बिहार की जहानाबाद सीट एक सामान्य श्रेणी की विधानसभा है। पिछले तीन चुनाव से यहां आरजेडी का दबदबा है। 2010 में सिर्फ एक बार जेडीयू के अभिराम शर्मा जीते थे। जहानाबाद विधानसभा के अलावा जिला भी है। 1 अगस्त 1986 को गया जिले से अलग करके इसका गठन किया गया। जिले का उल्लेख आईन-ए-अकबरी किताब में मिलता है। जिले का नाम औरंगजेब की बहन जहांआरा के नाम पर पड़ा। जहानाबाद में बड़े उद्योगों का अभाव है। जिले की अधिकांश आबादी खेती-किसानी पर निर्भर है। यहां की भूमि बेहद उपजाऊ है। मुख्यत: गेहूं, धान और मक्के की खेती होती है।
जहानाबाद विधानसभा क्षेत्र में जिला मुख्यालय आता है। कांग्रेस के अलावा यहां समाजवादी दलों का दबदबा रहा है। मुन्नी लाल यादव के निधन के बाद आरजेडी ने सुदय यादव पर भरोसा जताया। वे दो बार चुनाव जीतकर पार्टी की उम्मीदों पर खरे उतरे। विधानसभा क्षेत्र में सड़क,पानी और बिजली की समस्याएं हैं। रोजगार के साधन नहीं होने के कारण लोगों को अन्य प्रदेश पलायन करना पड़ता है।
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मौजूदा समीकरण
जहानाबाद विधानसभा सीट पर कोइरी, कुर्मी, भूमिहार और यादव समुदाय का अच्छा खासा प्रभाव है। विधानसभा क्षेत्र में लगभग 17.07 फीसद अनुसूचित जाति के वोटर्स हैं। 8.5 फीसद मुस्लिम मतदाताओं की हिस्सेदारी है। इलाके में 74.23 फीसद ग्रामीण और 25.77 प्रतिशत शहरी मतदाता हैं। लगभग 10.9% यादव मतदाताओं की भूमिका भी अहम है। जहानाबाद विधानसभा क्षेत्र में 4.2 फीसद पासवान समुदाय के वोटर्स हैं। यहां यादव और मुस्लिम समीकरण का फायदा सीधे आरजेडी को मिलता है।
2020 चुनाव का रिज्ल्ट
पिछले चुनाव में कुल 15 प्रत्याशी चुनाव मैदान में थे। आरजेडी ने मौजूदा विधायक सुदय यादव पर दोबारा भरोसा जताया। जेडीयू ने पूर्व मंत्री कृष्णनंदन वर्मा को टिकट दिया। एलजेपी ने महिला प्रत्याशी इंदु देवी कश्यप को उतारा। आरजेडी प्रत्याशी सुदय यादव को कुल 75,030 वोट मिले। कृष्णनंदन वर्मा के हिस्से में 41,128 मत आए। उन्हें 33,902 मतों के अंतर से हार का सामना करना पड़ा। एलजेपी प्रत्याशी इंदु देवी कश्यप को 24,176 वोट मिले।
मौजूदा विधायक का परिचय
2015 के विधानसभा चुनाव में आरजेडी की टिकट पर मुद्रिका सिंह यादव ने जीत हासिल की थी। 2017 में उनका निधन हो गया। 2018 में हुए उपचुनाव में आरजेडी ने सुदय यादव को अपना प्रत्याशी बनाया। इस चुनाव में उन्हें जीत मिली। 2020 के चुनाव में आरजेडी ने सुदय पर दोबारा भरोसा जताया। जनता ने भारी मतों के अंतर से उन्हें जीत दिलाई। अब आरजेडी कार्यकर्ता ही विधायक सुदय यादव के खिलाफ उतर चुके हैं। कई जगह उनके खिलाफ विरोध प्रदर्शन ने खूब सुर्खियां बटोरीं। 2020 के चुनावी हलफनामे के मुताबिक विधायक सुदय यादव के पास एक करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति है। अगर पढ़ाई-लिखाई की बात करें तो उन्होंने पीएचडी कर रखी है।
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यह जहानाबाद लोकसभा सीट का हिस्सा है. जहानाबाद विधानसभा क्षेत्र 1951 में अपनी स्थापना के बाद से अब तक 17 चुनाव देख चुका है. यह शुरुआत में कांग्रेस का गढ़ था, जहां पहले नौ में से छह चुनाव कांग्रेस ने जीते. हालांकि, 1952 में सोशलिस्ट पार्टी और 1969 में शोसित दल के अप्रत्याशित जीतने से कांग्रेस का वर्चस्व थोड़ा टूट गया. इस सीट पर कांग्रेस की आखिरी जीत 1985 में हुई थी, जिसके बाद पार्टी का प्रभाव खत्म हो गया।
विधानसभा सीट का इतिहास
जहानाबाद विधानसभा क्षेत्र साल 1952 से अस्तित्व में है। कांग्रेस को कुल पांच बार जीत मिली। हरि लाल प्रसाद सिन्हा दिन अलग-अलग प्रत्याशी के तौर पर जीतने वाले इकलौते नेता हैं। सबसे अधिक छह बार आरजेडी पर जहानाबाद की जनता ने भरोसा जताया है। 2010 में जेडीयू एक बार जीती। जहानाबाद में जनता पार्टी, जनता दल, शोषित दल, सोशलिस्ट पार्टी, एनसीओ और निर्दलीय को एक-एक बार मौका मिल चुका है। महावीर चौधरी और हरि लाल प्रसाद तीन-तीन, सचिदानंद यादव, मुद्रिका सिंह यादव और सुदय यादव को दो-दो बार विधायक बनने का मौका मिला।
जहानाबाद विधानसभा: कब-कौन जीता
वर्ष |
विजेता |
दल |
1952 |
शिवभजन सिंह |
सोशलिस्ट पार्टी |
1957 |
महावीर चौधरी |
कांग्रेस |
1962 |
महावीर चौधरी |
कांग्रेस |
1967 |
महावीर चौधरी |
कांग्रेस |
1969 |
हरिलाल प्रसाद सिन्हा |
शोषित दल |
1972 |
हरिलाल प्रसाद सिन्हा |
एनसीओ |
1977 |
राम चंद्र यादव |
जनता पार्टी |
1980 |
तारा गुप्ता |
कांग्रेस |
1985 |
सैयद असगर हुसैन |
कांग्रेस |
1990 |
हरि लाल प्रसाद सिन्हा |
निर्दलीय |
1995 |
मुद्रिका सिंह यादव |
जनता दल |
2000 |
मुन्नी लाल यादव |
आरजेडी |
2005 (फरवरी) |
सचिदानंद यादव |
आरजेडी |
2005 (नवंबर) |
सचिदानंद यादव |
आरजेडी |
2010 |
अभिराम शर्मा |
जेडीयू |
2015 |
मुद्रिका सिंह यादव |
आरजेडी |
2018 |
सुदय यादव |
आरजेडी |
2020 |
सुदय यादव |
आरजेडी |