भारत और इजरायल के खिलाफ चीन बड़ी साजिश रच रहा है। एक तरह वह भारत के खिलाफ पाकिस्तान को सैन्य मदद पहुंचा रहा है तो दूसरी तरफ इजरायल के विरुद्ध ईरान को मिसाइल बनाने की सामग्री भेजने में जुटा है। वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि हाल ही में चीन से ईरान ने भारी मात्रा में सामग्री मंगवाई है। इससे लगभग 800 बैलेस्टिक मिसाइलों का निर्माण किया जा सकता है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इसमें से कुछ सामग्री यमन के हूती विद्रोहियों तक पहुंचाई जाएगी। बाकी का इस्तेमाल ईरान खुद ही करेगा। आइए समझते हैं इजरायल और भारत के खिलाफ चीन की गहरी साजिश को?

भारत के खिलाफ क्या षड्यंत्र?

ऑपरेशन सिंदूर के दौरान चीन ने भारत के खिलाफ खुलकर पाकिस्तान का समर्थन किया। भारत पर दागी गईं पीएल-15 मिसाइलों को ऑपरेशन से पहले ही चीन ने ही पहुंचाया था। पाकिस्तान की वायुसेना ने चीन के एयर डिफेंस सिस्टम एचक्यू-9 का इस्तेमाल किया। हालांकि यह भारत के आगे टिक नहीं सका। ऑपरेशन सिंदूर के बाद भी चीन ने पाकिस्तान को एयर डिफेंस सिस्टम, पांचवीं पीढ़ी के फाइटर प्लेन और नया एयर डिफेंस सिस्टम ऑफर किया है। भारत के खिलाफ चीन लगातार पाकिस्तान की सेना को मजबूत करने में जुटा है।

 

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क्या-क्या मदद पहुंचा रहा चीन?

  • मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पाकिस्तान चीन का पांचवीं पीढ़ी का स्टिल्थ फाइटर विमान खरीदने की तैयारी में है। यह विमान पीएल-17 मिसाइलों से लैस होगा।
  • चीन ने पाकिस्तान को J-35A फाइटर प्लेन ऑफर किया है। यह पांचवीं पीढ़ी का स्टिल्थ विमान है। बताया जा रहा है कि 40 विमानों को देने का प्रस्ताव है।
  • मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पाकिस्तान ने कुछ विमानों को शामिल करना भी शुरु कर दिया है।
  • चीन ने लंबी दूरी की वायु रक्षा प्रणाली HQ-19 को देने की पेशकश भी की है।

इजरायल के खिलाफ क्या साजिश?

इजरायल के खिलाफ चीन ने ईरान को मोहरा बनाया है। सबको पता है कि इजरायल और ईरान के बीच पटती नहीं है। ईरान अमेरिका का भी दुश्मन है। यहां चीन ने दुश्मन के दुश्मन को दोस्त बनाने वाली रणनीति पर काम किया। वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के मुताबिक ईरान ने चीन से बड़ी मात्रा में मिसाइल बनाने वाली सामग्री का ऑर्डर दिया है। इस सामग्री से लगभग 800 बैलेस्टिक मिसाइलों को बनाया जा सकता है।

 

रिपोर्ट में कहा गया है कि ईरान इसके माध्यम से इजरायल के खिलाफ लड़ने वाले अपने प्रॉक्सी गुट हिजबुल्लाह और हूतियों को खड़ा करने की कोशिश में है। ईरान ने चीन को अमोनियम परक्लोरेट का ऑर्डर दिया था। इसका इस्तेमाल ठोस ईंधन मिसाइलों के उत्पादन में किया जाता है।

क्यों टेंशन में इजरायल?

रिपोर्ट के मुताबिक चीन से यह खेप कुछ महीनों में ईरान पहुंच जाएगी। एक अधिकारी के हवाले से बताया गया है कि कुछ मात्रा में अमोनियम परक्लोरेट हूती विद्रोहियों तक पहुंचाए जाने की संभावना है। पिछले कुछ समय में हूतियों ने इजरायल पर बैलेस्टिक मिसाइलों से कई बार हमला किया है। अगर यह सामग्री उन तक पहुंच जाती है तो इससे इजरायल को निशाना बनाया जा सकता है।

 

रिपोर्ट के मुताबिक चीन ने अप्रैल महीने में भी ईरान को ऐसी ही सामग्री भेजी थी। हालांकि यह खेफ बंदरगाह में भीषण धमाके के साथ नष्ट हो गई थी। इस धमाके में कुल 18 लोगों की जान गई थी और 800 से अधिक लोग घायल हुए थे। इस शिपमेंट में 260 मिसाइलों को बनाने की सामग्री थी। 

 

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IMEC का एंगल भी समझिए

भारत IMEC प्रोजेक्ट का हिस्सा है। यह भारत को यूरोप से जोड़ने वाला एक विशाल कॉरिडोर होगा। कॉरिडोर की शुरुआत भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई से होगी और यूरोप तक जाएगा। रास्ते में यूएई, सऊदी अरब और इजरायल जैसे अहम देश पड़ेंगे। माना जाता है कि यह प्रोजेक्ट चीन के वन बेल्ट वन रोड प्रोजेक्ट का विकल्प है। यही कारण है कि चीन इस परियोजना पर रोड़े अटकाना चाहता है। इस वजह से भी वह इजरायल और भारत के खिलाफ साजिश रचने में जुटा है।