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धर्मांतरण विरोधी कानूनों पर लगेगी रोक? SC ने 9 राज्यों को भेजा नोटिस

जबरन धर्मांतरण पर रोक लगाने वाले कानूनों को लागू करने वाले 9 राज्यों को सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया है। इस नोटिस पर जवाब देते हुए 4 हफ्ते का समय दिया है।

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सुप्रीम कोर्ट। (Photo Credit: PTI)

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अलग-अलग राज्यों में जबरन धर्मांतरण को रोकने के लिए लाए गए कानूनों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर इन कानूनों पर रोक लगाने की मांग की गई है। इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट ने राज्यो को नोटिस जारी किया है। इस नोटिस पर राज्यों से 4 हफ्ते के भीतर जवाब मांगा है। 


जबरन धर्मांतरण के खिलाफ उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, गुजरात, हरियाणा, झारखंड और कर्नाटक में कानून हैं। इन्हीं कानूनों पर रोक लगाने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दायर हुई हैं। इन याचिकाओं पर मंगलवार को चीफ जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस के विनोद चौहान की बेंच ने सुनवाई की।


इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने सभी 9 राज्यों को नोटिस जारी किया है। नोटिस पर जवाब देने के लिए अदालत ने 4 हफ्ते का समय दिया है। इस मामले पर अब अगली सुनवाई 6 हफ्ते बाद होगी।

 

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किस आधार पर दी गई चुनौती?

कुछ सालों में कई राज्यों में जबरन धर्मांतरण पर नकेल कसने के लिए कानून लागू किए हैं। इनमें ज्यादातर बीजेपी शासित राज्य हैं। इन कानूनों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है।


सिटीजन फॉर जस्टिस एंड पीस ने भी इन्हें चुनौती दी है। संस्था की तरफ से पेश सीनीयर एडवोकेट चंदर उदय सिंह ने कहा कि इस मामले पर सुनवाई बेहद जरूरी है, क्योंकि इन राज्य इन कानूनों को और सख्त बनाने के लिए संशोधन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि राज्य इन कानूनों को 'धार्मिक स्वतंत्रता कानून' कह रहे हैं लेकिन ये अल्पसंख्यकों की धार्मिक स्वतंत्रतो को सीमित कर रहे हैं और अंतर्धार्मिक शादियां और धार्मिक प्रथाओं को निशाना बना रहे हैं।

 


उन्होने कहा कि 2024 में उत्तर प्रदेश सरकार ने कानून में संशोधन करके शादी के बाद जबरदस्ती धर्मांतरण के मामले में सजा को 20 साल कर दिया है, जिसे आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है। इसके साथ ही मनी लॉन्ड्रिंग कानून जैसी जमानत की शर्तें लगा दी गई हैं। उन्होंने दलील दी कि इस कानून में संशोधन कर थर्ड पार्टी को भी शिकायत करने की इजाजत दे दी गई है। 


नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन वुमेन की ओर से पेश एडवोकेट वृंदा ग्रोवर ने भी सुप्रीम कोर्ट को बताया कि उनकी मुवक्किल ने भी कानूनों पर रोक लगाने के लिए याचिका दायर की है। उन्होंने बताया कि 2021 में गुजरात हाई कोर्ट ने गुजरात सरकार के कानून के कुछ प्रावधानों पर रोक लगा दी थी। इसके साथ ही मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने भी इसी तरह का आदेश दिया था। 

 

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सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

धर्मांतरण कानूनों पर रोक लगाने की मांग वाली याचिकाओं पर चीफ जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस के विनोद चौहान की बेंच ने सुनवाई की।


बेंच ने जबरन धर्मांतरण पर रोक लगाने वाले कानून लागू करने वाले 9 राज्यों को नोटिस जारी किया है। राज्यों की तरफ से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज से 4 हफ्तों में जवाब दाखिल करने को कहा है। 


चीफ जस्टिस ने सभी राज्यों को नोटिस जारी किया है और 4 हफ्ते में जवाब मांगा है। राज्यों के जवाब पर अपना जवाब दाखिल करने के लिए याचिकाकर्ताओं को दो हफ्ते का समय दिया है। इस मामले पर अब 6 हफ्ते बाद सुनवाई होगी।


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