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RBI ने फिर घटाया रेपो रेट, EMI और लोन पर क्या असर पड़ेगा?

RBI ने इस साल रेपो रेट में पांचवी बार कटौती की है। इससे पहले 4 बार रेपो रेट में कटौती की गई थी और दो बार रेट को बरकरार रखा गया था।

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RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा, Photo Credit: PTI

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भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने एक बार फिर रेपो रेट में बदलाव किया है। इस बार 0.25 प्वाइंट की कटौती की गई है और अब नया रेपो रेट 5.25 हो गया है। आर्थिक वृद्धि मजबूत होने और मुद्रीस्फीति में नरमी के चलते RBI ने यह कटौती की गई है। रेपो रेट में कमी के चलते नए कर्ज की ब्याज दरें कम होंगी और पुराने कर्ज की किस्तें घट जाएंगी। इसके साथ ही RBI ने मौजूदा वित्त वर्ष के लिए आर्थिक वृद्धि के अनुमान को 6.8 प्रतिशत से बढ़ाकर 7.3 प्रतिशत कर दिया है। इसके अलावा महंगाई दर के अनुमान को 2.6 प्रतिशत से घटाकर 2 प्रतिशत कर दिया गया है।

 

इस साल पांचवीं बार रेपो रेट में कटौती होने का मतलब यह हुआ कि 2025 में ही कुल 1.25 प्रतिशत की कटौती की जा चुकी है। इससे पहले, केंद्रीय बैंक ने इस साल फरवरी से जून तक रेपो दर में कुल 1 प्रतिशत की कटौती की थी। वहीं अगस्त और अक्टूबर में मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो दर को 5.5 प्रतिशत पर स्थिर रखा गया था।

 

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RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने छह-सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (MPC) की तीन-दिवसीय बैठक में लिए गए निर्णयों की जानकारी देते हुए कहा, ‘MPC ने आम सहमति से रेपो रेट को 0.25 प्रतिशत घटाकर 5.25 प्रतिशत करने का फैसला किया गया है।' उन्होंने कहा कि इसके साथ ही मौद्रिक नीति के रुख को तटस्थ बनाए रखा गया है। इसका मतलब है कि केंद्रीय बैंक आर्थिक स्थिति के हिसाब से इन दरों में बदलाव को लेकर लचीला बना रहेगा। 

 

क्या है रेपो रेट?

 

रेपो रेट ब्याज की वह दर है, जिस पर कॉमर्शियल बैंक अपनी तात्कालिक जरूरतों को पूरा करने के लिए केंद्रीय बैंक यानी RBI से कर्ज लेते हैं। रेपो रेट में कटौती होने से होम लोन और कार लोन की ब्याज दरों में बदलाव होता है। RBI ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि दर के अनुमान को बढ़ाकर 6.8 प्रतिशत से बढ़ाकर 7.3 प्रतिशत कर दिया है।</p><p> वहीं चालू वित्त वर्ष के लिए खुदरा मुद्रास्फीति के अनुमान को घटाकर 2.0 प्रतिशत कर दिया गया जबकि पहले इसके 2.6 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया गया था।

 

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EMI और लोन पर कैसे पड़ता है असर?

 

रेपो रेट घटने से बैंकों को सस्ता लोन मिलता है और इसका फायदा वे अपने ग्राहकों को देते हैं। उदाहरण के लिए आपने जब लोन लिया तब अगर रेपो रेट 5.50 पर्सेंट था और बाद में इसमें 0.25 प्वाइंट की कटौती हो गई तो आपका लोन सस्ता हो जाएगा। आमतौर पर देखा जाता है कि बैंक रेपो रेट के हिसाब से EMI की संख्या घटा देते हैं।

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