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न रैली होगी, न गाड़ी पर लगेगा स्टीकर; UP में जाति पर क्या आदेश आया?

उत्तर प्रदेश में जातिगत भेदभाव को खत्म करने के लिए सरकार ने एक अहम आदेश जारी किया है। अब जाति आधारित राजनीतिक रैलियों पर रोक लगा दी गई है। गाड़ियों पर भी जाति वाले स्टीकर नहीं लगा सकेंगे।

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सीएम योगी आदित्यनाथ। (Photo Credit: PTI)

उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने जाति आधारित भेदभाव को खत्म करने के मकसद से एक अहम आदेश जारी किया है। उत्तर प्रदेश में अब गाड़ियों पर न तो जाति का स्टीकर लगा सकेंगे और न ही घर, मोहल्ले या गांव के बाहर ऐसा बोर्ड, जिससे जाति का पता चलता है। और तो और, जाति आधारित राजनीतिक रैली करने पर भी रोक लगा दी गई है। 


इसे लेकर यूपी सरकार ने सोमवार को आदेश जारी किया है। सरकार ने यह आदेश इलाहाबाद हाई कोर्ट के 16 सितंबर को आए फैसले के बाद जारी किया है। हालांकि, हाई कोर्ट ने जिस मामले में यह फैसला दिया है, उसका जातिगत भेदभाव से कुछ लेना-देना नहीं था। यह मामला एक आरोपी ने अपने खिलाफ दर्ज केस को रद्द करने की मांग की थी। 


हाई कोर्ट के फैसले के बाद सोमवार को यूपी के कार्यवाहक मुख्य सचिव दीपक कुमार ने इसे लेकर आदेश जारी किया है। सभी जिलों को भेजे गए इस आदेश में साफ कहा गया है कि आरोपियों की जाति अब पुलिस रजिस्टर और केस मेमो में दर्ज नहीं की जानी चाहिए।

 

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क्या है यह पूरा मामला?

यह पूरा मामला प्रवीण छेत्री नाम के आरोपी से जुड़ा है, जिसे अप्रैल 2023 में अवैध शराब की तस्करी के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। प्रवीण छेत्री ने अपने खिलाफ दर्ज मुकदमे को रद्द करने की मांग को लेकर हाई कोर्ट में अर्जी लगाई थी।


मामले की सुनवाई जस्टिस विनोद दिवाकर कर रहे थे। केस फाइलों की जांच के दौरान जस्टिस दिवाकर ने पाया कि पुलिस ने FIR और केस मेमो में हर आरोपी की 'माली', 'पहाड़ी राजपूत', 'ठाकुर' और 'ब्राह्मण' की जाति दर्ज की थी।


अदालत ने प्रवीण छेत्री की याचिका खारिज कर दी लेकिन इस कारण जातिवाद खत्म करने को लेकर हाई कोर्ट ने अहम फैसला दिया। हाई कोर्ट ने पुलिस रिकॉर्ड में आरोपी की 'जाति' का जिक्र करने पर हलफनामा दायर करने को कहा था। 


यूपी के डीजीपी ने हलफनामा कर बताया था कि जाति का जिक्र पहचान के लिए लंबे समय से चली आ रही प्रथा है। कोर्ट ने इस तर्क की आलोचना करते हुए कहा कि इसे 'कानूनी भ्रांति' बताया था। जस्टिस दिवाकर ने अपने फैसले में कहा था कि जब आधार कार्ड, मोबाइल कैमरा और फिंगरप्रिंट जैसे आधुनिक उपकरण हैं, तब जाति का जिक्र करना 'कानूनी भ्रांति' है। 


फैसले में उन्होंने कहा कि जाति व्यवस्था धर्मनिरपेक्षता और देश की अखंडता के लिए खतरा है। उन्होंने डॉ. आंबेडकर, राजा राम मोहन राय, ज्योतिबा और सावित्रीबाई फुले, नारायण गुरु, विनोबा भावे, कंदुकुरी वीरेशलिंगम और स्वामी दयानंद सरस्वती जैसे समाज सुधारकों का हवाला देते हुए कहा कि 'जाति आधारित पहचान को बढ़ावा देना राष्ट्रीय एकता और प्रगति की भावना के खिलाफ है और ऐसी प्रथाएं असल में राष्ट्र विरोधी हैं।'


कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी कहा था कि लोग अपनी गाड़ियों में भी जातिगत नारे या जाति वाले स्टीकर लगा लेते हैं, सोशल मीडिया पर भी जाति आधारित कंटेंट बढ़ रहा है। कोर्ट ने कहा था, 'जाति की समस्या सिर्फ समाज या धर्म में नहीं है, बल्कि सरकार के मानसिक ढांचे में भी है।'


अदालत ने यूपी सरकार को आदेश दिया था कि गाड़ियों पर जाति वाले स्टीकर लगाने से रोका जाए और सोशल मीडिया पर जाति आधारित कंटेंट पर भी रोक लगाई जाए।

 

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यूपी सरकार ने क्या आदेश दिया?

  • पुलिस रिकॉर्ड में जाति नहीं होगी: यूपी सरकार ने आदेश जारी कर साफ किया है कि FIR, अरेस्ट मेमो, रिकवरी मेमो या कोई भी रिकॉर्ड में आरोपी की जाति नहीं लिखी जाएगी। पुलिस स्टेशन के नोटिस बोर्ड पर भी जाति का जिक्र नहीं होगा।
  • रिकॉर्ड में माता-पिता का नाम होगा: अब तक पुलिस रिकॉर्ड में आरोपी के सिर्फ पिता का नाम होता था। मगर अब पुलिस रिकॉर्ड में आरोपी के पिता के साथ-साथ मां का नाम भी लिखा जाएगा। 
  • पोर्टल से हटेगा जाति का कॉलम: उत्तर प्रदेश के क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क एंड सिस्टम (CCTNS) पोर्टल को भी अपडेट किया जाएगा और जाति का कॉलम हटाया जाएगा। जब तक पोर्टल अपडेट नहीं होता, तब तक कॉलम को खाली छोड़ा जाएगा।
  • गांव-मोहल्ले में जाति के बोर्ड पर बैन: सरकार ने आदेश कर कहा है कि गांवों, मोहल्लों और शहरों से ऐसे सभी बोर्ड हटाए जाएंगे, जिनसे जाति का महिमामंडन होता हो। 
  • गाड़ियों पर जाति वाले स्टीकर नहीं: आदेश में साफ कहा गया है कि गाड़ियों पर जाति या जातिगत नारे वाले स्टीर नहीं लगा सकते। अगर किसी गाड़ी पर जाति या जातिगत नारे वाला स्टीकर लगा है तो मोटर व्हीकल ऐक्ट के तहत चालानी कार्रवाई की जाएगी।
  • राजनीतिक रैलियों में जाति का इस्तेमाल नहीं: यूपी में अब किसी भी जाति के नाम पर कोई राजनीतिक रैली, सभा या सम्मेलन नहीं होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि जाति वाली राजनीतिक रैलियों से समाज में बंटवारा होता है और यह राष्ट्रीय एकता के लिए खतरा है।
  • सोशल मीडिया पर भी सख्ती: सोशल मीडिया पर किसी जाति का महिमामंडन या उसे नीचा दिखाने वाली पोस्ट करने वालों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इसके लिए सोशल मीडिया पर सख्त निगरानी रखी जाएगी।

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अखिलेश यादव ने पूछे सवाल

यूपी सरकार के इस आदेश पर पूर्व सीएम और समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने कई सवाल पूछे हैं। उन्होंने X पर पोस्ट कर पूछा कि पांच हजार सालों से मन में जो जातिगत भेदभाव बसा है, उसे कैसे मिटाया जाएगा?


उन्होंने कहा, 'वस्त्र, वेशभूषा और प्रतीक चिन्हों के माध्यम से जाति-प्रदर्शन से उपजे जातिगत भेदभाव को मिटाने के लिए क्या किया जाएगा? और किसी के मिलने पर नाम से पहले 'जाति' पूछने की जातिगत भेदभाव की मानसिकता को ख़त्म करने के लिए क्या किया जाएगा?'

 


अखिलेश ने कहा, 'और किसी का घर धुलवाने की जातिगत भेदभाव की सोच का अंत करने के लिए क्या उपाय किया जाएगा? और किसी पर झूठे और अपमानजनक आरोप लगाकर बदनाम करने के जातिगत भेदभाव से भरी साज़िशों को समाप्त करने के लिए क्या किया जाएगा?'

कब से लागू होगा ये आदेश?

योगी सरकार का ये आदेश तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है। सभी जिलों के मजिस्ट्रेट और पुलिस प्रमुख को यह आदेश भेज दिया गया है।


सख्त आदेश है कि पलिस रिकॉर्ड में जाति का जिक्र नहीं किया जाएगा। हालांकि, कुछ मामलों में इससे छूट दी गई है। अगर मामला SC/ST ऐक्ट से जुड़ा है तो जाति का जिक्र किया जाएगा।

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