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रेयर अर्थ से सोयाबीन तक, कैसे अमेरिका को दबाव में ले रहा चीन?

अमेरिका से ट्रे़ड वॉर में रेयर अर्थ को हथियार के रूप में प्रयोग करने के बाद चीन ने अब नया दांव खेला है और उसने अमेरिका से सोयाबीन की खरीद नहीं की है।

Representational Image । X/@XHNews

प्रतीकात्मक तस्वीर । X/@XHNews

कभी अमेरिका के सोयाबीन के सबसे बड़ा खरीदार रहे चीन ने इस साल अमेरिका से सोयाबीन की बिल्कुल भी खरीदारी नहीं की। इस वजह से अमेरिका में सोयाबीन की कीमतें तेजी से गिर रही हैं और अमेरिकी किसान मुश्किल में हैं। यह स्थिति भी पहले जैसी ही है जब चीन ने ट्रे़ड वॉर में दुर्लभ खनिजों (रेयर अर्थ) का इस्तेमाल हथियार की तरह किया था। अब बारी सोयाबीन की है।

 

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि वह इस महीने दक्षिण कोरिया में होने वाले एशिया-पैसिफिक इकोनॉमिक को-ऑपरेशन (एपीईसी) सम्मेलन में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से इस मुद्दे पर बात करेंगे। ट्रंप ने अपनी सोशल मीडिया साइट ट्रुथ सोशल पर लिखा, 'चीन केवल ‘बातचीत’ के लिए हमारे सोयाबीन नहीं खरीद रहा। यह हमारे किसानों को नुकसान पहुंचा रहा है। सोयाबीन हमारी चर्चा का बड़ा मुद्दा होगा।'

 

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किसानों की चिंता

अमेरिका में सोयाबीन सिर्फ एक फसल भर नहीं, बल्कि 60 अरब डॉलर का उद्योग है, जो ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। इस साल अमेरिका में रिकॉर्ड फसल हुई, लेकिन खरीदार नहीं मिल रहे। चीन दुनिया के 61% सोयाबीन का खरीदार है और उसने इस साल अमेरिका से एक भी दाना नहीं खरीदा, जबकि पिछले साल उसने 12.6 अरब डॉलर की खरीदारी की थी।

 

आयोवा के किसान मोरी हिल ने कहा, 'अब बेचने का कोई फायदा नहीं है। अगर चीन के साथ जल्द सौदा नहीं हुआ, तो सोयाबीन बाजार में भारी नुकसान होगा।' कई किसान अपनी फसल स्टोर कर रहे हैं और कीमतें गिरने से परेशान हैं।

चीन की रणनीति

यह पहली बार नहीं है जब चीन ने ऐसा किया। इस साल की शुरुआत में उसने दुर्लभ खनिजों के निर्यात पर रोक लगाकर ट्रंप प्रशासन पर दबाव बनाया था। अब वह सोयाबीन का इस्तेमाल कर रहा है। नोमुरा होल्डिंग्स के अर्थशास्त्री लू टिंग ने कहा, 'अब अमेरिकी सोयाबीन चीन के लिए उतना जरूरी नहीं रहा। इसलिए वह इसे व्यापार में हथियार की तरह इस्तेमाल कर रहा है।'

 

चीन ने ब्राजील और अर्जेंटीना से सोयाबीन की खरीद बढ़ा दी है। सितंबर में उसने अर्जेंटीना से 20 लाख टन सोयाबीन खरीदा।

किसानों का गुस्सा

केंटुकी के किसान और अमेरिकन सोयाबीन एसोसिएशन के अध्यक्ष कैलेब रैगलैंड ने कहा, 'हमें बहुत गुस्सा है।' कई किसान, जिन्होंने 2024 में ट्रंप को वोट दिया, अब निराश हैं। नॉर्थ कैरोलिना की फसल वैज्ञानिक सारा टैबर ने कहा, 'किसानों को पता था कि ट्रंप क्या करेंगे, फिर भी उन्होंने उन्हें वोट दिया।' अगर दिसंबर तक कोई सौदा नहीं हुआ, तो अमेरिकी सोयाबीन वैश्विक बाजार में बिक्री का मौका खो सकता है।

चीन का दबाव

चीन ने अपनी रणनीति स्मार्ट तरीके से बनाई है। इसके लिए उसने ब्राजील की सोयाबीन की लगभग पूरी पैदावार को खरीद ली। अर्जेंटीना से कम टैक्स के समय में सोयाबीन लिया। सही समय पर अमेरिकी सोयाबीन पर रोक लगाई। चीन जानता है कि अमेरिकी किसान ट्रंप का समर्थन करते हैं और वह उन्हें दबाव में लाना चाहता है।

 

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ट्रंप का वादा

ट्रंप ने किसानों की मदद का वादा किया है। उन्होंने कहा, 'मैं इस हफ्ते कुछ किसानों के लिए काम करूंगा।' पहले भी 2019 और 2020 में ट्रंप ने ट्रे़ड वॉर और महामारी के समय किसानों को 45 अरब डॉलर की मदद दी थी। लेकिन कई किसान सरकारी मदद नहीं चाहते। आयोवा के किसान रॉब इवोल्डट ने कहा, 'हमें खुद कमाना पसंद है, न कि सरकारी मदद लेना।'

 

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