आयकर रिटर्न (आईटीआर) फाइल करने की आखिरी तारीख 15 सितंबर 2025 है। अभी तक इसकी समय सीमा नहीं बढ़ाई गई है। हालांकि, उन टैक्सपेयर्स को बड़ी राहत दी गई है जो किसी इमरजेंसी की वजह से समय पर आयकर रिटर्न दााखिल नहीं कर पाए हैं। विभाग ने ई-फाइलिंग पोर्टल पर डिले वाइबर (देरी माफी) का विकल्प एक्टिव कर दिया है। अगर आवेदन स्वीकार हो जाता है, तो टैक्सपेयर को कोई जुर्माना नहीं भरना पड़ेगा। वहीं, जिनका आवेदन नही स्वीकार होगा उन्हें 5000 रुपये तक का जुर्माना भरना पड़ सकता है।
आयकर विभाग के अनुसार, अक्सर लोग अस्पताल में भर्ती होने, घर में किसी मौत या अन्य गंभीर समस्याओं की वजह से समय पर रिटर्न नही दाखिल कर पाते हैं। ऐसे मामलों में राहत देने के लिए पोर्टल पर यह सुविधा शुरू कर दी गई है। इसके जरिए डिले वाइबर (देरी माफी) करने की अपील की जा सकती है। अगर विभाग यह अनुरोध स्वीकार कर लेता है, तो टैक्सपेयर को ज्यादा पेनल्टी या ब्याज नहीं देना पड़ेगा।
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देरी हुई तो वजह भी बताएं
आयकर विभाग के मुताबिक, आवेदक जो भी वजह बताएंगे वह सही होनी चाहिए और अपने दावे को साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत भी उपलब्ध कराने होंगे। इस सुविधा का लाभ आकलन वर्ष के अंत तक उठाया जा सकता है।
ITR फाइल करने का तरीका
- आयकर विभाग की ई-फाइलिंग वेबसाइट पर आप दो तरीकों से ITR फाइल कर सकते हैं।
- एक्सेल यूटिलिटी या जावा यूटिलिटी का इस्तेमाल करके।
- सीधे पोर्टल पर ऑनलाइन फाइल करके।
- अगर आप सीधे पोर्टल पर ITR भरते हैं तो वेबसाइट खुद ही आपकी बेसिक जानकारी और टैक्स की डिटेल्स ITR-1 फॉर्म में भर देती है। इससे समय और मेहनत दोनों बचते हैं ।
ITR-1 ऑनलाइन फाइल करने की प्रक्रिया
- स्टेप 1: www.incometax.gov.in
पर जाएं और लॉगिन करें। पैन/आधार और पासवर्ड डालकर लॉगिन करें।
- स्टेप 2: लॉगिन करने के बाद 'E-File > Income Tax Returns > File Income Tax Return' पर क्लिक करें।
- स्टेप 3: असेसमेंट ईयर 2025-26 चुनें, मोड 'ऑनलाइन' रखें और कंटिन्यू करें।
- स्टेप 4: 'Start New Filing' पर क्लिक करें, स्टेटस 'Individual' चुनें और आगे बढ़ें।
- स्टेप 5: ITR फॉर्म चुनें – यहां ITR-1 चुनें और 'Proceed with ITR-1' पर क्लिक करें।
- स्टेप 6: फाइल करने की वजह चुनें। जैसे – 'टैक्सेबल इनकम बेसिक एग्जेम्प्शन लिमिट से ज्यादा है।'
- स्टेप 7: इसके बाद आपके सामने यह सेक्शन आएंगे –
a) पर्सनल इन्फॉर्मेशन
b) ग्रॉस टोटल इनकम
c) डिडक्शन्स
d) टैक्स पेमेंट
e) टैक्स लाइबिलिटी वेरीफाई करना
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ITR-2 एक्सेल यूटिलिटी से कैसे फाइल करें
- स्टेप 1: ई-फाइलिंग पोर्टल से ITR-2 एक्सेल यूटिलिटी डाउनलोड करें।
- स्टेप 2: डाउनलोड की गई फाइल को अनजिप करें और यूटिलिटी खोलें।
- स्टेप 3: 'Part-A General' भरें – नाम, पता, पैन, आधार, मोबाइल, ईमेल, रेजिडेंस स्टेटस, फाइलिंग टाइप (ओरिजिनल/रिवाइज्ड) आदि।
अगर आप नए टैक्स रिजीम से पुराने रिजीम में जाना चाहते हैं तो सेक्शन 115BAC(6) चुन सकते हैं।
- स्टेप 4: 'Capital Gains' टैब भरें –
- प्रॉपर्टी की खरीद और बिक्री की तारीख
- सेल वैल्यू और स्टाम्प ड्यूटी वैल्यू
- लागत (खरीद, सुधार, ट्रांसफर एक्सपेंस)
- शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन की डिटेल
- म्यूचुअल फंड और इक्विटी शेयर की जानकारी
- सेक्शन 54, 54B, 54EC जैसी डिडक्शन की जानकारी
- नोट: कैपिटल गेन की एंट्री 23 जुलाई 2024 से पहले और बाद की अलग-अलग करनी होगी।
- स्टेप 5: 'Set-off of Capital Losses' भरें – यानी मौजूदा साल के लॉस को कैपिटल गेन से एडजस्ट करें।
- स्टेप 6: सभी शेड्यूल भरने के बाद 'Validate' पर क्लिक करें। फिर 'Calculate Tax' करें। XML सेव करें, JSON पोर्टल पर अपलोड करें और ई-वेरिफाई करें।
किन्हें ITR-2 फाइल करना जरूरी है?
- सैलरी या पेंशन से आय,
- एक या एक से ज्यादा मकान से आय,
- लॉटरी, घुड़दौड़ जैसी इनकम,
- अनलिस्टेड इक्विटी शेयर्स में निवेश,
- कंपनी में डायरेक्टर होना,
- कैपिटल गेन से आय,
- विदेश में संपत्ति या इनकम,
- 5,000 रुपये से ज्यादा की कृषि आय,
- हाउस प्रॉपर्टी लॉस कैरी फॉरवर्ड करना,
- ESOP पर टैक्स डिफर होना,
- ITR-2 में कुल आय 50 लाख रुपये से ज्यादा भी हो सकती है, जबकि ITR-1 में यह लिमिट नहीं होती।