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बरारी विधानसभा: हर बार नई पार्टी को मिलता है मौका, फिर जीतेगी JDU?

बरारी विधानसभा हमेशा नए उम्मीदवारों को मौका देने के लिए जानी जाती है। JDU के लिए 2020 की जीत को दोहराना मुश्किल होगा।

Barari Constituent assembly

बरारी विधानसभा, Photo Credit- KhabarGaon

बरारी, कोसी नदी के किनारे बसा इलाका है। जो कटिहार लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है।कोसी की वजह से यहां की मिट्टी काफी उपजाऊ है। धान, गेहूं और केले की खेती इस क्षेत्र की अहम फसलें हैं। ज्यादातर लोग खेती पर निर्भर हैं। रोजगार के अवसर सीमित होने की वजह से लोगों को कमाने के लिए घर छोड़कर शहरों की ओर कूच करना पड़ता है।

मखाना और मक्के से जुड़े उद्योग इस क्षेत्र की अहम मांगों में शामिल हैं। राजनीति की बात करें तो बरारी सीट की खासियत यह है कि यहां हर चुनाव में नए समीकरण और रणनीतियां बनती हैं।

 

इंडिया टूडे की रिपोर्ट के मुताबिक हाल ही के सालों में इलाके में रोड कनेक्टिविटी बेहतर हुई है। इस क्षेत्र में मुस्लिम मतदाता लगभग 81,108 (29.80%) हैं। इसके बावजूद, बरारी ने 16 में से 10 बार हिंदू विधायकों को चुना है। मोहम्मद साकूर और मंसूर आलम ही दो मुस्लिम नेता रहे हैं जिन्होंने मिलकर 6 बार इस सीट का प्रतिनिधित्व किया है। 

 

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मौजूदा स्थिति

इस सीट पर JDU की पकड़ काफी मजबूत है। 2024 के  लोकसभा चुनाव में कटिहार से कांग्रेस उम्मीदवार ने जीत हासिल की। हालांकि, बरारी से JDU के उम्मीदवार 8 हजार से ज्यादा वोटों से आगे रहे थे। पिछले 3 चुनाव को देखें तो लोगों ने अलग-अलग पार्टियों को जिताया है। JDU के लिए इस बार जीत को दोहराना चुनौती पूर्ण होगा। 
 

2020 में क्या हुआ था?

बरारी विधानसभा सीट पर 2020 के विधानसभा चुनाव में JDU ने शानदार प्रदर्शन किया था। JDU के उम्मीदवार विजय सिंह ने RJD के नीरज कुमार को कड़ी टक्कर दी और जीत हासिल की थी।  उन्हें 81,752 वोट मिले, जो 44.71 प्रतिशत थे, जबकि नीरज कुमार को 71,314 वोट मिले। RJD के दबदबे वाले इलाके में JDU का जीतना काफी अहम था।
इस सीट पर 13 पार्टियों ने चुनाव लड़ा था। इनमें LJP, NCP और AIMIM अहम पार्टियां थीं। 

 

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विधायक का परिचय

विजय सिंह निषाद बरारी के विधायक हैं। वह प्रदेश में JDU के बड़े नेता हैं। पार्टी ने 2021 में उन्हें अति पिछड़ा प्रकोष्ठ का प्रदेशाध्यक्ष बनाया था। उन्होंने 10वीं तक की शिक्षा हासिल की है। 2020 के हलफनामे के मुताबिक उनके पास 3 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति है। उन पर कोई आपराधिक मुकदमा नहीं चल रहा है।  पिछले साल एक बयान के बाद वह खूब चर्चा में आए थे। दरअसल बाढ़ और कटाव के कारण कटिहार में काफी लोग विस्थापित हुए थे। ऐसे में विजय सिंह ने संकल्प लिया था कि जब तक वह विस्थापितों का पुनर्वास नहीं करा देते तब तक दाढ़ी नहीं बनाएंगे।

 

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सीट का इतिहास 

1957 में अस्तित्व में आई बरारी विधानसभा सीट पर 16 बार चुनाव हो चुके हैं। शुरुआती सात में से पांच बार कांग्रेस ने जीत हासिल की थी। सीट पर कांग्रेस को आखिरी बार 1980 में जीत मिली थी। इसके बाद से इलाके के मतदाता अलग-अलग दलों को मौका देते रहे हैं । BJP और RJD ने दो-दो बार, जबकि CPI, जनता पार्टी, लोकदल, जनता दल, NCP, JDU और एक निर्दलीय उम्मीदवार ने एक-एक बार जीत दर्ज की है।

  • 1957- वसुदेव प्रसाद (INC)
  • 1962- वसुदेव प्रसाद (INC)
  • 1967- वसुदेव प्रसाद (INC)
  • 1969- मुहम्मद सकूर (CPI)
  • 1972-मुहम्मद सकूर (INC)
  • 1977- वसुदेव प्रसाद सिंह (जनता पार्टी)
  • 1980- करुणेश्वर सिंह (INC)
  • 1985- मंसूर आलम (लोकदल)
  • 1990- प्रेमनाथ जयसवाल (निर्दलीय)
  • 1995- मंसूर आलम (जनता दल)
  • 2000- मंसूर आलम ( राष्ट्रीय जनता दल)
  • 2005- मुहम्मद सकूर (NCP)
  • 2005- बिहास चंद्र चौधरी (BJP) उपचुनाव में जीते।
  • 2010-  बिहास चंद्र चौधरी (BJP)
  • 2015- नीरज यादव (RJD)
  • 2020-विजय सिंह (JDU)

 

 

 

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