भगवान शिव के द्वादश ज्योतिर्लिंगों का अपना एक विशेष महत्व है। भारत के 12 स्थानों पर यह सभी ज्योतिर्लिंग स्थापित हैं, जहां हर साल लाखों की संख्या में लोग दर्शन के लिए जाते हैं। इन्हीं में से एक रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग है, जो तमिलनाडु के रामनाथस्वामी मंदिर में स्थित है। यह मंदिर न केवल शिवभक्तों के लिए बल्कि उन लोगों के लिए भी अत्यंत पवित्र है, जो रामायण की कथा से जुड़े धार्मिक स्थलों की यात्रा करते हैं। आइए जानते हैं रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग से जुड़ी कथा, पूजा महत्व और इस स्थान से जुड़ी मान्यताएं।

रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग की पौराणिक कथा

रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग की कथा रामायण से जुड़ी हुई है। जब भगवान श्रीराम, माता सीता को लंका मुक्त कराने के लिए लंका जाने की तैयारी कर रहे थे, तब वह समुद्र पार करने का मार्ग खोज रहे थर। इस यात्रा के दौरान उन्हें एक पवित्र स्थान की आवश्यकता थी, जहां वे भगवान शिव की आराधना कर सकें और विजय का आशीर्वाद प्राप्त कर सकें। इसके लिए उन्होंने रामेश्वरम स्थान को चुना और शिवलिंग का निर्माण कर विधिवत पूजा की। तभी से यह स्थान धार्मिक स्थल के रूप में प्रसिद्ध हुआ।

 

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एक अन्य कथा के अनुसार, भगवान राम जब रावण को हराकर लंका से लौट रहे रहे, तब उन्हें भगवान शिव की उपासना की इच्छा हुई। उन्होंने हनुमान जी को कैलाश पर्वत से भगवान शिव का एक दिव्य शिवलिंग लाने के लिए भेजा। हनुमानजी शिवलिंग लेने के लिए तुरंत प्रस्थान कर गए, लेकिन वे समय पर लौट नहीं पाए। तब माता सीता ने रेत और मिट्टी से एक  शिवलिंग का निर्माण किया और भगवान राम ने विधिवत उसका पूजन किया। जब हनुमानजी वापस आए और देखा कि पूजा हो चुकी है, तो वे व्यथित हो गए। भगवान राम ने उनकी श्रद्धा को देखते हुए उनके द्वारा लाए गए शिवलिंग को भी वहीं प्रतिष्ठित किया। यही कारण है कि रामेश्वरम में दो शिवलिंग पूजे जाते हैं—एक 'रामलिंगम' जिसे माता सीता ने बनाया था, और दूसरा 'विश्वलिंगम' जिसे हनुमानजी लाए थे।

 

भगवान शिव ने इस स्थान पर प्रसन्न होकर प्रकट होकर श्रीराम को विजय का आशीर्वाद दिया और कहा कि जो भी भक्त सच्चे मन से यहां उनकी पूजा करेगा, उसके समस्त पाप नष्ट हो जाएंगे और वह मोक्ष प्राप्त करेगा। इसी कारण यह ज्योतिर्लिंग अत्यंत पवित्र माना जाता है।

पौराणिक मान्यताएं और रहस्य

रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग से कई रहस्य और मान्यताएं जुड़ी हुई हैं। इस मंदिर के अंदर 22 कुंड (जलस्रोत) हैं, जिनका धार्मिक महत्व बहुत अधिक है। ऐसा कहा जाता है कि ये कुंड विभिन्न तीर्थों और नदियों से जुड़े हैं और इनमें स्नान करने से सभी पापों का नाश हो जाता है। इन सभी कुंड का तापमान भी अलग-अलग होता है, जिससे इससे जुड़े रहस्य और अधिक बढ़ जाती है।

 

कहा जाता है कि रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग की पूजा करने से जीवन में समस्त बाधाएं समाप्त हो जाती हैं और व्यक्ति को मोक्ष प्राप्त होता है। यह भी कहा जाता है कि जो भी व्यक्ति वाराणसी में मृत्यु से पहले पूजा करता है और फिर रामेश्वरम आकर भगवान शिव का जलाभिषेक करता है, उसे मोक्ष की प्राप्ती होती है।

 

रामायण कथा में वर्णित रामसेतु रामेश्वरम से श्रीलंका तक फैला हुआ था और इसे भगवान राम के वानरसेना द्वारा बनाया गया था। यह सेतु आज भी वैज्ञानिकों के लिए एक रहस्य बना हुआ है और इसके निर्माण को लेकर कई शोध किए जा चुके हैं। हालांकि, यह सेतु प्रत्यक्ष रूप से दिखाई नहीं देता है।

 

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रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग की पूजा और महत्व

रामेश्वरम में भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व है। यहां की पूजा विधि अन्य ज्योतिर्लिंगों से थोड़ी भिन्न है। कहा जाता है कि सबसे पहले विश्वलिंगम की पूजा करनी चाहिए, जिसे हनुमानजी लाए थे और उसके बाद रामलिंगम की आराधना करनी चाहिए।

 

यहां प्रतिदिन भव्य रुद्राभिषेक, जलाभिषेक और पंचामृत अभिषेक किए जाते हैं। श्रद्धालु गंगाजल और अन्य पवित्र नदियों के जल से भगवान शिव का अभिषेक करते हैं। महाशिवरात्रि, श्रावण मास और विशेष रूप से रामनवमी के अवसर पर इस मंदिर में विशाल उत्सव का आयोजन किया जाता है।

 

Disclaimer- यहां दी गई सभी जानकारी सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं।