सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा सरकार को फटकार लगाई है। मामला बीजेपी दफ्तर की सड़क बनाने के लिए कथित तौर पर 40 पेड़ों के काटे जाने से जुड़ा है। सुप्रीम कोर्ट ने इसे 'बहुत बुरा' बताया है। कोर्ट ने हरियाणा सरकार और अर्बन डेवलपमेंट बॉडी से 40 पेड़ काटने के बाद का प्लान मांगा है। साथ ही चेतावनी दी है कि अदालत इस पर सख्ती कर सकती है।


दरअसल, हाल ही में करनाल में बीजेपी का नया दफ्तर बना है। आरोप है कि बीजेपी दफ्तर तक जाने वाली सड़क को चौड़ा करने के लिए 40 पेड़ काट दिए गए। इसे लेकर पूर्व सैनिक ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी। इसी पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाई है।


यह फटकार जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने लगाई है। पेड़ काटे जाने पर नाराजगी जताते हुए अदालत ने कहा कि क्या पार्टी के दफ्तर किसी और जगह शिफ्ट नहीं किया जा सकता था? अदालत ने इसे लेकर हरियाणा सरकार से जवाब मांगा है।

 

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क्या है पूरा मामला?

1971 की जंग लड़ चुके रिटायर्ड कर्नल देविंदर सिंह राजपूत ने यह पूरा मामला उठाया था। उन्हें 'वीर चक्र' से भी सम्मानित किया जा चुका है।


उनके वकील भूपेंद्र प्रताप सिंह ने कोर्ट में बताया कि रिटायर्ड कर्नल देविंदर सिंह राजपूत ने करनाल के सेक्ट-9 में 1000 वर्ग गज का प्लॉट खरीदा था। उनके प्लॉट के बगल वाली जमीन हरियाणा अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी ने बीजेपी को मनमाने तरीके से दे दी थी।


उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि बीजेपी दफ्तर के लिए ग्रीन बेल्ट से 10 मीटर का रास्ता बनाने के लिए 40 पेड़ काट दिए गए। उनके वकील ने बताया कि 36 साल पहले उन्होंने ग्रीन बेल्ट के लिए 10% ज्यादा पैसा दिया था। पहले उन्होंने इसे लेकर हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, जहां से उनकी अर्जी खारिज हो गई। इसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया।

 

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सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

रिटायर्ड कर्नल देविंदर सिंह राजपूत की याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस केवी विश्वनाथ की बेंच ने खूब फटकार लगाई। 


बेंच ने कहा, 'यह बहुत बुरा है कि आपने बड़े-बड़े पेड़ उखाड़ किए। इन पेड़ों का क्या हुआ और क्यों हुआ? इसके लिए आपका जवाब क्या है? क्या आप राजनीतिक पार्टी का दफ्तर किसी दूसरी जगह शिफ्ट नहीं करवा सकते?'


सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा सरकार की तरफ से पेश हुए एडिशनल सॉलिसिटर जनरल विक्रमजीत बनर्जी से जवाब मांगा। बनर्जी ने कोर्ट में कहा कि अलॉटमेंट के लिए सभी जरूरी परमिशन ली गई थीं और ग्रीन नॉर्म्स का पालन किया गया था। उन्होंने कोर्ट को बताया कि भरपाई के लिए नए पेड़ लगाए जाएंगे।


इसके बाद बेंच ने बनर्जी से पूछा कि 40 पेड़ों के नुकसान की भरपाई कौन करेगा? बेंच ने उनसे सही वजह बताने को कहा और चेतावनी दी कि इसके लिए राज्य सरकार और उसकी एजेंसियों से सख्ती बरती जाएगी।