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त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग: वह स्थान जहां होते हैं त्रिदेवों के दर्शन

भगवान शिव के द्वादश ज्योतिर्लिंग में त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग का विशेष महत्व है। आइए जानते हैं इस स्थान से जुड़ी पौराणिक कथा और मान्यताएं।

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त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर, नासिक।(Photo Credit: Wikimedia Commons)

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सनातन धर्म में भगवान शिव के द्वादश ज्योतिर्लिंगों का अपना एक विशेष महत्व है। बता दें कि देश के विभिन्न हिस्सों में स्थापित यह सभी 12 ज्योतिर्लिंग आस्था के प्रमुख केंद्र माने जाते हैं। इन सब में नवम ज्योतिर्लिंग हैं त्र्यंबकेश्वर ज्योर्तिलिंग, जो महाराष्ट्र के नासिक जिले में स्थित है। यह स्थान सिर्फ भगवान शिव की उपासना के लिए ही प्रसिद्ध नहीं है, बल्कि यहां त्रिदेव अर्थात ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों के दर्शन होते हैं। आइए जानते हैं, स्थान से जुड़ी मान्यताएं रहस्य और पौराणिक कथा।

त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग की पौराणिक कथा

पुराणों के अनुसार, यह स्थान गौतम ऋषि की तपोभूमि थी। ऋषि गौतम अपनी पत्नी अहिल्या के साथ यहां रहते थे और घोर तपस्या करते थे। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें आशीर्वाद दिया कि इस स्थान पर अनंतकाल तक गंगा प्रवाहित होगी। यही कारण है कि त्र्यंबकेश्वर को गोदावरी नदी का उद्गम स्थल भी माना जाता है।

 

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एक कथा के अनुसार, ऋषि गौतम अपने आश्रम में यज्ञ कर रहे थे लेकिन इंद्रदेव को यह सहन नहीं हुआ। उन्होंने एक छल किया और आश्रम में एक गौ (गाय) को भेज दिया। जैसे ही ऋषि गौतम ने अनजाने में उसे धक्का दिया, वह वहीं गिर गई और उसके प्राण छूट गए। इस पाप से मुक्ति पाने के लिए गौतम ऋषि ने घोर तपस्या की और भगवान शिव को प्रसन्न किया।

 

भगवान शिव ने उन्हें वरदान दिया कि इस स्थान पर गंगा अवतरित होंगी और स्वयं वे यहां ज्योतिर्लिंग रूप में निवास करेंगे। यही कारण है कि इस स्थान पर गोदावरी नदी प्रवाहित होती है और इसे गंगा का अवतार भी कहा जाता है।

त्र्यंबकेश्वर का रहस्य और विशेषता

त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग की सबसे अनोखी विशेषता यह है कि यहां शिवलिंग के रूप में भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों विराजमान हैं। अन्य ज्योतिर्लिंगों में केवल शिवलिंग की पूजा होती है लेकिन यहां त्रिदेवों के दर्शन संभव होते हैं। यह शिवलिंग स्वयंभू माना जाता है, जिसे कालांतर में पत्थर से ढका गया था, लेकिन फिर भी यह जल से भरा रहता है।

 

एक अन्य रहस्य यह है कि त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग के गर्भगृह में नदी के जल का कभी भी सूखना नहीं देखा गया। ऐसा माना जाता है कि यहां जल की धारा स्वयं भगवान शिव की कृपा से प्रवाहित होती है।

त्र्यंबकेश्वर की मान्यताएं और महत्व

पितृ दोष निवारण का केंद्र – त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग को पितृ दोष निवारण के लिए सर्वोत्तम स्थान माना जाता है। यहां लोग अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए विशेष पूजन और तर्पण करवाते हैं।

 

कालसर्प दोष निवारण – ऐसा माना जाता है कि त्र्यंबकेश्वर में कालसर्प दोष निवारण पूजा करने से जातक के जीवन में आने वाली समस्त बाधाएं समाप्त हो जाती हैं।

 

मोक्ष प्राप्ति का स्थान – यह स्थान मोक्ष प्राप्ति के लिए अत्यंत पवित्र माना जाता है। कहा जाता है कि यहां गंगा स्नान करने से समस्त पापों से मुक्ति मिलती है।

 

कुंभ मेले का आयोजन – हर 12 वर्षों में त्र्यंबकेश्वर में कुंभ मेले का आयोजन किया जाता है, जिसमें लाखों श्रद्धालु गंगा स्नान करके पुण्य अर्जित करते हैं।

 

शिव के तीन नेत्रों का प्रतीक – ‘त्र्यंबक’ का अर्थ है तीन नेत्रों वाला। यह स्थान भगवान शिव के तीन नेत्रों का प्रतीक है, जो भूत, भविष्य और वर्तमान को दर्शाते हैं।

 

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कैसे पहुंचे त्र्यंबकेश्वर?

त्र्यंबकेश्वर महाराष्ट्र के नासिक जिले में स्थित है और यहां तक पहुंचने के लिए कई साधन उपलब्ध जिनमें- 

 

हवाई मार्ग – निकटतम हवाई अड्डा मुंबई है, जहां से आप सड़क मार्ग द्वारा नासिक और फिर त्र्यंबकेश्वर पहुंच सकते हैं।
रेल मार्ग – नासिक रेलवे स्टेशन निकटतम स्टेशन है, जहां से त्र्यंबकेश्वर के लिए टैक्सी या बस मिल जाती है।
सड़क मार्ग – नासिक से त्र्यंबकेश्वर की दूरी लगभग 30 किलोमीटर है, जिसे बस या टैक्सी से आसानी से तय किया जा सकता है।

 

Disclaimer- यहां दी गई सभी जानकारी सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं।


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