अमेरिका और चीन के बीच जारी ट्रेड वार थमता दिख रहा है। लंबी बातचीत के बाद दोनों देश टैरिफ कटौती पर राजी हो चुके हैं। चीन और अमेरिका के बीच जारी टैरिफ वार ने दुनियाभर में मंदी की आशंका बढ़ा दी थी। अमेरिका समेत दुनियाभर के वित्तीय बाजारों को बड़ा झटका लगा था। शेयर बाजार में गिरावट देखने को मिल रही थी। डोनाल्ड ट्रंप ने अप्रैल महीने में चीनी सामान पर 145 फीसदी टैरिफ का एलान किया था। जवाब में चीन ने अमेरिकी सामान पर 125% टैरिफ लगाया था। मगर अब सहमति के बाद अमेरिका चीन पर 30% और चीन अमेरिका पर 10% टैरिफ लगाएंगे। यह समझौता अभी 90 दिन तक लागू रहेगा। 

दुनियाभर के बाजार में दिखी तेजी

अमेरिका-चीन समझौते के एलान के बाद यूरोप और एशिया के शेयरों में तेजी देखने को मिली है। यूरोप के स्टॉक्स 600 में 1 फीसदी की तेजी और जर्मनी का DAX
1 वर्ष के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया। हांगकांग में सूचीबद्ध शेयरों में लगभग 3% की बढ़ोतरी दर्ज की गई। अमेरिकी स्टॉक वायदा में भी तेजी देखने को मिली है। नैस्डैक वायदा  3.8% बढ़ा है। एसएंडपी 500 वायदा 2.8% और डौजोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज वायदा 3.1% बढ़ा है। डॉलर में भी तेजी आई है। 

 

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कम होगी मंदी की आशंका

डोनाल्ड ट्रंप ने अपने देश के व्यापार घाटे को कम करने के उद्देश्य से चीन पर टैरिफ लगाया था। मगर आशंका यह जताई जाने लगी थी कि इससे अमेरिका समेत दुनियाभर में मंदी आ सकती है, क्योंकि दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के बीच ट्रेड वार का आसार व्यापक होगा। मगर अब मंदी की चिंता को कम करने में मदद मिल सकती है।

अमेरिका बोला- हम व्यापार चाहते हैं

ट्रंप की सत्ता में वापसी के बाद जिनेवा में अमेरिका और चीनी अधिकारियों के बीच पहली बार सीधे बातचीत का दौर शुरु हुआ। मीटिंग के बाद अमेरिकी ट्रेजरी सचिव स्कॉट बेसेंट ने कहा कि दोनों देशों ने अपने राष्ट्रीय हितों का अच्छे से प्रतिनिधित्व किया। हम दोनों की रुचि संतुलित व्यापार में है। अमेरिका इस दिशा में आगे बढ़ना जारी रखेगा। उन्होंने आगे कहा कि ऊंची टैरिफ दर से जो भी हुआ, वह प्रतिबंध जैसा था। कोई भी पक्ष ऐसा नहीं चाहता है। हम व्यापार चाहते हैं। 

 

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टैरिफ के बाद क्या हुआ?

  • टैरिफ के बाद अमेरिका और चीन के बीच लगभग 600 बिलियन डॉलर का व्यापार ठप्प हो गया था।
  • वैश्विक आपूर्ति श्रंखला को भी बाधा पहुंची थी। 
  • अमेरिका में मुद्रास्फीति की आशंका बढ़ी।
  • दुनियाभर के देशों को वैश्विक मंदी का खतरा सताने लगा।
  • चीनी कारखानों में छंटनी का दौर शुरू हुआ। 

चपेट में थे चीन के कारखाने

अमेरिका में चीन से आने वाले सामान में कमी देखने को मिली। टैरिफ के कारण अमेरिका में चीनी सामान महंगा होने लगा। इस वजह से अमेरिका को झुकना पड़ा। गोल्डमैन सैक्स के विश्लेषकों ने अनुमान लगाया था कि ट्रेड वार के कारण मुद्रास्फीति का मीट्रिक साल के आखिरी तक दोगुना होकर 4 प्रतिशत हो जाएगा। चीन से आयात में भारी गिरावट ने भी ट्रंप की टेंशन बढ़ा दी थी।

 

टैरिफ वार से न केवल अमेरिका बल्कि चीन भी परेशान था। चीनी कारखानों में मंदी देखने को मिल रही थी। फैक्ट्रियों का कामकाज पिछले 16 महीने में सबसे निचले स्तर पर पहुंच चुका था। कारखानों में छंटनी होने लगी थी। मगर अब नए समझौते से इन सभी मुश्किलों से निपटने में मदद मिलेगी। दुनिया भर के बाजार विश्वेषकों का मानना है कि इस समझौते के बाद से बाजार में और अधिक सकारात्मक बदलाव देखने को मिलेंगे। व्यापार संबंधी अनिश्चितता भी खत्म होगी।