अमेरिका की यूटा यूनिवर्सिटी में पिछले हफ्ते चार्ली कर्क की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। हत्या के इल्जाम में टायलर रॉबिन्सन को गिरफ्तार किया जा चुका है। अब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ऐलान किया है कि वह 'एंटीफा' या 'Antifa' को 'आतंकी संगठन' घोषित किया है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी चेतावनी दी है कि जो कोई भी इसके लिए फंडिंग करता है, उसकी जांच की जाएगी और उस पर सख्त से सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
बुधवार को ट्रुथ सोशल पर ट्रंप ने एंटीफा को एक 'बीमार, खतरनाक और कट्टरपंथी वामपंथी' के साथ-साथ 'आतंकवादी संगठन' बताया है। ट्रंप ने यह भी कहा कि एंटीफा को फंडिंग करने वालों की गहन जांच की जाएगी।
हालांकि, ट्रंप ने यह नहीं बताया कि वह असल में किसे या किस चीज को 'आतंकी संगठन' घोषित किया है, क्योंकि यह कोई संगठन नहीं है, बल्कि यह एक विचारधारा या आंदोलन है। एंटीफा असल में 'फासीवाद-विरोधी' विचारधारा का शॉर्ट फॉर्म है। इसका न तो कोई नेता है और न ही कोई सदस्य।

इससे पहले सोमवार को व्हाइट हाउस के अधिकारियों का कहना था कि वे एक 'आतंकवादी आंदोलन' को खत्म कर देंगे, जिसके बारे में उनका दावा है कि चार्ली कर्क की हत्या इसी के कारण हुई थी।
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क्यों हुई थी चार्ली कर्क की हत्या?
चार्ली कर्क एक दक्षिणपंथी एक्टिविस्ट थे और डोनाल्ड ट्रंप के करीबियों और भरोसेमंद में उनकी गिनती होती थी। पिछले हफ्ते 10 सितंबर को चार्ली जब यूटा यूनिवर्सिटी में एक इवेंट थे, तभी गोली मारकर उनकी हत्या कर दी गई थी।
31 साल के चार्ली जब प्रेजेंटेशन दे रही थी, तभी उन्हें गोली मारी गई थी। उन्हें दूर से गोली मारी गई थी। चार्ली की हत्या को ट्रंप ने अमेरिका के लिए 'डार्क मोमेंट' बताया था।
हत्या के कुछ दिन बाद टायलर रॉबिन्सन को गिरफ्तार किया गया था। व्हाइट हाउस के डिप्टी चीफ ऑफ स्टाफ स्टीफन मिलर ने कहा था कि ट्रंप सरकार हत्या को अंजाम देने वाली सोच और इन आतंकी नेटवर्क को जड़ से उखाड़ फेंकेगी।
हालांकि, अभी तक चार्ली की हत्या की असली वजह सामने नहीं आई है। जांच एजेंसियों ने भी इस बारे में अब तक कुछ नहीं बताया है। दक्षिणपंथियों ने चार्ली की हत्या के लिए वामपंथी विचारधारा को जिम्मेदार ठहराया है।
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मगर यह 'एंटीफा' है क्या?
एंटीफा कोई संगठन नहीं है, बल्कि यह एक विचारधारा है। इसका मतलब है- एंटी-फासिस्ट यानी फासीवाद-विरोधी।
इसमें ऐसे लोग होते हैं जो दक्षिणपंथ, फासीवाद और नस्लवाद का विरोध करते हैं। ऐसी विचारधारा को मानने वाले अपनी हिंसक गतिविधियों को आत्मरक्षा के रूप में जायज ठहराते हैं।
एंटीफा के सदस्य आमतौर पर काले कपड़े पहनते हैं। ये लोग खुद को एक विरोध परंपरा का हिस्सा मानते हैं, जो दूसरे विश्व युद्ध से पहले नाजी जर्मनी और फासीवादी इटली के विरोधियों से जुड़ी है।
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अमेरिका में 'एंटीफा' का कितना प्रभाव?
माना जाता है कि 1980 के दशक से ही अमेरिका में एंटीफा विचारधारा को मानने वालों की संख्या बढ़ने लगी थी। 12 अगस्त 2017 को चार्लोट्सविले में हिंसा भड़की थी। इस दौरान व्हाइट सुप्रीमेसी को चुनौती दी गई थी। इस हिंसक झड़पों में भी एंटीफा से जुड़े लोगों का नाम आया था।
पिछले कुछ सालों में एंटीफा को मानने वाले लोगों की ऐसी रैलियों और विरोध प्रदर्शनों में शामिल होने की संख्या बढ़ गई है, जो दक्षिणपंथ के खिलाफ होते हैं। मसलन, जून 2016 में एंटीफा के प्रदर्शनकारियों ने कैलिफोर्निया के सैक्रामेंटो में एक नियो-नाजी रैली का विरोध प्रदर्शन किया था, जिसमें 5 लोगों को चाकू से मार दिया गया था।
2017 की फरवरी, मार्च और अप्रैल में एंटीफा से जुड़े लोगों ने कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी और बर्कले में दक्षिणपंथी प्रदर्शनकारियों पर ईंटों, पाइपों और हथौड़ों से हमला कर दिया था।
जुलाई 2019 में कथित तौर पर एंटीफा से जुड़े विलियम वैन स्प्रोन्सन ने वॉशिंगटन के टैकोमा में ICE के डिटेंशन सेंटर पर प्रोपेन टैंक से बमबारी करने की कोशिश की थी लेकिन पुलिस ने उसे मार गिराया था।
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इसे आतंकी संगठन कैसे घोषित करेंगे ट्रंप?
'एंटीफा' अगर कोई संगठन होता तो इसे आतंकी संगठन घोषित किया भी जा सकता है। मगर यह एक विचारधारा है, जिस पर प्रतिबंध लगाना मुश्किल है।
ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल में भी एंटीफा को आतंकी संगठन घोषित करने की धमकी दी थी। 2020 में FBI के पूर्व डायरेक्टर क्रिस्टोफर रे ने कहा था कि एंटीफा कोई स्ट्रक्चर्ड ग्रुप नहीं है, इसलिए इसे टेरर लिस्ट में डालना मुश्किल है। क्रिस्फोटर रे, ट्रंप की पहले कार्यकाल में FBI डायरेक्टर थे।
हालांकि, अब ट्रंप ने फिर ऐलान किया है कि वह 'एंटीफा' को आतंकी संगठन घोषित करने का ऐलान किया है।
