भारतीय शेयर बाजारों में 28 फरवरी को काफी बड़ी गिरावट देखने को मिली। सेंसेक्स और निफ्टी दोनों ही क्रैश हो गए। सेंसेक्स 1420 अंक गिरकर 73,192.35 पर और निफ्टी 418 अंक गिरकर 22,126.35 पर बंद हुआ।
ग्लोबल ट्रेड वार की आशंका और कमजोर ग्लोबल संकेतों के चलते निवेशकों ने जमकर बिकवाली की। गिरावट इतनी ज्यादा थी कि बीएसई में लिस्टेड कंपनियों की मार्केट वैल्यू आज दिन भर में करीब 8.85 लाख करोड़ रुपये कम हो गई। इसके साथ ही निफ्टी में गिरावट को लेकर अब 29 सालों में अब नया रिकॉर्ड बना दिया है।
गिरावट इतनी ज्यादा थी कि मिडकैप और स्मॉलकैप भी आज 2 फीसदी से अधिकर टूट गए। यहां तक कि सभी सेक्टोरल इंडेक्स भी लाल निशान में बंद हुए। आईटी और टेलीकॉम इंडेक्स तो 4 फीसदी से अधिक टूट गए। 1996 के बाद यह पहली बार हुआ है जब निफ्टी लगातार 5वें महीने गिरावट के साथ बंद हुआ।
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क्या रहे खास कारण
- भारतीय शेयर बाजार के गिरने में कई अंतर्राष्ट्रीय कारण रहे। अमेरिका में बेरोजगारी के आंकड़े बढ़ रहे हैं जिसकी वजह से अमेरिकी इकॉनमी में मंदी की संभावना जताई जा रही है। ट्रंप के टैरिफ ऐलान के बाद मंहगाई दर में बढ़ोत्तरी हो रही है, इसके चलते आईटी शेयरों में आज भारी गिरावट देखने को मिली जिनकी कमाई का एक बड़ा हिस्सा अमेरिका से आता है।
- एआई सेक्टर की ग्रोथ पर संदेह बढा है। दुनिया में एआई चिप की सबसे बडी कंपनी एनवीडिया (Nvidia) के तिमाही नतीजे उम्मीद से कहीं ज्यादा कमजोर रहे। इसके शेयर रातों-रात 8.5 प्रतिशत तक गिर गए। इसका भी प्रभाव भारतीय बाजार पर पड़ा क्योंकि एनवीडिया के नतीजों ने एआई सेक्टर की ग्रोथ पर संदेह बढ़ा दिया है।
- ट्रंप द्वारा मेक्सिको, कनाडा और चीन पर टैरिफ बढ़ाने के फैसले ने ग्लोबल ट्रेड वॉर की आशंका बढ़ा दी है. एक्सपर्ट्स के मुताबिक शेयर मार्केट अनिश्चितता को पसंद नहीं करते हैं और जब से ट्रंप अमेरिका के राष्ट्रपति चुने गए हैं जब से पूरी दुनिया की मार्केट में अनिश्चितता बढ़ती जा रही है।
- एशियाई बाजारों की गिरावट की वजह से भी भारतीय शेयर बाजार में गिरावट देखने को मिली क्योंकि इसने निवेशकों के सेंटीमेंट पर असर डाला। एशिया में हांगकांग और चीन के शेयर मार्केट में भी गिरावट देखने को मिली। साथ ही जापानी शेयर मार्केट में भी गिरावट देखने को मिली। इसी अनिश्चितता की स्थिति में भारतीय बाजार पर भी प्रभाव डाला।
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फरवरी में हुआ 40 लाख करोड़ का नुकसान
फरवरी के महीने में मार्केट में गिरावट के कारण बीएसई लिस्टेड कंपनियों में कुल लगभग 5 फीसदी की गिरावट देखने को मिली जिससे 40 लाख करोड़ का नुकसान हुआ।
सितंबर पर मार्केट अपने शीर्ष पर था तब से लगातार गिरावट होनी शुरू हुई। तब से लेकर अब तक बाजार में लगभग 15 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है. निफ्टी नेक्स्ट फिफ्टी तो अपने शीर्ष से 26 फीसदी गिर चुका है जबकि निफ्टी मिडकैप 150 21 प्रतिशत गिर चुका है।
कब तक उबरेगा?
एक्सपर्ट्स का कहना है कि शेयर मार्केट में कोई गिरावट किसी आधारभूत समस्या के कारण नहीं आई है। चालू खाता घाटा सही स्तर पर है, मुद्रास्फीति सही स्तर पर है और बैंक बैलेंस शीट भी ठीक है इसलिए यह नहीं कहा जा सकता है कि इकॉनमी में समस्या है।
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क्या वीक डिमांड है कारण?
यह भी कहा जा रहा है कि कमजोर डिमांड के कारण है। हालांकि, यह पूरी तरह से सही नहीं है और यह ऐसी समस्या भी नहीं है जिसको हल नहीं किया जा सकता। मौद्रिक और वित्तीय टूल्स के जरिए डिमांड को संतुलन में लाया जा सकता है। जैसे ही भारतीय अर्थव्यवस्था एक बार मोमेंटम पकड़ेगी उसके बाद कैपिटल फ्लो होने लगेगा। इसमें थोड़ा समय लग सकता है लेकिन मौद्रिक नीति सही रही तो रिकवरी जरूर हो जाएगी।
मार्केट में गिरावट का कितना असर?
मार्केट में गिरावट की वजह से लाखों करोड़ों रुपयों का नुकसान हुआ है। शुक्रवार को NSE पर लिस्टेड 2,972 शेयरों में कारोबार हुआ, जिनमें से 2,416 में गिरावट आई है। वहीं बीएसई की बात करें तो इसमें लिस्टेड कंपनियों की मार्केट कैप 8 लाक करोड़ रुपये तक घट गई है। शेयर मार्केट में गिरावट की वजह ले अभ तक लगभग 50 लाख करोड़ का नुकसान हो चुका है।