बिहार की कुर्था विधानसभा सीट अरवल जिले में पड़ती है। अगर लोकसभा चुनाव की बात करें तो यह जहानाबाद संसदीय क्षेत्र में आता है। कुर्था विकासखंड भी है और सोन नदी के किनारे बसा है। ग्रामीण इलाके में अधिकांश जनता रहती है। बड़े उद्योग धंधों का अभाव है। इलाके के लोगों को रोजगार की खातिर अन्य प्रदेश जाना पड़ता है। 2000 से पहले यह इलाका नक्सल प्रभावित था, लेकिन अब हालात बदल चुके हैं। इलाके की मिट्टी काफी उपजाऊ है। यहां धान और गेहूं की खेती मुख्य तौर पर होती है। कुर्था में हमेशा ही समाजवादी दलों का प्रभुत्व रहा है। कांग्रेस सिर्फ दो बार जीती है। बीजेपी को अभी तक सफलता नहीं मिली है।
मौजूदा समीकरण
कुर्था एक सामान्य श्रेणी की विधानसभा सीट है। यहां अनुसूचित जाति के मतदातों की हिस्सेदारी करीब 19.04 फीसद है। वहीं 8.3 प्रतिशत मुस्लिम वोटर्स हैं। 10 फीसद मतदाता यादव समुदाय से हैं। कुर्था में किसी भी दल की हार जीत में इन्हीं समुदाय की भूमिका अहम होती है। 5.4 प्रतिशत पासवान मतदाता भी हैं। विधानसभा क्षेत्र का स्वरूप पूरी तरह से ग्रामीण है। यहां के 100 फीसद आबादी ग्रामीण इलाके में रहती हैं। विधानसभा क्षेत्र में मतदाताओं की कुल संख्या 2,39,502 है।
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2020 चुनाव का रिजल्ट
पिछले चुनाव में कुल 19 प्रत्याशियों ने अपनी किस्मत आजमाई। जेडीयू ने को बार के विधायक सत्यदेव सिंह पर भरोसा जताया। उनके सामने आरजेडी ने जेडीयू से आए बागी कुमार वर्मा को टिकट दिया। बागी कुमार वर्मा को कुल 54,227 वोट मिले। सत्यदेव सिंह को सिर्फ 26,417 मत मिले। 27,810 मतों के अंतर से जेडीयू को हार का सामना करना पड़ा। मगर उसकी हार में राष्ट्रीय लोक समता पार्टी और लोक जनशक्ति पार्टी की भूमिका अहम रही है। लोजपा को कुल 20,509 और राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के प्रत्याशी को 16,158 वोट मिले। अगर यह दोनों पार्टियां एनडीए का हिस्सा होती तो इसका फायदा जेडीयू को मिल सकता था।
मौजूदा विधायक का परिचय
कुर्था विधानसभा सीट से मौजूदा विधायक बागी कुमार वर्मा जेडीयू और आरजेडी दोनों ही दलों का हिस्सा रह चुके हैं। मौजूदा समय में वह आरजेडी से विधायक हैं। कुर्था से चुनाव जीतने से पहले बागी कुमार वर्मा मखदुमपुर विधानसभा क्षेत्र से दो बार विधायक रहे हैं। पिछले चुनाव में तीसरी जीत हासिल की। वह लालू प्रसाद यादव की सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं। 2020 के चुनावी हलफनामे के मुताबिक बागी कुमार वर्मा के पास 8 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति है। 59 लाख रुपये का कर्ज भी है। उनके खिलाफ दो आपराधिक मामले दर्ज हैं। अगर पढ़ाई-लिखाई की बात करें तो उन्होंने साल 1977 में मगध विश्वविद्यालय के जगजीवन कॉलेज से स्नातक की डिग्री हासिल की।
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विधानसभा सीट का इतिहास
कुर्था विधानसभा सीट पर हमेशा ही समाजवादी दलों का दबदबा रहा है। 1952 के पहले चुनाव में सोशलिस्ट पार्टी ने जीत हासिल की। कांग्रेस ने 1957 में पहली और 1972 में आखिरी जीत हासिल की। जनता दल और आरजेडी को दो-दो बार कामयाबी मिली। सबसे अधिक तीन बार जेडीयू ने अपना विधायक बनाया। इसके अलावा सोशलिस्ट पार्टी, प्रजा सोशलिस्ट पार्टी, संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी, शोषित दल, शोषित समाज दल, जनता पार्टी, निर्दलीय और एलजेपी को एक-एक बार जीत मिली। जगदेव प्रसाद, रामचरण सिंह यादव, सहदेव प्रसाद यादव, सुचित्रा सिन्हा और सत्यदेव सिंह दो-दो बार विधायक बने।
कुर्था विधानसभा: कब-कौन जीता
वर्ष |
विजेता |
दल |
1952 |
रामचरण सिंह यादव |
सोशलिस्ट पार्टी |
1957 |
कामेश्वर शर्मा |
कांग्रेस |
1962 |
रामचरण सिंह यादव |
प्रजा सोशलिस्ट पार्टी |
1967 |
जगदेव प्रसाद |
संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी |
1969 |
जगदेव प्रसाद |
शोषित दल |
1972 |
रामाश्रय प्रसाद सिंह |
कांग्रेस |
1977 |
नागमणि |
शोषित समाज दल |
1980 |
सहदेव प्रसाद यादव |
जनता पार्टी |
1985 |
नागमणि |
निर्दलीय |
1990 |
मुद्रिका सिंह यादव |
जनता दल |
1995 |
सहदेव प्रसाद यादव |
जनता दल |
2000 |
शिव बचन यादव |
आरजेडी |
2005 (फरवरी) |
सुचित्रा सिन्हा |
एलजेपी |
2005 (नवंबर) |
सुचित्रा सिन्हा |
जेडीयू |
2010 |
सत्यदेव सिंह |
जेडीयू |
2015 |
सत्यदेव सिंह |
जेडीयू |
2020 |
बागी कुमार वर्मा |
आरजेडी |