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बाढ़ विधानसभा: BJP के गढ़ में कौन देगा टक्कर?

बाढ़ विधानसभा, पटना जिले की 14 विधानसभाओं में से एक है। यहां से ज्ञानेंद्र कुमार सिंह विधायक हैं। विधानसभा के मुद्दे क्या हैं, सियासी समीकरण क्या बन रहे हैं, आए जानते हैं।

Barh Vidhan Sabha Chunav

बाढ़ विधानसभा चुनाव। (Photo Credit: Khabargaon)

बाढ़ विधानसभा, बिहार की 243 विधानसभाओं में से एक है। यह विधानसभा, पटना जिले के अंतर्गत आती है। बाढ़ विधानसभा में 2005 से ही एक सिर्फ एक नेता का दबदबा है, वह हैं ज्ञानेंद्र कुमार सिंह। वह पहले जनता दल यूनाइटेड में रहे, साल 2015 से वह भारतीय जनता पार्टी में हैं। यह सीट, ज्ञानेंद्र कुमार का गढ़ कही जाती है। यह विधानसभा मुंगेर संसदीय क्षेत्र का हिस्सा है। यहां नीतीश कुमार का प्रभुत्व रहा है। बाढ़ विधानसभा, गंगा नदी के किनारे बसा है। यह जगह ऐतिहासिक है। यहां से बख्तियारपुर सिर्फ 20 किलोमीटर है। मोकामा 25 किलोमीटर दूर तो राजधानी पटना भी 60 किलोमीटर दूर है। यहां खेती-किसानी खूब होती है, विधानसभा का ज्यादातर हिस्सा ग्रामीण है। यहां का समृद्ध सांस्कृतिक इतिहास रहा है।

बाढ़ विधानसभा, गंगा नदी के किनारे बसा है। एक जमाने में यह व्यपार का केंद्र रहा है। गंगा के किनारे होने के कारण यह प्राचीन काल से व्यापार और परिवहन का केंद्र रहा है। 16वीं सदी में शेर शाह सूरी ने यहां व्यापारियों के लिए 200 कमरों का एक विशाल सराय बनवाया था। साल 1877 में बाढ़ में एक रेलवे स्टेशन बना। तब के लिए यह बहुत बड़ी बात थी। यह बाढ़ प्रभावित इलाका है। कुछ लोग मानते हैं कि यहां इतनी ज्यादा बाढ़ आती थी कि लोगों ने बाढ़ नाम रख दिया। यहां की ज्यादातर आबादी कृषक है। बाढ़ में ही NTPC का एक सुपर थर्मल पावर स्टेशन है। यहां 3300 मेगावाट बिजली उत्पादित करने की क्षमता है।  2640 मेगावाट बिजली पैदा यहां से पैदा होती है। यहां से यह बिजली बिहार, झारखंड, सिक्किम, तेलंगाना और ओडिशा जैसे राज्यों को सप्लाई की जाती है। 

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विधानसभा का परिचय 

बाढ़ विधानसभा में कुल वोटरों की संख्या 294748 है। यहां महिला मतदाताओं की संख्या 139768 और पुरुष मतदाताओं की संख्या 154976 है। 4 थर्ड जेंडर मतदाता भी हैं। यहां अनुसूचित जाति और अल्पसंख्यक आबादी कम है। सवर्ण जातियों का वर्चस्व रहा है। क्षत्रिय और भूमिहार मतदाता अहम भूमिका निभाते हैं। यहां शहरी मतदाताओं की संख्या भी सिर्फ 14 फीसदी है। साल 2015 में यहां करीब 55 फीसदी वोट पड़े थे लेकिन 2020 में यह आंकड़ा घटकर 53 प्रतिशत पर आ गया। 

विधानसभा के मुद्दे क्या हैं?

यह विधनसभा ग्रामीण विधानसभा है। पटना का बाहरी हिस्सा होने की वजह से यहां भी विकास से जुड़ी वही समस्याएं हैं, जो दूसरे जिलों में हैं। पलायन के लिए एक बड़ी आबादी शहर चली आई है। तभी 2020 के चुनाव में 53 फीसदी वोटिंग हो पाई। शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार यहां बड़ा मुद्दा है। पलयान का मुद्दा भी विपक्ष उठा रहा है। 

विधायक का परिचय

ज्ञानेंद्र कुमार सिंह बाढ़ विधानसभा से विधायक हैं। वह एनडीए के नेता के तौर पर खुद को आगे रखते हैं। साल 2015 में नीतीश कुमार से वह नाराज हो गए थे, जब उन्होंने एनडीए छोड़कर महागठबंधन का हाथ थामा था। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी से टिकट लिया और चुनावी मैदान में उतरे। 2005 और 2010 में वह जेडीयू से विधायक चुने गए थे।

 

नीतीश कुमार के पाला बदलने के बाद साल 2014 में उन्होंने जेडीयू छोड़ दी थी। उन्होंने साल 2020 के हलफनामे में अपनी कुल संपत्ति 4 करोड़ 65 लाख के आसपास बताई है। उन पर 27 लाख 50 हजार से ज्यादा कर्ज भी है। वह हाजीपुर के सेंट कोलंबस कॉलज हजारीबाग, रांची विश्वविद्यालय से ग्रेजुएट हैं। वह अभी बीजेपी के खिलाफ बागी तेवर अपनाए हुए नजर आ रहे हैं। उन्होंने दावा किया है कि बीजेपी कोटे के ज्यादातर मंत्री भ्रष्टाचार में लिप्त हैं। 

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साल 2025 में क्या समीकरण बन रहे हैं?

ज्ञानेंद्र कुमार सिंह बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व से नाराज हैं। उनका कहना है कि बीजेपी राज्य में नेतृत्व विहीन है। उन्होंने कहा कि बीजेपी कोटे के ज्यादार मंत्री भ्रष्टार में लिप्त हैं, अधिकारी बात नहीं सुनते हैं। जिन मंत्रियों की बात अधिकारी सुनते हैं, वे मंत्री फाइल अपने घर पर मंगवा कर रख लिया है।  उन्होने कहा कि बीजेपी से सवर्ण लॉबी नाराज है। अब यही बात बीजेपी के खिलाफ इस विधानसभा चुनाव में जा सकती है। ऐसा कहा जा रहा है कि अब उनका टिकट भी कट सकता है। अगर वह पाला नहीं बदलते हैं तो यहां से बीजेपी किसी और को उतार सकती है। दूसरी तरफ कांग्रेस एक बार फिर यहां से सत्येंद्र बहादुर को उतार सकती है। 

2020 में क्या समीकरण रहे?

बीजेपी साल 2020 के चुनाव में एक बार फिर ज्ञानेंद्र कुमार को चुनावी मैदान में उतारा। उन्हें कुल 49327 वोट पड़े। कांग्रेस ने सत्येंद्र बहादुर को उतार दिया, जिन्हें 39087 वोट पड़े। 10240 जीत-हार का अंतर रहा। निर्दलीय उम्मीदर कर्ण वीर सिंह यादव को 38406 वोट पड़े। 

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विधानसभा का इतिहास

साल 1951 से लेकर अब तक यहां कुल 17 विधानसभा चुनाव हुए हैं। शुरुआती चुनावों में कांग्रेस ने यहां से 6 बार जीत हासिल की। साल 1985 तक कांग्रेस यहां मजबूत रही लेकिन बात में जनता और समता पार्टियों ने अपना प्रभुत्व मजबूत कर लिया। अब यह भारतीय जनता पार्टी का गढ़ बन गई है। 

  • विधानसभा चुनाव 1952: राणा शिव लख पति सिंह, कांग्रेस
  • विधानसभा चुनाव 1957: रम्यतन सिंह, कांग्रेस
  • विधानसभा चुनाव 1962: राणा शिव लख पति सिंह, कांग्रेस
  • विधानसभा चुनाव 1967: तरिणी प्रसाद सिंह, जन क्रांति दल
  • विधानसभा चुनाव 1969: राणा शिव लख पति सिंह, कांग्रेस
  • विधानसभा चुनाव 1972: द्वारिका नाथ सिंह, कांग्रेस
  • विधानसभा चुनाव 1977: राणा शिव लख पति सिंह, जनता पार्टी
  • विधानसभा चुनाव 1980: विश्व मोहन चौधरी, निर्दलीय
  • विधानसभा चुनाव 1985: भुवनेश्वर सिंह, कांग्रेस
  • विधानसभा चुनाव 1990: विजय कृष्ण सिंह, जनता दल
  • विधानसभा चुनाव 1995: विजय कृष्ण सिंह, जनता दल
  • विधानसभा चुनाव 2000: भुवनेश्वर सिंह, समता पार्टी
  • विधानसभा चुनाव 2005: लवली आनंद, जेडीयू
  • विधानसभा चुनाव 2005: ज्ञानेंद्र कुमार सिंह, जेडीयू
  • विधानसभा चुनाव 2010: ज्ञानेंद्र कुमार सिंह, जेडीयू
  • विधानसभा चुनाव 2015: ज्ञानेंद्र कुमार सिंह, बीजेपी
  • विधानसभा चुनाव 2020: ज्ञानेंद्र कुमार सिंह, बीजेपी

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