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एलन मस्क को रूस का ऑफर: आखिर कौन है एडवर्ड स्नोडेन, जिसकी मिसाल दी गई?

ट्रंप और एलन मस्क के बीच चल रही खींचतान के बीच अब रूस ने एलन मस्क को शरण देने की मांग की है। इस बयान के साथ रूस ने एक और नाम का जिक्र किया—एडवर्ड स्नोडेन। आखिर ये एडवर्ड स्नोडेन कौन हैं?

profile of Edward Snowden

एडवर्ड स्नोडेन, Photo Credit: Wikimedia

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और मशहूर उद्योगपति एलन मस्क के बीच अब रिश्ते ठीक नहीं चल रहे हैं। दोनों के बीच टकराव की खबरें सामने आ रही हैं, और इसी बीच रूस ने इस मौके को भुनाने की कोशिश शुरू कर दी है। दरअसल, रूस की कम्युनिस्ट पार्टी के सांसद दिमित्री नोविकोव ने हाल ही में एक बयान दिया है जिसमें उन्होंने कहा है कि अगर एलन मस्क को कभी अमेरिका में कोई परेशानी होती है और उन्हें राजनीतिक शरण की जरूरत पड़े, तो रूस उन्हें पनाह देने को तैयार है। उनका कहना है कि रूस इस तरह के मामलों में पहले भी इंसानियत के नाते कदम उठा चुका है। बातचीत के दौरान दिमित्री नोविकोव ने एक और नाम लिया-एडवर्ड स्नोडेन का। उन्होंने कहा कि जैसे रूस ने पहले एडवर्ड स्नोडेन को शरण दी थी, वैसे ही अगर मस्क को जरूरत पड़ी तो उन्हें भी रूस सहारा देगा। अब सवाल उठता है कि आखिर एडवर्ड स्नोडेन कौन हैं? 

एडवर्ड स्नोडेन कौन हैं?

एडवर्ड स्नोडेन अमेरिका के एक पूर्व खुफिया अधिकारी हैं। वह नेशनल सिक्योरिटी एजेंसी (NSA) में काम करते थे, जो अमेरिका की सबसे बड़ी जासूसी एजेंसियों में से एक है। साल 2013 में स्नोडेन ने दुनिया को चौंका दिया जब उन्होंने अमेरिकी सरकार की कुछ बेहद गोपनीय जानकारियां लीक कर दीं। उन्होंने खुलासा किया कि अमेरिका की सरकार अपने ही नागरिकों की जासूसी कर रही है-फोन कॉल, ईमेल और इंटरनेट पर लोगों की एक्टिविटी तक पर नजर रखी जा रही थी। इस खुलासे के बाद अमेरिका में हड़कंप मच गया। सरकार ने स्नोडेन पर जासूसी और देशद्रोह जैसे गंभीर आरोप लगाए। गिरफ्तारी से बचने के लिए स्नोडेन अमेरिका से भाग गए और कई देशों से शरण मांगी लेकिन आखिरकार रूस ने उन्हें शरण दी और अब वह वहीं रह रहे हैं।

 

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एडवर्ड स्नोडेन ने क्या-क्या बताया था?

सरकार लोगों की जासूसी कर रही थी बिना बताए!

स्नोडेन ने बताया कि अमेरिकी सरकार अपने ही लोगों के फोन कॉल, मैसेज, ईमेल और इंटरनेट पर क्या देखा जा रहा है- सब कुछ चुपचाप ट्रैक कर रही थी। यानी आम आदमी क्या बात कर रहा है, कहां जा रहा है, किससे मिल रहा है-सब सरकार के पास रिकॉर्ड हो रहा था।

 

सिर्फ अमेरिका ही नहीं, दुनिया भर पर नजर थी
NSA सिर्फ अपने देश के लोगों पर नजर नहीं रख रही थी, बल्कि दूसरे देशों के नेताओं, आम नागरिकों और कंपनियों की भी जासूसी कर रही थी। यहां तक कि जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल का फोन भी टैप किया जा रहा था।

 

सोशल मीडिया और बड़ी टेक कंपनियां भी शामिल थीं
स्नोडेन ने बताया कि कई बड़ी टेक कंपनियां जैसे Google, Facebook, Microsoft, Apple ने सरकार को लोगों का डेटा देने में मदद की। यानी आपने जो सोचा कि आपका डाटा ‘प्राइवेट’ है, वो असल में सरकार के पास जा रहा था।

 

PRISM प्रोजेक्ट का खुलासा
उन्होंने एक खास प्रोग्राम का नाम भी बताया-PRISM, जिसके तहत सरकार सीधे टेक कंपनियों के सर्वर से लोगों की जानकारी निकाल सकती थी। और ये सब कोर्ट की इजाजत के बिना हो रहा था।

 

हर एक इंसान को शक की नजर से देखा जा रहा था
सरकार का तर्क था कि वो ये सब सुरक्षा के लिए कर रही है लेकिन स्नोडेन ने कहा कि ये तरीका ठीक नहीं है कि हर इंसान को पहले से अपराधी मानकर उसकी जासूसी की जाए, खासकर बिना उसकी जानकारी या इजाजत के।

 

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इन खुलासों के बाद क्या हुआ?

इन खुलासों के सामने आने के बाद अमेरिका की सरकार में हड़कंप मच गया। स्नोडेन के खुलासे न ने केवल अमेरिकी एजेंसियों की पोल खोल करके रख दी, बल्कि पूरी दुनिया में एक बड़ी बहस छिड़ गई कि हर इंसान को अपनी प्राइवेसी का अधिकार है या नहीं, और सरकारें इसे बिना इजाजत क्यों तोड़ रही हैं। अमेरिका ने स्नोडेन पर देशद्रोह और गोपनीय दस्तावेज़ लीक करने जैसे गंभीर आरोप लगाए। गिरफ्तारी से बचने के लिए स्नोडेन देश छोड़कर भाग गए और आखिरकार उन्हें रूस में राजनीतिक शरण लेनी पड़ी, जहां वह अब भी रह रहे हैं।

 

अभी क्या कर रहे स्नोडेन?

स्नोडेन ने 2022 में रूसी नागरिकता प्राप्त की और अब वह अपनी पत्नी लिंडसे मिल्स और दो बेटों के साथ रूस में रहते हैं। हाल के वर्षों में उन्होंने सार्वजनिक जीवन से कुछ हद तक दूरी बना ली है लेकिन वह अभी भी ऑनलाइन सार्वजनिक भाषणों और गोपनीयता से संबंधित मुद्दों पर एक्टिव हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया है कि रूस में रहना उनका पसंदीदा ऑप्शन नहीं था, बल्कि अमेरिकी सरकार द्वारा अन्य देशों में शरण लेने के प्रयासों को विफल करने के कारण वह रूस में रहने को मजबूर हुए।

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