ब्रीथिंग एक्सरसाइज सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होता है। रोजाना ब्रीथिंग एक्सरसाइज करने से फेफड़े अच्छे से काम करते हैं। इसके अलावा आप बीमारियों से भी बच सकते हैं। योग में भी प्राणायाम के महत्व को समझाया गया है। हम दो तरह से सांस लेते हैं एक मुंहे से दूसरा नाक से। क्या आप जानते हैं दोनों में से फफेड़े के लिए कौन सा बेहतर होता है और क्यों। आइए हम बताते हैं।

 

ऑक्सीजन इनटेक

जब हम नाक से सांस (ऑक्सीजन) लेते हैं तो हमारे नोसट्रिल्स से गुजरते हुए नैसल पैसज में जाता है। नाक में मौजूद नोसट्रिल्स हवा को साफ करके भेजता है। जबकि आप मुंह से सांस लेते हैं तो हवा सीधे लंग्स में जाती है। ये आपके सेहत के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है।

 

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हवा को करता है साफ

 

हमारे नाक में मौजूद छोटे-छोटे बाल जिसे सिलिया कहते हैं और म्यूकस गंदगी और बैक्टीरिया को आगे नहीं जाने देता है। इससे हमारे फेफड़े किसी भी तरह के संक्रमण से बचे रहते हैं। हालांकि जब मुंह से सांस लेते हैं तो सभी जर्म और किटाणु सीधा हमारे फेफड़े में पहुंच जाते हैं। इस वजह से फेफड़े में एलर्जी और संक्रमण होने का खतरा बढ़ जाता है।

 

कार्बन डाईऑक्साइड को करता है बैलेंस 

 

हमारे शरीर को सही मात्रा में ऑक्सीजन और कार्बन डाईऑक्साइड की जरूरत होती है। नाक से सांस लेने में शरीर में कार्बन डाईऑक्साइड का लेवल मेंटेन रहता है जिससे ब्लड वेसल्स सामान्य रहती है और फेफड़े अच्छे से काम करते हैं। मुंह से सांस लेने में कई बार ये बैलेंस बिगड़ जाता है। इस वजह से आपको चक्कर आना, एंग्जाइटी और हाई ब्लड प्रेशर की समस्या हो सकती है।

 

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नींद और खराटे पर पड़ता है प्रभाव

 

जिन लोगों को खराटे की समस्या होती है वे लोग ज्यादातर मुंह से सांस लेते हैं।  मुंह से सांस लेने वालों को खराटे, स्लीप एपिनिया और अनिद्रा की समस्या होती है। वहीं, जो लोग नाक से सांस लेते हैं उन्हें अच्छी नींद आती हैं, खराटे कम हो जाते हैं और शरीर को पर्याप्त मात्रा में आराम मिलता है।

 

Disclaimer: यह आर्टिकल इंटरनेट पर उपलब्ध जानकारियों और सामान्य बातचीत पर आधारित है। खबरगांव इसकी पुष्टि नहीं करता है। विस्तृत जानकारी के लिए आप अपने किसी डॉक्टर की सलाह लें।