'नहीं करने देंगे जुमे की नमाज', शिमला की संजौली मस्जिद पर क्या है पूरा विवाद?
शिमला की संजौली मस्जिद पर विवाद बढ़ता जा रहा है। कोर्ट ने इसे गिराने का आदेश दिया है। हिंदू संगठनों का कहना है कि वह जुमे की नमाज नहीं होने देंगे। क्या है पूरा विवाद? समझते हैं।

संजौली मस्जिद। (Photo Credit: PTI)
हिमाचल प्रदेश के शिमला में तापमान 10 डिग्री से नीचे चला गया है। जबरदस्त ठंड पड़ रही है। मगर कुछ हफ्तों से एक मस्जिद को लेकर यहां का पारा चढ़ा हुआ है। मामला संजौली मस्जिद से जुड़ा है, जिसे लेकर कई दिनों से सांप्रदायिक तनाव बढ़ा हुआ है। हिंदू संगठनों का कहना है कि वह मस्जिद में जुमे की नमाज अदा नहीं करने देंगे। मस्जिद को ढहाने की मांग को लेकर पिछले हफ्ते हिंदू संगठनों ने भूख हड़ताल भी की थी।
पिछले शुक्रवार को भी संजौली मस्जिद को लेकर तनाव बढ़ा था। अब फिर इस शुक्रवार को तनाव बढ़ गया है। हिंदू संगठनों का कहना है कि वे इस मस्जिद में शुक्रवार की नमाज नहीं पढ़ने देंगे। उन्होंने मुस्लिमों से भी इस जगह पर न आने की अपील की है।
शिमला की संजौली मस्जिद का विवाद लगभग 16 साल पुराना है। मामला पिछले एक साल से चर्चा में बना हुआ है। कई अदालतें मस्जिद के ढांचे को अवैध बता चुकी हैं और इसे गिराने का आदेश दे चुकी हैं। हिंदू संगठनों का कहना है कि अदालती आदेश के बावजूद मस्जिद को ढहाया नहीं जा रहा है। संजौली मस्जिद का पूरा विवाद क्या है? सिलसिलेवार तरीके से समझते हैं।
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क्या है संजौली मस्जिद का विवाद?
संजौली मस्जिद का मामला 16 साल से भी ज्यादा पुराना है। देवभूमि संघर्ष समिति का दावा है कि मस्जिद सरकारी जमीन पर बनी है। समिति ने इसे अवैध बताया है। यह मस्जिद 5 मंजिला है। वहीं, मुस्लिम संगठनों का कहना है कि यह पूरी तरह से वैध है और यह वक्फ में भी रजिस्टर्ड है।
यह मामला 2010 में तब सामने आया जब स्थानीय लोगों और हिंदू संगठनों ने यह दावा करते हुए एक आवेदन किया कि मस्जिद नगर निगम की इजाजत के बगैर बनी थी और वह भी ऐसी जमीन पर जो वक्फ बोर्ड की नहीं थी।
पिछले साल अगस्त में सांप्रदायिक झड़प हुई थी। आरोप लगा कि हिंदू युवकों की पिटाई के बाद कुछ मुस्लिम युवक संजौली मस्जिद में जाकर छिप गए। इसके बाद विवाद और बढ़ गया।
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अदालतों ने भी माना- अवैध है मस्जिद
अगस्त में सांप्रदायिक झड़प होने के बाद मामला तेजी से आगे बढ़ा। इसके बाद 11 सितंबर को भी जबरदस्त हिंसा हुई। पिछले साल 5 अक्टूबर को नगर निगम कमिश्नर ने मस्जिद को अवैध माना। नगर निगम ने मस्जिद की ऊपरी तीन मंजिल को गिराने का आदेश दिया।
मस्जिद कमेटी और वक्फ बोर्ड ने इसे हाई कोर्ट में चुनौती दी। हाई कोर्ट ने कहा कि पहले से जो केस चल रहा है, पहले उसे निपटाया जाए। इसके बाद इस साल 3 मई को नगर निगम कमिश्नर ने एक नया आदेश दिया और पूरी मस्जिद को ही ढहाने का आदेश दे दिया।
वक्फ बोर्ड और मस्जिद कमेटी ने इसे जिला कोर्ट में चुनौती दी। इस साल 30 अक्टूबर को जिला कोर्ट का फैसला आया। जिला अदालत ने मुस्लिमों की अपील खारिज करते हुए नगर निगम कमिश्नर के फैसले को बरकरार रखा।
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कोर्ट का पूरा फैसला क्या था?
हिंदू संगठनों के वकील एडवोकेट जगतपाल ठाकुर ने बताया था कि जिला अदालत ने साफ कर दिया है कि विवादित ढांचे की पूरी 5 मंजिलें गिराईं जाएंगी। पूरा ढांचा गैर-कानूनी है। उन्होंने बताया था कि विवादित ढांचे को लेकर अदालत का यह चौथा आदेश है।
उन्होंने बताया था कि मुस्लिम पक्ष मालिकाना हक के दस्तावेज या मस्जिद के लिए मंजूर कंस्ट्रक्शन प्लान नहीं दिखा पाए थे।
उन्होंने कहा था, '14 साल में इस मामले में कोई प्रोग्रेस नहीं हुई थी लेकिन पिछले 13 महीनों में लगातार 4 कोर्ट ऑर्डर ने इसी नतीजे को सही ठहराया है कि ढांचा गैर-कानूनी है।'
वहीं, देवभूमि संघर्ष समिति के सदस्य विजय शर्मा ने इसे सनातन समाज के संघर्ष की जीत बताया था। उन्होंने आरोप लगाया था कि मस्जिद की आड़ में गैर-कानूनी काम किए जा रहे थे।
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फिर अब क्या मांग रहे हिंदू संगठन?
हिंदू संगठनो का कहना है कि अदालत के आदेश के बावजूद मस्जिद को अब तक ढहाया नहीं गया है। देवभूमि संघर्ष समिति ने पिछले हफ्ते मस्जिद ढहाने की मांग को लेकर आमरण अनशन किया था।
संघर्ष समिति ने मस्जिद में बिजली-पानी काटने की मांग भी की थी। साथ ही यह भी कहा कि मस्जिद गैर-कानूनी है, इसलिए इसे ढहाया जाए।
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पिछले तीन बार से हर शुक्रवार को संजौली मस्जिद के पास तनाव बढ़ जाता है। 14 नवंबर को नमाज रोकने के कारण 6 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की गई थी। पिछले हफ्ते भी हिंदू संगठनों के विरोध के कारण यहां जुमे की नमाज नहीं हो पाई थी। अब फिर हिंदू संगठनों ने इसे रोकने की बात कही है।
देवभूमि संघर्ष समिति का कहना है कि वह जुमे की नमाज नहीं होने देगी। समिति के सदस्य विजय शर्मा ने बताया कि 29 नवंबर को प्रशासन के साथ बैठक है, जिसके बाद अगले कदम पर फैसला लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि अगर बैठक में सही नतीजा नहीं निकलता है तो मस्जिद के खिलाफ आंदोलन तेज किया जाएगा।
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