• NEW DELHI 24 Sept 2025, (अपडेटेड 24 Sept 2025, 9:14 AM IST)
अफगानिस्तान का एक 13 साल का लड़का फ्लाइट के लैंडिंग गियर में छिपकर 94 मिनट का सफर कर दिल्ली एयरपोर्ट पर पहुंचा था। इस लड़के ने अधिकारियों को बताया कि वह जिंदा कैसे बच गया।
सांकेतिक तस्वीर, Photo Credit: Social Media
काबुल से दिल्ली का 94 मिनट का सफर एक 13 साल के अफगानिस्तानी लड़के ने फ्लाइट के लैंडिंग गियर यानी व्हील वेल वाले हिस्से में बैठकर तय किया। यह घटना दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर अफगानिस्तान के काबुल से आई एक फ्लाइट की है। गनीमत यह रही कि लड़का सुरक्षित है। हालांकि, हर किसी के मन में यह सवाल उठ रहा था कि बच्चा इतने कम तापमान और कम ऑक्सीजन में जिंदा कैसे रहा, क्योंकि व्हील वेल वाले हिस्से में माइनस में तापमान होता है और ऊंचाई पर उड़ान भरने के कारण वहां ऑक्सीजन भी कम होती है। अब इस 13 साल के लड़के ने बताया है कि वह कैसे इस खतरनाक सफर में जिंदा बचा।
रविवार (21 सितंबर) की सुबह करीब 11 बजे इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट के ग्राउंड स्टाफ ने काबुल से आई एक फ्लाइट के पास टैक्सीवे पर कुर्ता-पायजामा पहने एक लड़के को देखा। वह लड़का प्रतिबंधित क्षेत्र में नंगे पांव घूम रहा था। लड़के को देखकर ग्राउंस स्टाफ हैरान रह गया और उन्होंने सुरक्षाकर्मियों को सूचना दी। इसके बाद सुरक्षाकर्मियों ने लड़के को हिरासत में लेकर पूछताछ की। पूछताछ में लड़के ने बताया कि वह अफगानिस्तान का नागरिक है और बिना टिकट के फ्लाइट के लैंडिंग गियर वाले हिस्से में छिपकर दिल्ली आया है। लड़के को कानूनी प्रक्रिया पूरी करके वापस काबुल भेज दिया गया।
13-year-old Afghan boy survives 94 minutes in plane’s landing gear from Kabul to Delhi and lands safely. do u think they would give their land to US.. pic.twitter.com/yvxTq7BSXw
व्हील वेल फ्लाइट का वह हिस्सा है जहां फ्लाइट के पहिए होते हैं। उस हिस्से में बैठकर सफर करने की कोशिश करना अपनी जान से खेलने जैसा है और इसे लगभग नामुमकिन माना जाता है। फ्लाइट जब उड़ान भरती है तो ऊंचाई पर जाते ही व्हील वेल का तापमान जीरो से नीचे चला जाता है। इसके साथ ही उस हिस्से में ऑक्सीजन की कमी भी हो जाती है। इन परिस्थितियों में किसी भी इंसान के लिए जिंदा रहना मुश्किल हो जाता है। इसके साथ ही व्हील वेल में फ्लाइट के पहिए जब अंदर बाहर होते हैं तो उनसे भी जान को खतरा हो सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह सफर करना अपनी मौत को दावत देना है।
इस हिस्से में छिपकर भारत आया था फैजल
कैसे जिंदा बचा फैजल?
अफगानिस्तान से आए लड़के की पहचान फैजल के रूप में हुई है और वह कुदुंज का रहने वाला है। इस लड़के ने पूछताछ में बताया कि कैसे उसने यह सफर किया और वह जिंदा कैसे बच गया। लड़के से पूछताछ करने वाले अधिकारियों ने बताया कि जब फ्लाइट ने उड़ान भरी थी तो लड़के के जूते टायरों से टकराए और गर्मी के कारण पिघल गए थे। लड़के ने अधिकारियों को बताया कि जब ठंड बढ़ने लगी तो वह अपनी जैकेट में सिमट कर बैठा रहा। लड़के ने कहा कि टायरों की बची हुई गर्मी ने उसे 30,000 फीट ऊंचाई पर जीरो से भी कम तापमान में जिंदा रहने में मदद की। लैंडिग गियर की जांच करने पर वहां से एक लाल रंग का स्पीकर भी मिला, जो संभवत फैजल का ही था।
विषेशज्ञों का मानना है कि इस तरह की परिस्थिति में जिंदा रहना एक असामान्य बात जरूर है लेकिन असंभव नहीं। अगर कोई व्यक्ति शरीर को गर्म रख सके तो उसके जिंदा रहने की संभावना होती है।
लैंडिंग गियर वाले हिस्से में सफर करने का यह पहला मामला नहीं है इससे पहले भी कुछ मौकों पर ऐसा हो चुका है। लैंडिंग गियर के आसपास के हिस्से में कुछ खाली जगह होती है। इसमें बॉटल और हाइड्रोलिक सिस्टम शामिल होते हैं। फ्लाइट के उड़ान भरते ही लैंडिग गियर इस हिस्से में वापस आ जाते हैं लेकिन जैसे-जैसे फ्लाइट ऊपर जाती है यहां तापमान कम होता जाता है।
इससे पहले कुछ मौकों पर इस तरह का सफर करने की कोशिश की गई और ज्यादातर समय यह एक हादसे में बदल गई। जनवरी 2024 में डोमिनिकन रिपब्लिक से फ्लोरिडा जाने वाली जेटब्लू की एक फ्लाइट के लैंडिंग गियर में दो लोगों की लाश मिली थी। वह दोनों लैंडिंग गियर में छिप कर यात्रा कर रहे थे लेकिन यह जहब बिल्कुल भी सुरक्षित नहीं है। ऑक्सीजन की कमी के कारण उन दोनों की मौत हो गई थी। दिसंबर 2023 में ओरान से पेरिस की फ्लाइट में एक अल्जीरियाई युवक ने ऐसे ही छिप कर यात्रा की थी बाद में मेडिकल जांच में युवक गंभीर रूप से बीमार पाया गया था।