किशनगंज जिले की कोचाधामन विधानसभा सीट मुस्लिम बहुल है। यहां लगभग 72 फीसदी मुस्लिम मतदाता हैं। हार-जीत में इनकी भूमिका निर्णायक है। पहले यह विधानसभा किशनगंज का हिस्सा थी। मगर परिसीमन के बाद इसे एक अलग विधानसभा बना दिया गया। विधानसभा की लगभग पूरी आबादी ग्रामीण क्षेत्र में रहती है। नेपाल और बंगाल सीमा के करीब होने के कारण इस विधानसभा क्षेत्र में वही समस्याएं हैं, जो किशनगंज जिले की बाकी विधानसभा सीटों में देखने को मिलती हैं। मसलन, बाढ़, पलायन और पिछड़ापन।
कोचाधामन विधानसभा सीट में कुल 30 पंचायतें आती हैं। इनमें से 24 का ताल्लुक कोचाधामन प्रखंड और 6 का किशनगंज प्रखंड से है। लगभग 80 फीसदी आबादी खेती-किसानी पर निर्भर है। इलाके में रोजगार न होने के कारण लोग अन्य प्रदेशों को पलायन करते हैं। अगर खेती की बात करें तो यहां प्रमुख रूप से गेहूं, धान, मक्का और सब्जियों की खेती होती है। विधानसभा सीट में पड़ने वाली विशनपुर मंडी काफी प्रसिद्ध है। यहां दूर-दराज से लोग आते हैं।
सीट का समीकरण
मुस्लिम बहुल सीट होने की वजह से सभी दल मुसलमान चेहरे पर ही दांव खेलते हैं। 2015 के विधानसभा चुनाव में जेडीयू के अलग होने के बाद बीजेपी ने भी यहां मुस्लिम चेहरे पर भरोसा जताया था। पिछले दो चुनाव में ओवैसी की पार्टी की यहां बड़ी सियासी धमक देखने को मिली है। 2015 में आरजेडी और जेडीयू ने मिलकर चुनाव लड़ा था। तभी जेडीयू प्रत्याशी को जीत मिली। मगर 2020 के चुनाव में दोनों पर्टियां अलग-अलग लड़ीं। नतीजा यह हुआ कि ओवैसी की पार्टी ने बाजी मार ली। मतलब साफ है कि मुस्लिम वोटों में बंटवारे का फायदा एआईएमआईएम को हुआ है।
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मौजूदा विधायक का परिचय
2020 विधानसभा चुनाव में ओवैसी की पार्टी की टिकट से चुनाव जीतने वाले मुहम्मद इजहार अस्फी ने 2022 में आरजेडी का दामन थाम लिया था। पिछले साल उनका एक वीडियो वायरल हुआ था। इसमें विधायक असफी ने जेल के अंदर अपने गुंडों से एक शिक्षक को पिटवाने की धमकी दी थी। वीडियो को उनके बेटे मुहम्मद इम्तियाज असफी ने ही सोशल मीडिया पर अपलोड किया था। पिछले चुनावी हलफनामे में विधायक असफी ने खुदरा ब्रिकेट विक्रेता के तौर पर अपना व्यवसाय बताया है। वे 10वीं तक पढ़े-लिखे हैं। उनके पास लगभग 2.66 करोड़ की संपत्ति और दो लाख रुपये से अधिक की देनदारी है। उनके खिलाफ कोचाधामन पुलिस थाने में दो मामले भी दर्ज हैं।
2020 के विधानसभा चुनाव में क्या हुआ?
पिछले विधानसभा चुनाव में कोचाधामन विधानसभा सीट पर असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) ने जीत का परचम लहराया। कुल 12 प्रत्याशी चुनाव मैदान में थे। इनमें से 10 की जमानत जब्त हो गई थी। ओवैसी के प्रत्याशी मुहम्मद इजहार असफी को कुल 79,893 वोट मिले। उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वी और मौजूदा जेडीयू विधायक मुजाहिद आलम को 36143 मतों के अंतर से शिकस्त दी थी। आरजेडी के प्रत्याशी मोहम्मद शहीद आलम को 26134 वोट मिले थे। इन तीन प्रत्याशियों को छोड़कर कोई अन्य उम्मीदवार दो हजार मतों का आंकड़ा पार नहीं कर पाया। लोक जन शक्ति पार्टी के प्रत्याशी सिर्फ 1,606 मत मिले थे।
विधानसभा सीट का इतिहास
कोचाधामन विधानसभा सीट साल 2008 के परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई। अभी तक के तीन विधानसभा चुनाव में जनता ने हर बार नए चेहरे पर भरोसा जताया है। साल 2010 के विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के प्रत्याशी अख्तारुल ईमान ने जेडीयू उम्मीदवार मुजाहिद आलम को 9025 मतों के अंतर से हराया था। मुजाहिद आलम ने 2014 के उपचुनाव में जेडीयू की टिकट से पहली बार चुनाव जीता। अगले साल यानी 2015 के विधानसभा चुनाव में वे 18843 मतों के अंतर से दूसरी बार विधायक बने। दूसरे नंबर पर ओवैसी की पार्टी के अख्तारुल ईमान रहे। उनके हिस्से में कुल 37086 मत आए थे। भाजपा ने अब्दुर रहमान पर दांव खेला था। उन्हें 34895 वोट मिले थे। मुजाहिद आलम ने अब जेडीयू छोड़कर आरजेडी का दामन थाम लिया है।
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कोचाधामन विधानसभा: कब-कौन जीता
साल |
विजेता |
पार्टी |
2010 |
अख्तारुल ईमान |
आरजेडी |
2015 |
मुजाहिद आलम |
जेडीयू |
2020 |
मुहम्मद इजहार असफी |
एआईएमआईएम |
नोट: आंकड़े भारत निर्वाचन आयोग