क्या है, किस काम आता है रेयर अर्थ परमानेंट मैग्नेट, जिसके लिए सरकार ला रही योजना
रेयर अर्थ परमानेंट मैग्नेट को लेकर सरकार एक योजना ला रही है जिससे देश को आत्मनिर्भर बनाया जा सके। पर सवाल उठता है कि इसका प्रयोग कहां किया जाता है?

प्रतीकात्मक तस्वीर । Photo Credit: AI Generated
बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में एक बड़ी योजना को हरी झंडी मिल गई है। इस योजना का नाम है- सिंटर्ड रेयर अर्थ परमानेंट मैग्नेट्स के विनिर्माण को बढ़ावा देने की योजना। इसके लिए सरकार ने कुल 7,280 करोड़ रुपये खर्च करने का फैसला किया है।
केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने पत्रकारों को बताया कि इस योजना से देश में रेयर अर्थ परमानेंट मैग्नेट्स (Rare Earth Permanent Magnets) बनाने की क्षमता बढ़ेगी। योजना का लक्ष्य है कि भारत में हर साल 6,000 मीट्रिक टन तक इन चुंबकों का उत्पादन हो सके।
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क्या होते हैं रेयर अर्थ परमानेंट मैगने्ट्स
रेयर अर्थ परमानेंट मैग्नेट ऐसे मैग्नेट होते हैं जो कि रेयर अर्थ मटीरियल से बनाए जाते हैं और इनकी चुंबकीय क्षमता लंबे समय तक बनी रहती है। रेयर अर्थ परमानेंट मैग्नेट के कुछ उदाहरण नियोडिमियम आयरन बोरॉन और समेरियम कोबाल्ट इत्यादि हैं।
नियोडिमियम आयरन बोरॉन आज कल सर्वाधिक इस्तेमाल होने वाला रेयर अर्थ मटीरियल है और यह काफी ताकतवर होता है। वहीं समेरियम कोबाल्ट थोड़ा कम मजबूत, लेकिन उच्च तापमान को सहने लायक होता है।
रेयर अर्थ परमानेंट मैग्नेट की चुंबकीय शक्ति काफी होती है। यह 1.2–1.4 टेस्ला या उससे भी अधिक हो सकती है, जबकि सामान्य फेराइट मैग्नेट 0.5–1 टेस्ला के आसपास रहते हैं। साथ ही ये छोटे साइज में ही बहुत ज्यादा चुंबकीय ऊर्जा स्टोर कर सकते हैं, इसलिए कम साइज में के कॉम्पैक्ट डिवाइस के लिए के लिए आदर्श हैं।
कहां होता है इस्तेमाल?
रेयर अर्थ परमानेंट मैग्नेट का उपयोग आज लगभग हर आधुनिक हाई‑टेक मशीन और गैजेट में किसी‑न‑किसी रूप में होता है। इनका सबसे बड़ा उपयोग इलेक्ट्रिक मोटर और जनरेटर में होता है, जैसे इलेक्ट्रिक वाहन (EV), हाइब्रिड कारें, ई‑रिक्शा, ड्रोन, इंडस्ट्रियल रोबोट और CNC मशीनों के हाई‑टॉर्क, हाई‑एफ़िशिएंसी मोटर इन्हीं मजबूत मैग्नेट पर निर्भर रहते हैं। इसी तरह विंड टरबाइन के जेनरेटर में रेयर अर्थ मैग्नेट से कॉम्पैक्ट और ज्यादा एफिशिएंट पावर जेनरेशन संभव होता है, जिससे नवीकरणीय ऊर्जा सेक्टर इन पर बहुत निर्भर है।
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इसी तरह से इलेक्ट्रॉनिक्स और कंज़्यूमर डिवाइस में भी इनका उपयोग बहुत व्यापक है। स्मार्टफ़ोन, लैपटॉप, हार्ड‑ड्राइव, SSD के कुछ एक्ट्यूएटर, हाई‑क्वालिटी स्पीकर्स, ईयरफ़ोन, माइक्रोफ़ोन और कैमरा के ऑटो‑फ़ोकस मॉड्यूल में छोटे लेकिन बहुत शक्तिशाली नियोडिमियम मैग्नेट लगे होते हैं, जिससे कम जगह में बेहतर साउंड और तेज़ मैकेनिकल रिस्पॉन्स मिल पाता है। इसके अलावा, मैग्नेटिक लॉक, मैग्नेटिक चार्जिंग कनेक्टर, VR/AR डिवाइस और कई तरह के पोर्टेबल गैजेट्स में भी इन्हीं का इस्तेमाल होता है।
फूड प्रोसेसिंग, रिसाइक्लिंग में
कई इंडस्ट्रीज़ में रेयर अर्थ मैग्नेट का इस्तेमाल मैग्नेटिक सेपरेशन, मैटेरियल हैंडलिंग और सेंसरों में होता है। खनन, फूड प्रोसेसिंग और रीसाइक्लिंग प्लांट में धातु के छोटे‑छोटे कण छांटने के लिए शक्तिशाली मैग्नेटिक सेपरेटर लगाए जाते हैं, जहां हाई‑फील्ड स्ट्रेंथ के कारण रेयर अर्थ मैग्नेट ज्यादा प्रभावी साबित होते हैं। इंडस्ट्रियल मोटर, टॉर्क‑कपलिंग, मैग्नेटिक क्लच व ब्रेक, एन्कोडर और पोज़िशन/स्पीड सेंसर जैसी मशीनरी में भी ये मैग्नेट कॉम्पैक्ट और विश्वसनीय समाधान देते हैं।
मेडिकल फील्ड में
मेडिकल और वैज्ञानिक उपकरणों में भी इनका खास महत्व है। MRI मशीनों के कुछ मैग्नेटिक सिस्टम, हाई‑प्रिसिज़न लैब उपकरण, पार्टिकल सेपरेटर, NMR उपकरण, और विभिन्न प्रकार के सेंसिटिव सेंसर में रेयर अर्थ मैग्नेट का उपयोग होता है, क्योंकि इन्हें छोटे आकार में भी बहुत मजबूत और स्थिर चुंबकीय क्षेत्र चाहिए होता है। डिफ़ेंस और एयरोस्पेस सेक्टर में इन्हीं की मदद से रडार, मिसाइल गाइडेंस सिस्टम, सैटेलाइट के ऑल्टीट्यूड-कंट्रोल एक्टुएटर, एवियोनिक्स और नाइट‑विज़न जैसी हाई‑परफॉर्मेंस टेक्नोलॉजी को कॉम्पैक्ट और भरोसेमंद बनाया जाता है।
घरेलू और रोज़मर्रा के स्तर पर भी इनका उपयोग दिखता है, जैसे सेल्फ‑क्लोज़िंग अलमारी/कबर्ड के मैग्नेटिक कैच, मजबूत रेफ्रिजरेटर मैग्नेट, मैग्नेटिक टूल‑होल्डर रैक आदि में इसका उपयोग होता है।
कहां से खरीदता है भारत
अभी भारत रेयर अर्थ परमानेंट मैग्नेट (जैसे NdFeB मैग्नेट) के लिए लगभग पूरी तरह आयात पर निर्भर है और इसका मुख्य स्रोत चीन है। हाल के ट्रेड डेटा के अनुसार परमानेंट मैग्नेट (जिनमें ज़्यादातर रेयर अर्थ मैग्नेट हैं) के कुल आयात का लगभग 90–95% हिस्सा चीन से आता है; 2024–25 में भारत ने करीब 50–54 हज़ार टन परमानेंट मैग्नेट मंगाए, जिनमें लगभग 93% चीन से थे. चीन न केवल दुनिया का सबसे बड़ा रेयर अर्थ प्रोड्यूसर है, बल्कि लगभग 90% ग्लोबल प्रोसेसिंग क्षमता भी उसके पास है, इसलिए EV मोटर, विंड टरबाइन, इलेक्ट्रॉनिक्स आदि के लिए भारत की मैग्नेट सप्लाई चेन बहुत हद तक चीन पर टिकी हुई है।
भारत और जापान के बीच एक सरकारी समझौते के तहत भारत IREL के माध्यम से रेयर अर्थ ऑक्साइड जापान भेजता है और वहां उन्हें मैग्नेट में प्रोसेस किया जाता है, लेकिन तैयार रेयर अर्थ मैग्नेट की सप्लाई में चीन की हिस्सेदारी अभी भी सबसे ज़्यादा है. सरकार चीन पर निर्भरता कम करने के लिए घरेलू उत्पादन बढ़ाने, रेयर अर्थ ब्लॉक्स की नीलामी और जापान जैसे देशों के साथ सप्लाई अरेंजमेंट पर काम कर रही है, लेकिन निकट भविष्य में भी तैयार रेयर अर्थ मैग्नेट का मुख्य आयात स्रोत चीन ही रहने की संभावना है।
कैसे काम करेगी योजना?
यह योजना 6,000 टन प्रति वर्ष की कुल उत्पादन क्षमता को पांच चुनिंदा कंपनियों के बीच समान रूप से वितरित करके काम करेगी, जिसमें प्रत्येक कंपनी को अधिकतम 1,200 टन सालाना क्षमता आवंटित की जाएगी। कंपनियों का चयन पूरी तरह पारदर्शी और निष्पक्ष वैश्विक प्रतिस्पर्धी बोली (Global Competitive Bidding) प्रक्रिया के माध्यम से होगा, ताकि सबसे योग्य और कुशल उद्यम इस योजना में शामिल हो सकें। चयनित कंपनियों को अपनी अत्याधुनिक उत्पादन इकाइयां स्थापित करने के लिए दो वर्ष का पर्याप्त समय दिया जाएगा, जिसमें वे नवीनतम तकनीक और बुनियादी ढांचा विकसित कर सकेंगी।
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फैक्ट्री शुरू होने के बाद अगले पांच वर्षों तक सरकार इन कंपनियों को उनकी बिक्री पर आकर्षक प्रोत्साहन राशि (इंसेंटिव) प्रदान करेगी, जिससे उत्पादन लागत कम होगी और घरेलू तथा अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ेगी। इस तरह पूरी योजना सात वर्षों की होगी। पहले दो वर्ष निर्माण चरण के और उसके बाद पांच वर्ष संचालन एवं प्रोत्साहन चरण के। इस संरचित दृष्टिकोण से न केवल स्वदेशी उत्पादन क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि होगी, बल्कि रोजगार सृजन, तकनीकी उन्नति और आयात निर्भरता में कमी जैसे रणनीतिक लक्ष्य भी हासिल होंगे।
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