महाराष्ट्र के पुणे के रहने वाले हमीद सुयोग बेंद्रे का एक लेटर सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इस लेटर में 8 साल के हमीद अपने टीचर का ट्रांसफर ना करने की अपील कर रहे हैं। पुणे के हडसपर में साधना प्राइमरी विद्या मंदिर में पढ़ने वाले हमीद और उनके साथी उनकी टीचर शारदा दावड़े के ट्रांसफर से दुखी हैं। अपनी फेवरेट टीचर के ट्रांसफर से नाराज तीसरी क्लास के हमीद ने अपनी टीचर को ट्रांसफर ना करने के लिए एक लेटर लिखा। इस लेटर को उसके माता-पिता ने सोशल मीडिया पर शेयर किया जिस पर लोग अपनी प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं।
शरद पवार के नाम लिखे इस लेटर में हमीद ने टीचर का ट्रांसफर रोकने की मांग की। हाथ से लिखे इस लेटर में हमीद ने मासूमी से अपनी टीचर के बारे में लिखा। लोगों को हमीद का अपने टीचर के प्रति प्यार बहुत पसंद आ रहा है और बच्चे की अपील ने सोशल मीडिया पर लोगों का ध्यान आकर्षित किया है। हमीद ने अपने लेटर में लिखा कि वह अपनी ताई (टीचर) के बिना स्कूल जाने के बारे में नहीं सोच सकता।
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लेटर में क्या लिखा?
मराठी भाषा में लिखे इस लेटर में हमीद ने लिखा , 'मेरी क्लास टीचर शारदा दावड़े हैं। आज मुझे पता चला है कि उनकी ट्रांसफर हो गई है और अब वह हमें नहीं पढ़ाएंगी। यह सुनकर मैं रोने लगा था।' हमीद ने आगे लिखा, ' ताई हमें बहुत अच्छे से पढ़ाती थीं। वह हम पर कभी गुस्सा नहीं करती थी। मैं चाहता हूं कि वह हमारे स्कूल में पढ़ाती रहें।' हमीद का यह लेटर उनके माता-पिता ने सोशल मीडिया पर शेयर किया और देखते ही देखते यह लेटर सोशल मीडिया पर वायरल हो गया।
शारदा दावड़े का एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इस वीडियो में देखा जा सकता है कि जब शारदा दावड़े स्कूल छोड़ कर जाने की तैयारी करती हैं तो उनके छात्र उनसे लिपट कर रोने लगते हैं। इस वीडियो को देखकर लोग शारदा दावड़े की मेहनत, लगन और बच्चों के प्रति उनके प्रेम की तारीफ कर रहे हैं।
हमीद ने खुद लिखा लेटर
इस लेटर के वायरल होने के बाद हमीद के पिता ने बताया कि हमीद की टीचर उसके लिए दूसरी मां की तरह थीं। उन्होंने कहा, 'हमीद ने यह लेटर हमारी बातचीत के बाद खुद लिखा है। वह अपनी डायरी में हमारी एक ट्रिप के बारे में लिख रहा था तो हमने देखा कि उसने अपनी टीचर के बारे में भी लिखा था। उसने बहुत अच्छा लिखा तो हमने उसकी फोटो सोशल मीडिया पर शेयर किया।'
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क्या बोले बच्चों के माता-पिता?
शारदा दावड़े की ट्रांसफर से स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के माता-पिता भी दुखी हैं। एक बच्चे की मां ने कहा, 'वह पिछले पांच सालों से मेरी बेटी को पढ़ा रही थीं। मैंने अपने जीवन में उनके जैसी टीचर नहीं देखी है।' एक दूसरे बच्चे के पिता ने कहा, 'वह हर रोज बच्चों की नोटबुक खुद चैक करती थी। बच्चों को बड़े प्यार से पढ़ाती थीं।'
एक बच्चे की मां ने बताया, 'वह हर रोज बच्चों के साथ बैठकर ही खाना खाती थीं और इस बात का ध्यान रखती थीं कि बच्चों ने खाना खाया है या नहीं। इस तरह की टीचर मिलना बहुत मुश्किल है।' शारदा दावड़े की लगन की लोग तारीफ कर रहे हैं।