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पुतिन को डिनर में परोसा गया 'गुच्छी मशरूम', हजारों में क्यों बिकता है?

राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को खाने में एक खास किस्म का स्टफ्ड मोरेल मशरूम परोसा गया। खासियत क्या है, चर्चा में क्यों है, आइए जानते हैं।

Gucchi Mushrooms

गुच्छी मशरूम, Photo Credit- Social Media

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रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन दिसंबर 2021 के बाद पहली बार इंडिया-रूस समिट में हिस्सा लेने भारत पहुंचे। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पुतिन के बीच कई यादगार पल देखने को मिले। पीएम मोदी ने पुतिन को भगवद गीता का रूसी संस्करण उपहार में दिया और दोनों कारपूल करते हुए भी नजर आए। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पुतिन के सम्मान में विशेष डिनर का आयोजन किया। यह डिनर न सिर्फ खास था, बल्कि अनोखा भी, जिसकी व्यापक चर्चा हो रही है। खास तौर पर अखरोट की चटनी के साथ परोसे गए स्टफ्ड मोरेल मशरूम (गुच्छी मशरूम) ने सबका ध्यान आकर्षित किया।

 

इस डिनर की सबसे खास बात यह थी कि पूरा मेन्यू पूरी तरह शाकाहारी रखा गया था। इसमें भारत के विभिन्न क्षेत्रों के पारंपरिक खान-पान को शामिल किया गया था। लिस्ट में पश्चिम बंगाल का गुड़ संदेश, उत्तर भारत की पीली दाल तड़का, देश के दक्षिणी हिस्सों का मुरुक्कू, तिब्बत और नेपाल सीमा वाले क्षेत्रों का झोल मोमो और जम्मू-कश्मीर का गुच्छी दून चेटिन (अखरोट की चटनी के साथ परोसे जाने वाले स्टफ्ड मोरेल मशरूम) शामिल थे।

 

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कश्मीरी डिश की खासियत

जम्मू-कश्मीर का गुच्छी दून चेटिन केवल अपनी शुरूआत की वजह से ही खास नहीं है बल्कि हिमालयी इलाके जैसे जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में उगने वाली एक खास चीज की वजह से भी खास है। इसमें इस्तेमाल होने वाला गुच्छी मशरूम लगभग 35000 से 40000 रुपये प्रति किलोग्राम तक मिलती है। इतना महंगा मिलने के कई कारण है आइए समझते हैं-

गुच्छी मशरूम क्यों कम मिलते हैं?

गुच्छी मशरूम की सबसे खास बात है कि जंगली होते हैं। इसे आसानी से उगाया नहीं जा सकता क्योंकि इन्हें उगने के लिए एक खास तापमान और मिट्टी की जरूरत होती है जिसके कारण ये कम मिलते हैं। ये अक्सर हिमालयी इलाके में बसंत के मौसम में,र्फबारी का मौसम खत्म होने के ठीक बाद मिलते हैं। आपको यह जान कर हैरानी होगी कि जंगल में आग लगने के बाद भी इनकी खेती की जा सकती है। इस तरह इन्हें उगाने की खास जरूरत इन्हें एक दुर्लभ चीज बनाती है।

गुच्छी मशरूम को ढूंढना मुश्किल काम

असल में, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में लोकल लोग इस महंगे मशरूम को ढूंढने के लिए मुश्किल रास्तों पर हफ्तों का समय बिताते हैं। इसे ढूंढना एक मुश्किल काम है फिर भी यहां के लोग अपनी खोज जारी रखते हैं। इसका कारण है कि इन्हें कुछ हफ्तों तक ही काटा जा सकता है जब कुदरत इनके उगने के लिए सही हालात बनाती है।

 

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दुनिया का सबसे महंगा मशरूम

दुर्लभ होने के बावजूद इनकी मांग बनाने वाले माहिरों और लोकल लोगों के बीच बहुत ज्यादा है। यहां के लोग इसकी कीमत समझते हैं जिसकी वजह से इसके कई हेल्थ बेनिफिट्स के लिए पारंपरिक दवा में इनका इस्तेमाल करते हैं। उपलब्धता के आधार पर, इनकी कीमत 50,000 रुपये प्रति किलोग्राम तक बढ़ सकती है, जिससे इसे दुनिया के सबसे महंगे मशरूम का टाइटल मिला है।

 

महंगे होने के बावजूद लोकल खाने के लिए जरूरी

लोकल लोगों को मानना है कि अगर कोई खुद को खाने का शौकीन मानता है तो उसे पता होगा कि गुच्छी मशरूम जैसी दुर्लभ चीजे खाने में कितनी मजेदार होती हैं। इस महंगे मशरूम का इस्तेमाल न केवल गुच्छी दून चेटिन बनाने के लिए किया जाता है, बल्कि गुच्छी पुलाव, यखनी और रोगनजोश पकाने के लिए भी किया जाता है। इसके खास टेक्सचर की वजह से यह वीगन या वेजिटेरियन खाने के लिए एक परफेक्ट नॉन वेज रिप्लेसमेंट माना जाता है। इसी कारण गुच्छी दून चेटिन राष्ट्रपति भवन में व्लादिमीर पुतिन के डिनर के मेन्यू में शामिल था।

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