केंद्र की मोदी सरकार ने वोडाफोन-आइडिया को बड़ी राहत दी है। सरकार अब वोडाफोन-आइडिया में और हिस्सेदारी खरीदने जा रही है। सरकार अब 36,950 करोड़ रुपये की 26.39% हिस्सेदारी खरीदेगी। सरकार कंपनी में इसलिए पैसा लगा रही है, क्योंकि उस पर स्पेक्ट्रम नीलामी का बकाया था। अब इस बकाये की जगह सरकार हिस्सेदारी खरीद लेगी। 

4 पॉइंट्स में समझें पूरी ABCD

  • सरकार ने क्या किया?: केंद्र सरकार ने वोडाफोन-आइडिया पर स्पेक्ट्रम नीलामी का जो बकाया था, उसे इक्विटी शेयर में बदल दिया। इसका मतलब यह हुआ कि कंपनी पर जितना बकाया रह गया था, अब वो शेयर में बदल जाएगा।
  • कंपनी क्या करेगी?: वोडाफोन-आइडिया अब 30 दिन के भीतर 3,695 करोड़ इक्विटी शेयर जारी करेगी। एक शेयर की कीमत 10 रुपये होगी। हालांकि, अभी कंपनी को इसके लिए सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) की मंजूरी लेनी होगी।
  • सरकार को क्या मिला?: अब वोडाफोन-आइडिया में सरकार की हिस्सेदारी बढ़कर 48.99% हो जाएगी। इससे पहले 2023 में सरकार ने 16,130 करोड़ रुपये में 22.60% हिस्सेदारी खरीदी थी। वह हिस्सेदारी भी ऐसे ही ली गई थी।
  • कंपनी को क्या मिला?: वोडाफोन-आइडिया को राहत मिल गई है। उसे अपना बकाया नहीं चुकाना होगा। हालांकि, इसके एवज में सरकार को हिस्सेदारी देनी होगी। हालांकि, अभी भी कंपनी का ऑपरेशनल कंट्रोल प्रमोटर्स के पास ही होगा।

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अब थोड़ा डिटेल में समझते हैं

सितंबर 2021 में केंद्र सरकार ने टेलीकॉम कंपनियों के लिए एक राहत पैकेज की घोषणा की थी। इसमें स्पेक्ट्रम नीलामी की बकाया रकम को इक्विटी शेयर में बदलने का फैसला शामिल था।


केंद्र सरकार ने सितंबर 2022 में सबसे पहले 16,130 करोड़ रुपये के शेयर खरीदने का फैसला लिया था। तब भी सरकार ने 10 रुपये की कीमत के हिसाब से एक शेयर खरीदा था। इससे सरकार को कंपनी में 22.6% की हिस्सेदारी मिल गई थी। हालांकि, यह सबकुछ फाइनल होने में कुछ महीने लग गए थे।


अब सरकार ने 36,950 करोड़ रुपये में 26.39% हिस्सेदारी खरीदने का फैसला लिया है। सरकार ने कंपनी पर स्पेक्ट्रम नीलामी का जो बकाया था, उसे इक्विटी शेयर में बदल दिया। कुल मिलाकर अब तक सरकार वोडाफोन-आइडिया को 53,080 करोड़ रुपये की राहत दे चुकी है।


शेयर की कीमत 10 रुपये इसलिए तय हुई है, क्योंकि कंपनी एक्ट 2013 की धारा 53 कहती है कि ऐसी डील के तहत जारी होने वाले शेयर की कीमत पिछले 90 दिन की ट्रेडिंग में उसके सबसे ज्यादा होगी। वोडाफोन-आइडिया के शेयर की कीमत जनवरी में 10 रुपये तक पहुंच गई थी।


इसके बाद कंपनी में वोडाफोन-आइडिया की हिस्सेदारी भी घट जाएगी। अब वोडाफोन की हिस्सेदारी 24.4% से घटकर 16.1% और आदित्य बिड़ला ग्रुप की हिस्सेदारी 14% से घटकर 9.4% हो जाएगी। 

 

 

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मगर इसकी जरूरत क्यों पड़ी?

सरकार ने ऐसा इसलिए किया, क्योंकि वोडाफोन-आइडिया की माली हालत कुछ अच्छी नहीं है। दिसंबर 2024 तक कंपनी पर 2.3 लाख करोड़ रुपये का कर्ज था। इसमें 77 हजार करोड़ AGR और 1.4 लाख करोड़ स्पेक्ट्रम का बकाया है। 


माना जा रहा है कि केंद्र सरकार से मिलने वाली राहत से वोडाफोन-आइडिया को कर्ज लेने के लिए 2 साल का समय मिल गया। उम्मीद है कि इससे कंपनी 25 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का कर्ज उठा सकती है, क्योंकि सरकारी हिस्सेदारी होने से कर्ज देने वालों का भरोसा कंपनी पर बढ़ जाता है।


इसके अलावा, वोडाफोन का नाम दुनिया की बड़ी टेलीकॉम कंपनियों में आता है। अगर कंपनी बंद होती तो इससे भारतीय बाजार को लेकर गलत मैसेज जाता। सरकार ऐसा नहीं चाहती थी। इतना ही नहीं, वोडाफोन-आइडिया के बंद होने से मार्केट में सिर्फ जियो और एयरटेल ही रह जाती। इससे मार्केट में कंपीटिशन खत्म हो जाता।

 

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तो क्या इससे कंपनी को राहत मिलेगी?

पूरी राहत तो नहीं मिली है लेकिन थोड़ी राहत जरूर मिल गई है। कंपनी के ऊपर अब स्पेक्ट्रम नीलामी का बकाया चुकाने की टेंशन थोड़ी कम हो गई है। सरकार की हिस्सेदारी बढ़ने से नया कर्ज मिलने में भी आसानी हो सकती है।


हालांकि, जानकारों का मानना है कि इससे कंपनी को बहुत खास फायदा होने वाला नहीं है। वह इसलिए, क्योंकि यह रकम कंपनी के लिए कमाई का रास्ता नहीं बनाएगी। वोडाफोन-आइडिया के पास अभी भी अपना सब्सक्राइबर बेस बढ़ाने और नेटवर्क को अपग्रेड करने की चुनौती है। 


ऐसी खबरें हैं कि कंपनी अपने 5G नेटवर्क को अपग्रेड करने के लिए अगले तीन साल में 50 से 55 हजार करोड़ खर्च करने जा रही है। हालांकि, इसके बाद भी कंपनी को जियो और एयरटेल का मुकाबला करने में काफी चुनौतियां आएंगी, क्योंकि इन कंपनियों का नेटवर्क वोडाफोन-आइडिया की तुलना में बेहतर है।

 

 

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अभी कैसी है कंपनी की हालत?

2016 में जियो के आने के बाद वोडाफोन और आइडिया के सब्सक्राइबर्स तेजी से कम हुए थे। आखिरकार अगस्त 2018 में दोनों कंपनियों का मर्जर हो गया। यह टेलीकॉम इंडस्ट्री के इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा मर्जर था।


टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (TRAI) की रिपोर्ट के मुताबिक, दिसंबर 2024 तक वोडाफोन-आइडिया के पास 20.72 करोड़ सब्सक्राइबर्स थे। इससे पहले नवंबर में इनकी संख्या 20.89 करोड़ थी। यानी, एक महीने में ही कंपनी के 17 लाख से ज्यादा सब्सक्राइबर्स कम हो गए।


हालांकि, अब कंपनी की माली हालत थोड़ी ठीक हो रही है। BSE की वेबसाइट पर मौजूद जानकारी के मुताबिक, मार्च 2024 तक कंपनी 31,236 करोड़ रुपये के घाटे में थी। हालांकि, दिसंबर 2024 तक कंपनी का घाटा कम होकर 6,493 करोड़ रुपये हो गया। अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में कंपनी की कमाई भी थोड़ी बढ़कर 11,265 करोड़ रुपये हो गई।

 

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सरकार के पास पहले से ही BSNL

केंद्र सरकार के पास अभी BSNL है। इसमें सरकार की 100 फीसदी हिस्सेदारी है। कई सालों से BSNL घाटे में चल रही थी। हालांकि, अब यह कंपनी मुनाफे में आने लगी है। अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में कंपनी को 262 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ था। 2007 के बाद यह पहली बार था जब कंपनी फायदे में आई थी। दिसंबर 2024 तक BSNL के सब्सक्राइबर्स की संख्या 9.17 करोड़ है।