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पंजाब में सरकार से क्यों भिड़ गए हैं तहसीलदार? समझिए पूरा मामला

पंजाब में हड़ताल पर गए राजस्व अधिकारियों को चेतावनी दी गई थी कि वे ड्यूटी पर लौट आएं। चेतावनी के बावजूद काम पर न लौटने के चलते 14 अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया गया है।

Bhagwant Mann

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान, Photo Credit: Bhagwant Mann X Handle

दिल्ली में हार के बाद आम आदमी पार्टी (AAP) पंजाब में अतिरिक्त सक्रिय हो गई है। नशे के खिलाफ अभियान चला रही पंजाब सरकार का कहना है कि वह भ्रष्टाचार को भी खत्म करके ही मानेगी। कुछ दिन पहले ही विजिलेंस विभाग ने कुछ तहसीलदारों को गिरफ्तार किया था। यह मामला इतना गंभीर हो गया है कि अब 14 अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया गया है। सीएम भगवंत मान ने साफ कह दिया है कि अधिकारी ये न समझें कि वे काम रोककर सरकार को ब्लैकमेल करेंगे। दूसरी तरफ तहसीलदार और अन्य अधिकारियों का कहना है कि वे तभी हड़ताल खत्म करेंगे जब उन अधिकारियों के खिलाफ दर्ज केस वापस लिए जाएंगे। पंजाब सरकार ने भी अपना रुख साफ कर दिया है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टोलरेंस की नीति अपनाई जाएगी और अगर ये अधिकारी काम पर नहीं लौटेंगे तो दूसरे अधिकारी रख लिए जाएंगे, उन्हें सामूहिक छुट्टी मुबारक हो।

 

रोचक बात यह है कि तहसीलदारों या राजस्व अधिकारियों की यह हड़ताल पहली बार नहीं हो रही है। पंजाब में कई मौकों पर अपनी बातें मनवाने के लिए राजस्व विभाग से जुड़े अधिकारी और कर्मचारी अपनी मांगों के लिए हड़ताल करते रहे हैं। हालांकि, इस बार भगवंत मान सरकार सख्ती पर उतर आई। कहा जा रहा है कि इन अधिकारियों से बातचीत की कोशिश भी की जा रही थी लेकिन वे इस पर अड़े हुए थे कि पहले अधिकारियों के खिलाफ दर्ज किए गए केस वापस लिए जाएं।

 

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क्या चाहते हैं तहसीलदार?

 

दरअसल, पिछले कुछ दिनों में विजिलेंस विभाग ने जोरदार छापेमारी की है। यह छापेमारी तहसील दफ्तरों में की गई है। तहसीलदारों का आरोप है कि मानसा तहसील से कुछ सरकारी रिकॉर्ड भी गायब हुए हैं। अधिकारी राज्य सरकार और विजिलेंस विभाग की कार्रवाई और कुछ अधिकारियों की गिरफ्तार की निंदा कर रहे हैं।

 

 

हाल ही में 28 फरवरी को पंजाब विजिलेंस ब्यूरो ने 9 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया। जिन लोगों के खिलाफ केस दर्ज किए गए उसमें तहसीलदार जगसीर सिंह शरण का नाम भी शामिल है। इसके खिलाफ पंजाब रेवेन्यू पटवारी यूनियन (PRPU), पंजाब रेवेन्यू कानूनगो असोसिएशन (PRKA) और अन्य संगठन मिलकर हड़ताल कर रहे हैं। इन संगठनों का कहना है कि 7 मार्च तक हड़ताल चलेगी और उसके बाद फैसला लिया जाएगा कि क्या करना है।

 

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दरअसल, नवंबर 2024 में ही विजिलेंस विभाग ने तहसीलदार सुखचरण सिंह चन्नी को 20 हजार रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार किया था। सुखचरण सिंह चन्नी पंजाब रेवेन्यू ऑफिसर्स असोसिएशन के मुखिया भी हैं। ऐसे में उन्हें बचाने के लिए राज्य के राजस्व अधिकारी लंबे समय से विरोध कर रहे हैं। इस बार 7 मार्च तक हड़ताल का ऐलान किया गया है। 

सरकार का ऐक्शन

 

पंजाब सरकार ने मंगलवार को चेतावनी जारी की थी कि हड़ताल कर रहे अधिकारी काम पर लौटें वरना उनके खिलाफ ऐक्शन लिया जाएगा। देर शाम तक भी जब ये अधिकारी काम पर नहीं लौटे तो 5 तहसीलदार और 9 नायब तहसीलदारों को सस्पेंड कर दिया गया। कई जगहों पर तहसीलदारों की अनुपस्थिति में नायब तहसीलदारों को चार्ज देकर उनसे काम भी शुरू करवा लिया गया है।

 

 

पंजाब के सीएम भगवंत मान ने कहा, 'ये अधिकारी उनके लिए प्रदर्शन कर रहे हैं जिन्हें भ्रष्टाचार के मामले में विजिलेंस विभाग ने पकड़ा है। हम भ्रष्टाचार को बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं करेंगे। प्रदर्शन कर रहे राजस्व अधिकारियों को यह गलतफहमी नहीं होनी चाहिए कि वे काम रोककर सरकार को ब्लैकमेल कर सकते हैं। अगर अधिकारी काम पर नहीं लौटते हैं तो कैबिनेट की अगली मीटिंग में नए राजस्व अधिकारियों की भर्ती को मंजूरी दे दी जाएगी।'

क्या है मामला?

 

भ्रष्टाचार के मामले पर विजिलेंस ब्यूरो का कहना है कि एक आरोपी ने खुद को संपत्ति के असली मालिक के रूप में दिखाया और 14 कनाल जमीन की सेल डीड बनवा दी। इसमें भी, 6 करोड़ की जमीन के लिए सिर्फ 30 लाख की सेल डीड बनाई गई।  इसी केस में विजिलेंस ब्यूरो ने 28 फरवरी को लुधियाना के एक वकील गुरचरण सिंह और जगसीर सिंह शरण समेत कई अन्य सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों को गिरफ्तार किया।

 

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इस मामले में राजस्व यूनियन का कहना है कि बिना जांच हुए किसी सरकारी दफ्तर पर छापेमारी नहीं होनी चाहिए। इन संगठनों ने भगवंत मान सरकार को चेतावनी भी दी है कि अगर सरकार उनकी बातें नहीं मानती है तो बेनामी संपत्ति से जुड़े सभी दस्तावेज सार्वजनिक कर दिए जाएंगे।

समस्या क्या हुई?

 

तहसीलदारों की हड़ताल की वजह से रजिस्ट्री का काम प्रभावित हो रहा है। कई तहसीलों से शिकायतें आ रही हैं कि लोग अपना काम लेकर आए लेकिन अधिकारियों की हड़ताल की वजह से उनका काम ही नहीं हो पाया। सरकार की सख्ती का असर कुछ तहसीलों में दिखने लगा और नायब तहसीलदारों या अन्य अधिकारियों को बिठाकर रजिस्ट्री और अन्य काम शुरू करवाए गए।

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