डायबिटीज एक ऐसी बीमारी है जिसमें व्यक्ति के शरीर में ब्लड शुगर का लेवल सामान्य से अधिक होता है। ऐसा तब होता है जब शरीर में इंसुलिन सही से नहीं बन पाता है। डायबिटीज दो प्रकार का होता है। टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज। पिछले कुछ सालों में टाइप 2 डायबिटीज के मामले तेजी से बढ़े हैं।  

 

द लेसेंट की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में 2022 तक 212 मिलीयन लोग डायबिटीज से पीड़ित हो चुके हैं। आज के समय में ज्यादातर लोग के घर में कोई न कोई डायबिटीज का मरीज होता ही है। इस वजह से लोग घर में ही डायबिटीज की मशीन रखते हैं। कई लोग अस्पताल में भी डायबिटीज का टेस्ट करवाते हैं। खून में ग्लूकोज का लेवल जांच करने के लिए ग्लूकोज मॉनिटर और कंटिन्युअस ग्लूकोज मॉनिटर (सीजीएम) का इस्तेमाल किया जाता है। क्या आप जानते हैं दोनों में से शुगर जांचने के लिए कौन सा ज्यादा बेहतर होता है? हमने इस बारे में एमबीबीएस (MBBS), एमीडी (MD) डॉक्टर राकेश झा से बात की।

 

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ब्लड ग्लूकोजमीटर मॉनिटर

डायबिटीज के बहुत से मरीज अपनी ऊंगली की एक बूंद खून लेकर शुगर मीटर से ग्लूकोज के स्तर की जांच करते हैं। यह फिंगरस्टिक टेस्ट आपको उस क्षण का ग्लूकज स्तर बताता है। कई लोगों को दिन में कई बार यह जांच करनी पड़ती है। इस वजह से रीडिंग्स में काफी फर्क दिखता है। हालांकि इसकी रीडिंग्स को सही माना जाता है।

कंटिन्युअस ग्लूकोज मॉनिट (CGM)

CGM (कंटिन्युअस ग्लूकोज मॉनिटर) खून में शुगर को जांचने का नया तरीका है। यह आपके शरीर में ग्लूकोज के लेवल को मापने की बजाय त्वचा के नीचे मौजूद फ्लूड में ग्लूकोज के स्तर को मापता है। इसे एप्लीकेटर की मदद से पेट या बांह की त्वचा के नीचे लगाया जाता है। इसमें मौजूद सेंसर एक टेप की मदद से अपनी जगह पर टिका रहता है।

ब्लड ग्लूकोज मीटर के फायदे और नुकसान

ब्लड ग्लूकोज मीटर आमतौर पर स्टीक होता है और इसे इस्तेमाल करना भी आसान होता है। यह मशीन ज्यादा महंगी नहीं है। यह किसी भी आम व्यक्ति के बजट में है जिसे आप कहीं से भी खरीद सकते हैं। हालांकि हर तकनीकी उपकरण में कुछ खामियां भी होती है। उदाहरण के तौर पर जब आप स्ट्रिप को सही तरीके से स्टोर नहीं करते हैं तो उनमें समस्या आ सकती है। अगर आपका डिवाइस या स्ट्रिप्स बहुत गर्म और ठंडे तापमान में रखे जाएं तो वह खराब हो सकते हैं।

 

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CGM के फायदे और नुकसान

यह डिवाइस सुरक्षित है लेकिन इसके तकनीकी पहलुओं को समझने में थोड़ा समय लग सकता है। उदाहरण के लिए आपको यह सीखना होगा कि सेंसर कैसे लगाया जाता है, डेटा कैसे ट्रांसफर होता और अलार्म कैसे सेट होता। इस डिवाइस के कई फायदे भी हैं। इसके डेटा की मदद से आप समय समय पर ग्लूकोज लेवल को चेक कर सकते हैं। इसे डेटा का इस्तेमाल आप ट्रेंड और पैटर्न पता करने के लिए भी कर सकते हैं कि कब आपके शरीर में शुगर का लेवल बढ़ता है। इनमें से अधिकतर डिवाइस में अलार्म सेट होता है जो ब्लड में ग्लूकोज का लेवल बहुत कम या बहुत ज्यादा होने पर अलर्ट करता है। इसकी मदद से आप आने वाली बड़ी समस्याओं से बच सकते हैं। CGM थोड़ा महंगा होता है।

 

डॉक्टर रॉकेश झा ने बताया, 'दोनों मशीन सही से काम करती है। यह मरीज के शुगर लेवल और हेल्थ कंडीशन पर निर्भर करती है। कुछ मरीजों को हर समय शरीर में शुगर का लेवल चेक करना होगा। कुछ मरीजों को इसकी जरूरत नहीं होता है। उन्होंने आगे कहा कि अगर आपको स्टीक परिणाम चाहिए तो सीजीएम ज्यादा बेहतर होता है'।