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एस्परजिलस फंगस से लाखों लोगों को जान का खतरा! वैज्ञानिकों की चेतावनी

रिसर्च स्क्वेर में प्रकाशित एक नई रिसर्च में चेतावनी दी गई है कि एक खतरनाक जानलेवा फंगस तेजी से फैल सकता है। जानते हैं इसके बारे में।

Image of Fungus

सांकेतिक चित्र(Photo Credit: Canva Image)

दुनिया के कई हिस्सों- जैसे यूरोप, एशिया और अमेरिका में एक खतरनाक फंगस तेजी से फैलने की आशंका जताई जा रही है। रिसर्च स्क्वेर में प्रकाशित एक नई रिसर्च में चेतावनी दी गई है कि अगर तापमान यूं ही बढ़ता रहा, तो यह फंगस लाखों लोगों की जान के लिए खतरा बन सकती है। इस फंगस का नाम है एस्परजिलस (Aspergillus), जो गर्म और नमी वाले वातावरण में तेजी से पनपती है।

क्या है एस्परजिलस फंगस?

एस्परजिलस एक प्रकार की फंगस है, जो मिट्टी, पत्तियों और सड़ी-गली जैविक चीजों में पाई जाती है। यह उन लोगों को ज्यादा नुकसान पहुंचा सकती है जिनकी रोग-प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है- जैसे अस्थमा, सिस्टिक फाइब्रोसिस या अन्य पुरानी फेफड़ों की बीमारियों से पीड़ित लोग।

 

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इस फंगस के बीजाणु (spores) जब हवा में फैलते हैं और कोई व्यक्ति उन्हें सांस के साथ अंदर लेता है, तो वे फेफड़ों में संक्रमण कर सकते हैं। आम तौर पर स्वस्थ व्यक्ति पर इसका असर नहीं होता लेकिन बीमार और कमजोर लोगों के लिए यह जानलेवा साबित हो सकती है।

कैसे बढ़ रहा है खतरा?

इस अध्ययन के सह-लेखक नॉर्मन वैन राइन ने कहा है कि 'दुनिया एक ऐसे मोड़ पर पहुंच रही है जहां फंगस जनित रोग सामान्य हो सकते हैं।' उन्होंने बताया कि जैसे-जैसे जलवायु परिवर्तन हो रहा है और तापमान बढ़ रहा है, फंगस के पनपने के लिए आदर्श वातावरण बन रहा है। एस्परजिलस जैसे फंगस ज्यादा तापमान में, जैसे कम्पोस्ट या खाद में, तेजी से बढ़ती हैं। यही कारण है कि यह इंसानी शरीर के 37 डिग्री तापमान में भी जीवित रह सकती है।

 

वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर ग्लोबल वार्मिंग ऐसे ही जारी रही, तो साल 2100 तक यह फंगस 77% अधिक क्षेत्रों में फैल सकती है। इससे केवल यूरोप में ही लगभग 90 लाख लोग इस फंगस के संपर्क में आ सकते हैं।

क्यों नहीं मिल रही पर्याप्त दवा?

इस फंगस से लड़ने के लिए नई एंटीफंगल दवाएं विकसित करना बेहद जरूरी है, लेकिन समस्या यह है कि इस क्षेत्र में निवेश बहुत कम हो रहा है। इसका कारण है कि एंटीफंगल दवाएं बनाना महंगा होता है और कंपनियों को इससे मुनाफा कम दिखता है। यही वजह है कि इस गंभीर खतरे के बावजूद रिसर्च और दवाओं के विकास में तेजी नहीं आ रही।

 

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एक और चिंता की बात यह है कि वैज्ञानिकों को अभी तक केवल 10% फंगस प्रजातियों की ही जानकारी है, जबकि अनुमान है कि पूरी दुनिया में लगभग 15 लाख से लेकर 38 लाख तक फंगस प्रजातियां हो सकती हैं। इससे यह साफ होता है कि फंगसों की दुनिया अभी भी रहस्यमयी और अनजानी है।

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