एट्रियल फिब्रिलेशन (AFib) को आम भाषा में अनियमित दिल का धड़कना कहा जाता है। यह एक गंभीर बीमारी है जिसकी वजह से स्ट्रोक, हार्ट अटैक आने का खतरा बढ़ जाता है। जब किसी व्यक्ति को एट्रियल फिब्रिलेशन होता है तो उसका दिल बहुत तेजी से धड़कता है जिसकी वजह से खून शरीर के हिस्सों में सही से नहीं पहुंच पाता है।
कई लोगों को लगता है कि एट्रियल फिब्रिलेशन और पैनिक अटैक एक ही बात है क्योंकि दोनों के लक्षण सामान्य है। हालांकि य दोनों चीजें बिल्कुल अलग होती है। आइए जानते हैं दोनों में क्या अतंर है?
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एएफआईबी और पैनिक अटैक में क्या अंतर है?
एएफआईबी (AFib) और पैनिक अटैक दोनों में दिल की धड़कन तेज हो सकती है और बेचैनी हो सकती है लेकिन दोनों में अंतर है। एएफआईबी दिल की धड़कन की बीमारी है जबकि पैनिक अटैक में मानसिक घबराहट की वजह से दिल की धड़कने तेज हो जाती है।
एट्रियल फिब्रिलेशन का लक्षण क्या है?
- दिल का बहुत तेज या अनियमित धड़कना
- कमजोरी
- चक्कर
- सांस लेने में तकलीफ
- छाती में दर्द या दबाव महसूस करना
- लो ब्लड प्रेशर
- भावनात्मक तनाव
पैनिक अटैक के लक्षण
- पसीना आना
- दिल का बहुत तेजी से धड़कना
- सांस न आने जैसा महसूस होना
- सांस लेने में तकलीफ होना
- चक्कर आना
- हाथ-पैरों का सुन्न पड़ना
- सीने में दर्द
- हाथ-पैर कांपना
- पेट में दर्द या उल्टी जैसा महसूस होना
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AFib और पैनिक अटैक में क्या संबंध है
2019 में एक स्टडी हुई थी जिसमें बताया गया कि जिन लोगों को ज्यादा टेंशन या पैनिक डिसऑर्डर की समस्या रहती है उन्हें एएफआईबी होने का खतरा ज्यादा रहता है। 2022 की स्टडी में बताया गया कि तनाव एएफआईबी को ट्रिगर कर सकता है। स्ट्रेस और एंग्जाइटी हृदय के लिए घातक है।
एएफआईबी का इलाज क्या है?
एएफआईबी की पता ईसीजी मशीन से चलता है। यह मशीन आपके दिल की धड़कनों को रिकॉर्ड करती है। अगर रिपोर्ट में धड़कन अनियमित दिखे तो आपको एएफआईबी है।
लाइफस्टाइल में बदलाव-
- वजन नियंत्रित रखना
- नियमित व्यायाम
- शराब कम पीना या छोड़ना
- धूमप्रान छोड़ना
- नमक कम खाना
इसके अलावा दिल की धड़कन को नियमित रखने के लिए दवाइयां भी दी जाती है। इस बीमारी की वजह से स्ट्रोक का खतरा रहता है। दवाइयों के अलावा गंभीरता को देखते हुए सर्जरी भी की जाती है।
पैनिक अटैक का क्या इलाज है?
पैनिक अटैक का इलाज ज्यादातर मनोवैज्ञानिक तरीकों से किया जाता है। कभी-कभी दवाओं का भी सहारा लिया जाता है। इसमें कॉग्निटिव बिहेव्यरल थेरेपी दी जाती है जो नकारात्मक सोच और डर पैदा करने वाले विचारों की पहचान की जाती है और फिर उसे बदलना का काम किया जाता है। इलाज का मुख्य उद्देश्य तनाव कम करना, रिलेक्सेशन तकनीक सीखना, भावनात्मक कारणों को समझना और मुश्किल स्थितियों से निपटना शामिल है।
Disclaimer: यह आर्टिकल इंटरनेट पर उपलब्ध जानकारियों पर आधारित है। विस्तृत जानकारी के लिए आप अपने किसी डॉक्टर की सलाह लें।