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'अपने लोगों पर बम गिराता है', UN के मंच से भारत की PAK को फटकार

संयुक्त राष्ट्र के मंच से भारत ने एक बार फिर पाकिस्तान को कड़ी फटकार लगाई है। भारत ने पाकिस्तान को अपने ही लोगों पर बमबारी करने वाला देश बताया है।

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UN में भारत के स्थायी प्रतिनिधि पर्वतनेनी हरीश। (Photo Credit: X@IndiaUNNewYork)

पाकिस्तान को अंतर्राष्ट्रीय मंच से भारत ने एक बार फिर फटकार लगाई है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के मंच से भारत ने पाकिस्तान की आलोचना करते हुए कहा कि वह एक ऐसा देश है जो अपने ही देशों पर बमबारी करता है। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि पर्वतनेनी हरीश ने कहा कि पाकिस्तान 'सुनियोजित नरसंहार' करता है और सिर्फ दुनिया को 'गुमराह करने की कोशिश' करता है।


भारत की यह टिप्पणी पाकिस्तान के उस बयान पर आई है, जिसमें उसने आरोप लगाया था कि कश्मीरी महिलाएं दशकों से यौन हिंसा का सामना कर रही हैं।


पाकिस्तान को जवाब देते हुए हरीश ने कहा, 'दुर्भाग्य से हर साल हमें अपने देश के खिलाफ, खासकर जम्मू-कश्मीर जिस पर वे कब्जा जमाए बैठे हैं, पाकिस्तान के भ्रामक तीखे हमले को सुनने को मिलते हैं।'

 

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पाकिस्तान को बताई उसकी हरकतें

संयुक्त राष्ट्र के मंच से भारतीय राजदूत हरीश ने पाकिस्तान को उसकी हरकतें भी गिनाईं। उन्होंने कहा, 'पाकिस्तान अपने ही लोगों पर बमबारी करता है और सुनियोजित नरसंहार करता है। वह केवल गुमराह करने की कोशिश कर सकता है।'

 


उन्होंने कहा कि पाकिस्तान एक ऐसा देश है जिसने 1971 में ऑपरेशन सर्चलाइट चलाया था और उनकी ही सेना ने 4 लाख महिलाओं के नरसंहार और सामूहिक बलात्कार को मंजूरी दी थी। उन्होंने कहा कि 'दुनिया पाकिस्तान के दुष्प्रचार को अच्छी तरह समझती है।'

 

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पिछले हफ्ते भी लगी थी पाकिस्तान को फटकार

पाकिस्तान एक ऐसा मुल्क है, जिसे भारत लगातार फटकारता रहता है। पिछले हफ्ते ही जिनेवा में हुए मानवाधिकार परिषद के 66वें सत्र में भारतीय राजदूत केएस मोहम्मद हुसैन ने पाकिस्तान को कड़ी फटकार लगाई थी।


हुसैन ने कहा था, 'यह विडंबना है कि दुनिया के सबसे खराब मानवाधिकार रिकॉर्ड वाले देशों में से एक देश दूसरों को उपदेश देना चाहता है।'


उन्होंने कहा था, 'भारत के खिलाफ मनगढ़ंत आरोपों के साथ इस मंच का दुरुपयोग करने की उनकी कोशिशें उनके पाखंड को ही उजागर करती हैं। बेबुनियाद प्रचार करने की बजाय उन्हें अपने ही मुल्क में उत्पीड़न और धार्मिक और जातीय अल्पसंख्यकों के साथ होने वाले भेदभाव को खत्म करना चाहिए।'

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