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डोनाल्ड ट्रंप से हो सकती है शहबाज शरीफ की मुलाकात, क्या है एजेंडा?

भारत और पाकिस्तान के तनाव के बीच चर्चा है कि पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ जल्द ही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात कर सकते हैं।

donald trump and shahbaz sharif

डोनाल्ड ट्रंप और शहबाज शरीफ, Photo Credit: Social Media

पाकिस्तान के अखबार खैबर न्यूज के हवाले से बताया गया है कि प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ अगले हफ्ते अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात कर सकते हैं। इस मुलाकात में सेना प्रमुख, फील्ड मार्शल असीम मुनीर भी साथ होंगे। दोनों 25 सितंबर को संयुक्त राष्ट्र महासभा से इतर डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात करेंगे।


रिपोर्ट के अनुसार, इस बैठक का एजेंडा पाकिस्तान में आए विनाशकारी बाढ़ से लेकर कतर पर इजरायली हमले के परिणामों जैसे कई मुद्दों पर चर्चा हो सकती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस उच्च-स्तरीय वार्ता में नई दिल्ली और इस्लामाबाद के बीच राजनयिक तनाव पर भी चर्चा होने की उम्मीद है।

 

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अभी तक इस यात्रा के बारे में इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस या वॉशिंगटन स्थित पाकिस्तान दूतावास की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है लेकिन इस तरह की अटकलें असीम मुनीर की लगातार दो वॉशिंगटन यात्राओं के बाद आई है।

अमेरिका-पाक संबंधों में सुधार

अमेरिका और पाकिस्तान के बीच संबंधों में एक नया मोड़ तब आया, जब डोनाल्ड ट्रंप ने पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर को व्हाइट हाउस बुलाया। इतना ही नहीं उनका गर्मजोशी से स्वागत किया गया। दोनों के बीच व्यापार, आर्थिक विकास और क्रिप्टोकरेंसी जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा हुई।

 

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असीम मुनीर की यात्रा के दौरान अमेरिका ने पाकिस्तान के साथ एक व्यापार समझौते की घोषणा की थी। इसमें वॉशिंगटन ने इस्लामाबाद को उसके विशाल तेल भंडार विकसित करने में मदद करने का आश्वासन दिया था। इसके अलावा, मई में भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव के दौरान डोनाल्ड ट्रंप के कथित हस्तक्षेप ने अमेरिका और पाकिस्तान के संबंधों को मजबूत किया।

भारत करता रहा है इनकार

मई में डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पाकिस्तान के बीच हुए सीजफायर का क्रेडिट लिया था। तब इस्लामाबाद भी उनके साथ खड़ा था और बिना किसी सवाल के अमेरिका को पूरा क्रेडिट दे रहा था। हालांकि, भारत ने शुरुआत से ही इस दावे का पुरजोर खंडन किया है। शुरुआत के कुछ दिनों तक पाकिस्तान की ओर से यह कहा जा रहा था कि दोनों देशों के DGMO की चर्चा के बाद सीजफायर हुआ है लेकिन कुछ समय बाद वह पूरा क्रेडिट वॉशिंगटन को देने लगा।

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