प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर 'मन की बात' में खादी को प्रमोट किया है। उन्होंने लोगों से 2 अक्टूबर को गांधी जयंती पर खादी खरीदने की अपील की है। उन्होंने कहा कि 2 अक्टूबर को कोई न कोई खादी प्रोडक्ट जरूर खरीदें।
उन्होंने कहा, '2 अक्टूबर को गांधी जयंती है। गांधी जी ने हमेशा स्वदेशी को अपनाने पर बल दिया और इनमें खादी सबसे प्रमुख थी। दुर्भाग्य से आजादी के बाद खादी के रौनक कुछ फीकी पड़ती जा रही थी लेकिन बीते 11 साल में खादी के प्रति देश के लोगों को का आकर्षण बहुत बढ़ गया है। पिछले कुछ सालों में खादी की बिक्री में बहुत तेजी देखी गई है। मैं आप सबी से आग्रह करता हूं कि 2 अक्टूबर को कोई न कोई खादी प्रोडक्ट जरूर खरीदें। गर्व से कहें- ये स्वदेशी हैं। इसे सोशल मीडिया पर #VocalForLocal के साथ शेयर भी करें।'
यह पहली बार नहीं है, जब प्रधानमंत्री मोदी ने खादी खरीदने की अपील की हो। इससे पहले भी पीएम मोदी कई कार्यक्रमों में खादी खरीदने की अपील कर चुके हैं।
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क्या खादी अब लोकप्रिय हो रही है?
महात्मा गांधी जब विदेश से लौटकर भारत आए थे तो उन्होंने स्वदेशी के इस्तेमाल पर जोर दिया। विदेश से लौटने के बाद गांधीजी ने विदेशी कपड़े त्याग दिए और हाथ से बने खादी के कपड़े ही पहने।
1920 के दशक के आसपास गांधीजी ने खादी से बने कपड़ों को बनाना और पहनना शुरू किया। उनका मानना था कि यह न सिर्फ स्वदेशी है, बल्कि यह आत्मनिर्भरता का प्रतीक भी है। उनका यह भी मानना था कि खादी को अपनाकर हम अंग्रेजों को आर्थिक चोट पहुंचा सकते हैं। गांधीजी अक्सर लोगों से खादी पहनने की अपील करते थे।
महात्मा गांधी का मानना था कि हर घर में चरखा चलने से गरीबी दूर होगी और लोगों को रोजगार मिलेगा। गांधीजी खादी को 'गरीबों का कपड़ा' कहते थे।
हालांकि, आजादी के बाद खादी के महंगे होने के कारण आम लोगों ने इससे दूरी बनाए रखी। केंद्र सरकार की एक रिपोर्ट बताती है कि आजादी के 1947 से 2014 तक खादी की बिक्री सालाना आधार पर सिर्फ 8% तक ही बढ़ी।
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कितनी बढ़ी खादी की बिक्री?
मोदी सरकार में खादी की बिक्री में जबरदस्त उछाल आया है। मोदी सरकार के 11 साल में खादी कपड़ों का उत्पादन साढ़े 4 गुना से ज्यादा बढ़ा है। साथ ही साथ खादी कपड़ों की बिक्री भी साढ़े 6 गुना से ज्यादा बढ़ी है।
खादी ग्रामोद्योग (KVIC) के आंकड़े बताते हैं कि 2013-14 में जहां खादी कपड़ों का उत्पादन 811.08 करोड़ रुपये था, वह 2024-25 में बढ़र 3,783.36 करोड़ रुपये हो गया। यानी, खादी कपड़ो का उत्पादन 366% तक बढ़ गया। इसी तरह 2013-14 में खादी कपड़ों की बिक्री सिर्फ 1,081.04 करोड़ रुपये थी, जो 2024-25 में 561% बढ़कर 7,145.61 करोड़ रुपये पहुंच गई।
खादी से जुड़े काम में देशभर में 5 लाख से ज्यादा लोगों को रोजगार मिल रहा है, जिनमें से 80 फीसदी महिलाएं हैं। केंद्र सरकार का दावा है कि 11 साल में खादी कारीगरों के मेहनताने में 275% तक की बढ़ोतरी की गई है।
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खादी का कारोबार कैसे कर सकते हैं शुरू?
अगर कोई व्यक्ति अपना खुद का खादी का कारोबार शुरू करना चाहता है तो उसे सबसे पहले सोसायटी, ट्रस्ट या को-ऑपरेटिव संस्था बनानी होगी।
खादी की नई यूनिट वही लगा सकता है, जिसके पास कम से कम 25 चरखे होने चाहिए। नया कारोबार शुरू करने के लिए खादी ग्रामोद्योग (KVIC) में रजिस्ट्रेशन करवाना होगा। इसके लिए 10 हजार रुपये रजिस्ट्रेशन फीस लगती है। 5 साल बाद इसे रिन्यू करवाना होता है। 5 साल बाद अगर आपका टर्नओवर 50 लाख रुपये से ज्यादा है तो 30 हजार रुपये फीस लगेगी। अगर 50 लाख से बनती है तो 8 हजार रुपये रजिस्ट्रेशन फीस लगेगी।
नया कारोबार शुरू करने के लिए प्रधानमंत्री एम्प्लॉयमेंट जनरेशन प्रोग्राम (PMEGP) के तहत लोन भी मिल जाता है। केंद्र सरकार के मुताबिक, जब से यह योजना शुरू हुई है, तब से अब तक 1.10 लाख से ज्यादा कारोबार शुरू हुए हैं, जिनमें 90 लाख से ज्यादा लोगों को रोजगार मिल रहा है।