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क्या जनसुराज अधिकारियों पर लगाएगा दांव? IAS-IPS लड़ सकते हैं चुनाव

बिहार विधानसभा चुनाव में इस बार भारी संख्या में आईएएस या आईपीएस अधिकारी चुनाव लड़ सकते हैं।बिहार विधानसभा चुनाव में इस बार भारी संख्या में आईएएस या आईपीएस अधिकारी चुनाव लड़ सकते हैं।

Prashant Kishore । Photo Credit: PTI

प्रशांत किशोर । Photo Credit: PTI

संजय सिंह, पटना: इस बार का चुनाव थोड़ा अजीब है। कई आईएस और आईपीएस अधिकारी भी चुनाव में अपना भाग्य आजमाने को आतुर हैं। ऐसे उम्मीदवारों की संख्या सभी राजनीतिक दलों के पास है, लेकिन जन सुराज के पास भीड़ ज्यादा है। जन सुराज के प्रदेश अध्यक्ष मनोज भारती स्वयं विदेश सेवा के सेवानिवृत अधिकारी हैं। आईजी के पद से वीआरएस लेने के बाद सिंघम के रूप में चर्चित पुलिस अधिकारी शिवदीप लांडे ने वजाप्ता हिंद सेना का गठन किया है।

 

वे पूर्व बिहार या सीमांचल से किसी सीट से उम्मीदवार बन सकते हैं। इसके अलावा कुछ नामचीन डाक्टर, वकील और वीआईपी प्रोफेशनल भी टिकट की लाइन में खड़े हैं। ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है। पूर्व में भी कई लोगों ने चुनाव में अपना भाग्य आजमाया है। पूर्व आईपीएस अधिकारी वर्तमान में बिहार सरकार में मंत्री हैं। पूर्व में चुनाव लड़े अधिकारियों में किसी को हार मिली तो किसी को जीत। 

 

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किसी को हार, तो किसी को मिली जीत

राज्य के पूर्व डीजीपी डीपी ओझा की गिनती ईमानदार और चर्चित अधिकारी के रुप में होती थी। रिटायर होने के बाद उन्होंने बेगूसराय से चुनाव लड़ने का मन बनाया, लेकिन चुनावी राजनीति में वे सफल नहीं हो पाए। इसी 2014 में राज्य के पूर्व डीजीपी आशीष रंजन सिन्हा कांग्रेस की टिकट पर नालंदा से चुनाव लड़े, लेकिन किस्मत ने उनका साथ नहीं दिया। ऐसे ही एक और अधिकारी आरआर प्रसाद पंचायत चुनाव जीतने में भी सफल नहीं रहे।

 

बक्सर लोकसभा सीट से पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय ने भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ने का मन बनाया था। इसके लिए उन्होंने वीआरएस भी लिया था, लेकिन किसी कारणवश उन्हें टिकट नहीं मिला। अब वे संत बनकर धार्मिक का कार्य कर रहे हैं। डीजीपी रैंक से सेवानिवृत्त डीएन सहाय कभी भी चुनावी राजनीति में सक्रिय नहीं रहे, लेकिन उन्हें राज्यपाल बनने का मौका मिला। इसके अतिरिक्त दिल्ली के पूर्व पुलिस कमिश्नर निखिल कुमार और लखीसराय के आईपीएस अधिकारी ललित विजय सिंह क्रमशः औरंगाबाद और बेगूसराय से चुनाव जीत चुके हैं।

अधिकारी चुनाव लड़ने को इच्छुक

आईपीएस अधिकारी शिवदीप लांडे भी वीआरएस लेकर राजनीति में पूरी तरह सक्रिय हैं। इन्होंने अपनी पार्टी भी बनाई है। वे लगातार पूर्व बिहार और सीमांचल के लोगों के संपर्क में हैं। लांडे ने अपनी करियर की शुरुआत मुंगेर से की थी। इसलिए उनका ज्यादा फोकस मुंगेर पर ही है। हिमाचल प्रदेश में अपर पुलिस महानिदेशक के पद पर तैनात जयप्रकाश सिंह नौकरी छोड़ जन सुराज के साथ है। वे छपरा से चुनाव लड़ सकते हैं। आईपीएस अधिकारी नरूल हुडा भी सीतामढ़ी से चुनाव लड़ना चाहते हैं।

 

वे वीआईपी के साथ हैं। आईपीएस अधिकारी आनंद मिश्रा लोकसभा चुनाव में बक्सर से प्रत्याशी थे। लोकसभा चुनाव में उन्हें सफलता नहीं मिली। अब वे विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। इसके अतिरिक्त पूर्व पुलिस अधिकारी सुनील कुमार जदयू के साथ हैं। वे सरकार के मंत्री रहे हैं। तमिलनाडु कैडर के अधिकारी डीके रवि और तरुण सागर ने क्रमशः कांग्रेस और राजद ज्वाइन किया है। इन दोनो के चुनाव मैदान में उतरने की संभावना है।

 

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आईएस अधिकारियों का भी दावा

राज्य के कई आईएस अधिकारी भी टिकट के दावेदार हैं। चर्चित अधिकारी मनीष वर्मा को नीतीश कुमार के काफी करीबी माने जाते हैं। लोकसभा चुनाव के दौरान भी वे पूरी तरह सक्रिय थे। उनके नालंदा से चुनाव लड़ने की चर्चा है। पश्चिम चंपारण के डीएम रहे दिनेश कुमार राय भी चुनाव लड़ने के मूड में हैं। उनके संबंध में अटकल लगाया जा रहा है कि वे रोहतास जिले के करगहर विधानसभा से चुनाव लड़ सकते हैं।

 

इसके अलावा ललन जी और अरविंद कुमार सिंह भी आईएस पद से सेवानिवृत होने के बाद जन सुराज से जुड़े हैं। ये दोनो भी टिकट के दावेदार हैं। बहरहाल आईएस और आईपीएस की नौकरी में सफल रहे लोग चुनाव राजनीति में कितना सफल होंगे यह तो वक्त बताएगा।

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