'दैवीय शक्ति से आया था आदेश', CJI पर जूता फेंकने वाले वकील ने क्या कहा
चीफ जस्टिस बीआर गवई पर जूता फेंकने की कोशिश करने वाले आरोपी वकील राकेश किशोर को अपने किए का कोई पछतावा नहीं है। उनका दावा है कि उन्हें ऐसा करने के लिए 'दैवीय शक्ति' से आदेश मिला था।

आरोपी वकील राकेश किशोर और चीफ जस्टिस बीआर गवई। (Photo Credit: Social Media/PTI)
सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को चीफ जस्टिस बीआर गवई के ऊपर एक वकील ने जूता फेंकने की कोशिश की। आरोपी वकील का नाम राकेश किशोर है। वह चीफ जस्टिस गवई की एक टिप्पणी से नाराज था। जूता फेंकते हुए राकेश किशोर ने 'सनातन का अपमान, नहीं सहेगा हिंदुस्तान' का नारा लगाया। इस घटना पर सीजेआई गवई ने कहा कि इन सब बातों से वह परेशान नहीं होते।
यह घटना सोमवार को सुबह 11:35 बजे हुई थी। सीजेआई गवई एक मामले की सुनवाई कर रहे थे, तभी आरोपी वकील राकेश किशोर ने अपना जूता निकालकर उनकी बेंच की तरफ फेंकने की कोशिश की।
इसके बाद बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) ने राकेश किशोर को सस्पेंड कर दिया। राकेश किशोर दिल्ली बार काउंसिल में रजिस्टर्ड थे। उनके सस्पेंशन का अंतरिम आदेश जारी करते हुए BCI अध्यक्ष और सीनियर एडवोकेट मनन मिश्रा ने कहा कि उनका यह कृत्य अदालत की गरिमा का उल्लंघन था। BCI ने यह भी कहा कि 15 दिन के भीतर कारण बताओ नोटिस जारी किया जाएगा, जिसमें यह साफ करने को कहा जाएगा कि आपके खिलाफ ऐसी कार्रवाई क्यों न जारी रखी जाए।
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अदालत में हुआ क्या था?
सोमवार को चीफ जस्टिस बीआर गवई कोर्ट नंबर-1 में एक मामले की सुनवाई कर रहे थे। तभी 11 बजकर 35 मिनट पर राकेश किशोर ने अपना जूता निकाला और उनकी बेंच की तरफ फेंकने की कोशिश की।
BCI ने उनके अंतरिम आदेश में बताया है कि जब सीजेआई गवई अदालती कार्यवाही कर रहे थे, तभी राकेश किशोर ने अपना स्पोर्ट्स शू निकाला और उनकी बेंच की तरफ फेंकने की कोशिश की। इसके बाद कोर्ट के सिक्योरिटी गार्ड ने उन्हें पकड़ लिया।
जिस वक्त यह घटना हुई, उस वक्त चीफ जस्टिस बीआर गवई के साथ बेंच पर जस्टिस के. विनोद चंद्रन बैठे थे। घटना के तुरंत बाद चीफ जस्टिस गवई ने इसे 'नजरअंदाज' करने को कहा। उन्होंने वकीलों से कार्यवाही जारी रखने का कहते हुए कहा, 'परेशान मत होइए। हम परेशान नहीं हैं। इन सब चीजों से असर नहीं पड़ता।' उन्होंने वकील को चेतावनी देकर छोड़ देने को कहा।
Man in lawyer’s robe hurls shoe towards Chief Justice of India BR Gavai during court proceedings in Supreme Court: Lawyers
— Press Trust of India (@PTI_News) October 6, 2025
इसके बाद सिक्योरिटी गार्ड उन्हें पकड़कर अदालत से बाहर ले गए। इस दौरान आरोपी वकील राकेश किशोर 'सनातन का अपमान, नहीं सहेगा हिंदुस्तान' के नारे लगा रहे थे।
इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में ही दिल्ली पुलिस ने तीन घंटे तक राकेश किशोर से पूछताछ की और लगभग दो बजे उन्हें जाने दिया गया। क्योंकि उनके खिलाफ कोई शिकायत दर्ज नहीं हुई थी। पुलिस ने उनके जूते भी लौटा दिए। न्यूज एजेंसी PTI ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि पुलिस को उनके पास से एक नोट भी मिला है, जिस पर 'सनातन का अपमान, नहीं सहेगा हिंदुस्तान' लिखा था।
पुलिस सूत्रों ने बताया, 'उनके पास सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन और शाहदरा बार एसोसिएशन का कार्ड था। पूछताछ के दौरान उनसे इसके पीछे का मकसद के बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया कि वह खजुराहो मंदिर परिसर में भगवान विष्णु की मूर्ति की पुनर्स्थापना की मांग वाली याचिका के दौरान चीफ जस्टिस गवई की टिप्पणी से नाखुश थे।'
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'मैं जेल जाने को तैयार'
वहीं, आरोपी वकील राकेश किशोर को अपने किए पर कोई पछतावा नहीं है। उनका कहना है कि वह जेल जाने को तैयार हैं।
राकेश किशोर ने हिंदुस्तान टाइम्स से कहा, 'अगर मैं जेल में होता तो बेहतर होता। मेरा परिवार मेरे किए से नाखुश है। वे समझ नहीं पा रहे हैं।'
राकेश किशोर दिल्ली के मयूर विहार के रहने वाले हैं। उन्होंने दावा किया कि उन्हें 'दैवीय शक्ति' से ऐसा करने का आदेश मिला था। खजुराहो मंदिर परिसर में भगवान विष्णु की मूर्ति की पुनर्स्थापना वाले मामले पर चीफ जस्टिस की टिप्पणी का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, 'उस फैसले के बाद मुझे नींद नहीं आई। ईश्वर मुझसे हर रात पूछ रहा था कि इतने अपमान के बाद मैं कैसे आराम कर सकता हूं।'
उन्होंने दावा किया कि चीफ जस्टिस गवई ने मॉरिशस में जब यह कहा कि 'भारत की न्याय व्यवस्था कानून के शासन से चलती है, बुलडोजर के शासन से नहीं' तो वह और भड़क गए।
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2011 से SCBA के अस्थायी सदस्य हैं किशोर
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, राकेश किशोर ने दावा किया है कि उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से मेडिकल एंटोमोलॉजी में PhD की है। उन्होंने यह भी दावा किया है कि वकालत के पेशे में आने से पहले उन्होंने WHO के लिए कंसल्टेंट के रूप में काम किया है।
उनका दावा है कि वह मानसिक रूप से स्वस्थ हैं। उनसे सोमवार को सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) के जॉइंट सेक्रेटरी मीनेश दुबे ने मुलाकात की। मीनेश दुबे ने बताया, 'वह 2011 से SCBA के अस्थायी सदस्य हैं लेकिन शायद ही कभी किसी मामले में पेश हुए हो।' उन्होंने कहा कि 'स्थायी सदस्य बनने के लिए किसी वकील को लगातार दो साल तक 20 मामलों में पेश होना होता है लेकिन उन्होंने कभी ऐसा नहीं किया।'
Bar Council of India suspends advocate Rakesh Kishore from practice in courts with immediate effect after he attempted to hurl a shoe at Chief Justice of India BR Gavai.
— ANI (@ANI) October 6, 2025
मीनेश दुबे ने बताया कि उन्हें अपने किए का कोई 'पछतावा' नहीं है। उन्होंने कहा, 'उनका कहना है वह सही थे और उन्होंने माफी मांगने से इनकार कर दिया।' उन्होंने कहा कि यह आस्था कम और ध्यान आकर्षित करने का मामला ज्यादा लग रहा था। उन्होंने संभावना जताई कि यह 'पब्लिसिटी स्टंट' भी हो सकता है।
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CJI की किस टिप्पणी से थे नाराज?
हाल ही में मध्य प्रदेश के खुजराहो के जवारी मंदिर में भगवान विष्णु की 7 फीट ऊंची खंडित मूर्ति की बहाली की मांग वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी थी। मंदिर में भगवान विष्णु की मूर्ति है, जिसका सिर नहीं है।
याचिका इसलिए खारिज की गई, क्योंकि जिस मूर्ति के जीर्णोद्धार की मांग की गई थी, वह पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के दायरे में आती है। चीफ जस्टिस बीआर गवई ने इसे 'पब्लिसिटी स्टंट' करार दिया।
चीफ जस्टिस गवई ने कहा था, 'जाओ और खुद भगवान से कुछ करने के लिए कहो। अगर तुम कह रहो हो कि तुम भगवान विष्णु के कट्टर भक्त हो तो तुम प्रार्थना करो और थोड़ा ध्यान करो।' याचिकाकर्ता ने कहा था कि मूर्ति का पुनर्निर्माण जरूरी है। इस पर चीफ जस्टिस गवई ने कहा कि खजुराहो मंदिर ASI के अधिकार क्षेत्र में आता है।
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