भारतीय जनता पार्टी (BJP) की दिल्ली सरकार ने तीसरी CAG रिपोर्ट दिल्ली विधानसभा में पेश कर दी है। यह रिपोर्ट दिल्ली ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन (DTC) के कामकाज से जुड़ी है। इस रिपोर्ट में साल 2015-16 से लेकर साल 2021-22 के बीच DTC में हुए कामकाज, खर्च और अन्य चीजों की जानकारी दी गई है। CAG ने अपने ऑडिट में पाया गया है कि 8 साल में बसों की संख्या बढ़ने के बजाय घट गई। पैसों की उपलब्धता के बावजूद बसें नहीं खरीदी गईं। CAG रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 2009 से लेकर अभी तक बस टिकट की कीमतों में कोई बदलाव नहीं किया गया है। इससे भी DTC को काफी नुकसान हुआ है। इसको लेकर अब बीजेपी ने 10 साल तक सरकार चलाने वाली आम आदमी पार्टी (AAP) को आड़े हाथ लिया है और आरोप लगाए हैं कि AAP ने इतने समय में DTC को बर्बाद कर दिया।
इस CAG रिपोर्ट में DTC की स्थिति भी बचाई गई है। रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2007 में दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा था कि मार्च 2009 तक दिल्ली में बसों की संख्या 11 हजार तक पहुंचाई जाए। हालांकि, हकीकत देखें तो मार्च 2022 तक दिल्ली में कुल 3937 और मार्च 2023 तक सिर्फ 3293 बसें ही थीं। यानी बसों की संख्या कम थी, कम रूट पर बसें चलाई गईं, नतीजतन DTC को भारी भरकम नुकसान हुआ।
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रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि दिल्ली में कुल 814 बस रूट थे लेकिन सिर्फ 468 रूट पर ही बसें चलाई गईं, किसी भी रूट पर DTC अपना खर्च भी नहीं निकाल पाई और इसके चलते उसे इन 7 सालों में 14,198 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। साथ ही, यह भी माना गया है कि विज्ञापनों के ठेके समय पर न दिए जाने के चलते DTC को विज्ञापनों से होने वाली कमाई में भी नुकसान हुआ। CAG रिपोर्ट में दी गई जानकारी के मुताबिक, 31 मार्च 2022 तक DTC के पास कुल 3762 बसें और 36 डिपो थे। हर दिन लगभग 15.62 लाख लोग DTC बसों में सफर करते हैं। 30,591 लोग इन बसों के संचालन और अन्य कामों में लगे हुए थे। साल 2021-22 में DTC का टर्नओवर कुल 660.37 करोड़ रुपये था।
कहां-कहां फेल हुई DTC?
-DTC के नुकसान कम करने के लिए दिल्ली सरकार को योजना विभाग ने साल 2010 में ही कहा था कि DTC दिल्ली सरकार के ट्रांसपोर्ट विभाग के साथ एक MoU साइन करे और फिजिकल के साथ-साथ फाइनैंशियल पैरामीटर्स से जुड़े टारगेट तय किए जाएंगे। हालांकि, नुकसान होने के बावजूद इस तरह का कोई समझौता नहीं किया गया।
-DTC ने स्टेट रोड ट्रांसपोर्ट अंडरटेकिंग्स (SRTUs) के मानकों पर अपनी परफॉर्मेंस नहीं मापी। साथ ही, कई अन्य मानकों का भी पालन नहीं किया गया।
- आर्थिक स्तर पर सुधार करने के लिए DTC ने कोई स्टडी नहीं की।
टिकट के दाम पर CAG ने क्या कहा?
रिपोर्ट के मुताबिक, DTC की ओर से साल 2009, 2010, 2012 और 2016 में टिकट के दाम बढ़ाने का प्रस्ताव भी रखा गया लेकिन टिकट के दाम बढ़ाने के बजाय इसके बदले होने वाले नुकसान की भरपाई दिल्ली सरकार ने रेवेन्यू ग्रांट के रूप में कर दी। साल 2016 में DTC ने टिकट के दामों में लगभग 6 पर्सेंट की बढ़ोतरी की बात रही थी हालांकि तब दिल्ली सरकार ने टिकट के स्लैब में ही बदलाव करने का प्रस्ताव रख दिया था। ऐसे में DTC ने इसे स्वीकार नहीं किया। पिछले 15 साल में DTC ने टिकट के दाम बढ़ाने का मुद्दा लगातार उठाया लेकिन दिल्ली सरकार ने इसे स्वीकार नहीं किया। CAG रिपोर्ट के मुताबिक, टिकट के दाम न बढ़ाने के चलते DTC को हर साल लगभग 170 करोड़ का नुकसान हुआ है।
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क्या कहते हैं आंकड़े?
CAG रिपोर्ट में दिए गए आंकड़े बताते हैं कि DTC को अपने ऑपरेशन्स से होई वाली कमाई में साल दर साल कमी ही होती गई। साल 2016-16 में जहां DTC का ऑपरेटिंग रेवेन्यू 914.72 करोड़ रुपये थे, 2021-22 में सिर्फ 558.78 करोड़ ही रह गया। दूसरी तरफ साल 2015-16 में जो ऑपरेटिंग एक्सपेंडिचर 2398.50 करोड़ रुपये था, वह 2021-22 में बढ़कर 3060.33 करोड़ तक पहुंच गया। यानी कमाई कम होती गई और बसें चलाने के लिए होने वाला खर्च बढ़ता गया। हर साल DTC को दिल्ली सरकार से रेवेन्यू ग्रांट भी मिलता है जो पिछले 7 सालों में बढ़ता गया है।
अगर कमाई और खर्च के अंतर की बात करें तो 2015-16 में DTC का कुल रेवेन्यू 2297.85 करोड़ था जबकि खर्च कुल 5708.95 करोड़ हुए। इस तरह एक साल में DTC को कुल 3411.10 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। यह नुकसान सिर्फ एक साल का नहीं है। 2016-17 में 3843 करोड़, 2017-18 में 4329 करोड़, 2018-19 में 5280.55 करोड़, 2019-20 में 6147 करोड़, 2020-21 में 7342 करोड़ और 2021-22 में 8498.35 करोड़ का नुकसान हुआ।
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2015 से 2022 के बीच DTC को 14,198.86 करोड़ का ऑपरेशनल नुकसान हुआ। इसकी भरपाई के लिए दिल्ली सरकार ने 13,381 करोड़ रुपये का रेनेव्यू ग्रांट और 612.68 करोड़ का नॉन ऑपरेटिंग रेवेन्यू दिया। यानी डीटीसी को चलाने के लिए उसके पास खुद के इतने पैसे नहीं थे और वह पूरी तरह से दिल्ली सरकार से मिलने वाले पैसों पर निर्भर थी। DTC मैनेजमेंट ने खुद इस बात को स्वीकार किया है कि वह बसों की कमी के चलते सभी 657 रूट पर संचालन नहीं कर पा रहा।
स्टाफ की कमी?
डीटीसी के पास स्टाफ की भी कमी रही है। पदों की संख्या की तुलना में तैनात स्टाफ की कमी कई पदों पर है। 31 मार्च 2022 तक के डेटा के मुताबिक, ड्राइवरों के कुल पदों की संख्या 9925 थी, इसमें स्थायी और कॉन्ट्रैक्चुअल दोनों को मिलाकर कुल 10,710 ड्राइवर तैनात थे। इसी तरह 14,077 पदों के लिए कुल 17,221 कंडक्टर, 2315 ट्रैफिक सुपरवाइजर के पदों के लिए सिर्फ 731 ट्रैफिक सुपरवाइजर, रिपेयर एंड मेंटिनेंस में 2143 पदों के लिए 1395 और एडमिन और मिनिस्ट्रियल स्टाफ के 2616 पदों के लिए कुल 534 लोग ही मौजूद थे।
CAG रिपोर्ट के मुताबिक, स्टाफ क्वार्टर्स के अवैध कब्जे के चलते 221.28 करोड़, घुम्मनहेड़ा बस डिपो और मुंडेला कलां बस डिपो के काम में देरी होने की वजह से करोड़ों रुपये और ऑक्सीजन टैंकर पड़े रहने की वजह स 17.84 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।