दिल्ली सरकार नई आबकारी नीति पर काम कर रही है। नई नीति में बियर पीने की उम्र 25 साल से घटाकर 21 साल करने पर चर्चा चल रही है। नीति तैयार करने से पहले स्टॉक होल्डर और विशेषज्ञों के साथ चर्चा की जा रही है। सरकार मंत्रियों, अधिकारियों और निजी विक्रेताओं के साथ बैठक की है। उम्र घटाने की कवायद इसलिए की जा रही है, जिससे दिल्ली की भी नीति, दूसरे राज्यों की तरह ही तैयार हो। पड़ोसी राज्यो में बीयर पीने की उम्र 25 साल है।
नोएडा, गुड़गांव, गाजियाबाद और फरीदाबाद में शराब पीने की उम्र 21 साल है। नई नीति की मांग कर रहे लोगों का कहना है कि अगर शराब पीने की उम्र घटाई जाएगी तो इससे शराब की कालाबाजारी रुकेगी और राज्य के राजस्व में इजाफा होगा। सरकार शराब के ठेकों के लिए हाइब्रिड मॉडल शुरू करने पर भी विचार कर सकती है। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में यह दावा किया गया है।
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क्या बदलाव हो सकता है?
- प्राइवेट और सरकारी शराब ठेकों वाले हाइब्रिड मॉडल की बहाली
- रिहायशी इलाकों से शराब के ठेकों को हटाया जाएगा
- मॉल और शॉपिंग कॉम्प्लेक्स में बिक्री
- शराब के ठेकों पर मुनाफे के नियमों में बदलाव
- ग्राहकों के लिए बेहतर सुविधाओं पर जोर
दिल्ली आबकारी अधिनियम 2009 के मुताबिक तय उम्र से कम के लोगों को शराब बेचना दंडनीय अपराध है। टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक सरकार अभी नई नीति बना रही है। इसकी चर्चा के लिए सोमवार को PWD मंत्री परवेश वर्मा की अध्यक्षता में शराब उद्योग के लोगों के साथ एक उच्च-स्तरीय समिति की बैठक भी हुई।
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बैठक में क्या चर्चा हुई?
उद्योग मंत्री मंजिंदर सिंह सिरसा, गृह मंत्री आशीष सूद और आबकारी विभाग के वरिष्ठ अधिकारी के साथ हुई बैठक में कई बातें निकलकर सामने आईं। बैठक में शराब की दुकानों के लिए एक हाइब्रिड मॉडल पर विचार किया गया, जिसमें सरकारी और निजी दुकानें दोनों शामिल हैं। अभी दिल्ली में केवल सरकारी दुकानें ही शराब बेचती हैं।
दिल्ली में प्राइवेट ठेके पर क्या फैसला होगा?
आम आदमी पार्टी सरकार ने साल 2022 में निजी दुकानों को बंद कर दिया था। तत्कालीन अरविंद केजरीवाल सरकार की नई आबकारी नीति पर सवाल उठे थे। आबकारी नीति में निजी दुकानों को अनुमति देने के बाद विवाद हुआ था। CBI और ED ने कथित अनियमितताओं और भ्रष्टाचार के खिलाफ जांच शुरू की थी।
AAP सरकार की आबकारी नीति क्या थी?
साल 2021-22 में दिल्ली की AAP सरकार ने एक नई शराब नीति शुरू की थी, जिसमें निजी क्षेत्रों को भी भागीदारी दी गई। पहले दिल्ली में हाइब्रिड मॉडल था, जिसमें सरकारी और निजी दुकानें दोनों थीं। अब BJP सरकार उसी मॉडल को दोबारा लाने पर विचार कर रही है। दिल्ली में प्रीमियम नेशनल और इंटरनेशनल शराब के ब्रांड पर भी एक समिति की नजर होगी। दिल्ली में शराब के कुछ ब्रांड नहीं मिलते हैं, जिसकी वजह से लोग हरियाणा या यूपी जैसे पड़ोसी राज्यों में शराब खरीदने जाते हैं।
दिल्ली में 4 सरकारी कंपनियां शराब की दुकानें चलाती हैं। इन दुकानों को हर बोतल पर 50 रुपये का तय मुनाफा मिलता है। एक अनुमान के मुताबिक शराब की बिक्री से दिल्ली में 7 से 8 हजार करोड़ रुपये का राजस्व आता है। नई नीति से 12 से 13 हजार करोड़ रुपये तक भी हो सकता है। दिल्ली में अभी तक सिर्फ 14 शराब की दुकानें मॉल में हैं।