारों के साथ भेदभाव के मुद्दे पर आया है। इन उम्मीदवारों को प्रारंभिक परीक्षा में सामान्य श्रेणी में शामिल नहीं किया गया था। उनके अंक सामान्य श्रेणी के उम्मीदवारों से ज्यादा थे।
जस्टिस अजित कुमार ने कहा कि अगर OBC या अन्य आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवार सामान्य श्रेणी के बराबर या उससे ज्यादा अंक लाते हैं तो उन्हें अनारक्षित श्रेणी में शामिल करना होगा। कोर्ट ने माना कि प्रारंभिक परीक्षा सिर्फ उम्मीदवारों को छांटने के लिए होती है और इसमें आरक्षित श्रेणी के योग्य उम्मीदवारों को सामान्य श्रेणी से बाहर नहीं किया जा सकता।
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क्या है पूरा मामला?
यह मामला 609 पदों के लिए भर्ती से जुड़ा है। इन पदों में सिविल और मैकेनिकल असिस्टेंट इंजीनियर, जिला उद्यान अधिकारी, खाद्य प्रसंस्करण अधिकारी और वरिष्ठ तकनीकी सहायक जैसे पद शामिल हैं। याचिकाकर्ताओं ने शिकायत की थी कि UPPSC ने 609 पदों के लिए सिर्फ 7358 उम्मीदवारों को मुख्य परीक्षा के लिए चुना। दावा किया गया कि यह विज्ञापन के नियमों के खिलाफ है।
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क्या कहते हैं नियम?
नियम के मुताबिक, 1:15 के अनुपात में उम्मीदवारों को चुना जाना चाहिए था। कोर्ट ने पाया कि अनारक्षित श्रेणी में कम उम्मीदवारों को चुना गया, जबकि अन्य श्रेणियों में 1:15 से ज्यादा उम्मीदवारों को शामिल किया गया। कोर्ट ने यह भी साफ किया कि आयु में छूट और आवेदन शुल्क में रियायत सिर्फ वैधानिक सुविधाएं हैं, न कि कोई विशेष छूट।
कोर्ट ने क्यों रोक लगाई है?
कोर्ट ने कहा कि अगर कोई आरक्षित श्रेणी का उम्मीदवार बिना किसी अतिरिक्त छूट के सामान्य श्रेणी के कट-ऑफ नंबर हासिल करता है तो उसे सामान्य श्रेणी में शामिल करना होगा। कोर्ट ने UPPSC को निर्देश दिया कि वह प्रारंभिक परीक्षा की मेरिट लिस्ट दोबारा बनाए। रविवार को होने वाली मुख्य परीक्षा को तब तक टाल दे, जब तक नई लिस्ट तैयार न हो जाए।
क्या है पूरा केस?
यह फैसला रजत मौर्य और 41 अन्य बनाम यूपी सरकार केस में आया है। याचिकाकर्ताओं के लिए अशोक खरे और हिमांशु सिंह पेश हुए थे। दूसरी तरफ UPPSC के लिए अनूप त्रिवेदी, निपुण सिंह, नमन अग्रवाल और रितज विक्रम सिंह पेश हुए थे। यूपी सरकार की तरफ से पीके श्रीवास्तव ने दलींलें दीं।