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लालगंज विधानसभा: जेल से चलेगा मुन्ना शुक्ला का जादू या BJP फिर जीतेगी?

जेल में बंद मुन्ना शुक्ला ने एक चुनाव जेल में रहते ही जीता है। इस बार मुन्ना की पत्नी फिर से मैदान में हैं और आरजेडी के बैनर तले वोट मांग रही हैं।

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लालगंज विधानसभा, Photo Credit: Khabargaon

बिहार के वैशाली जिले की लालगंज विधानसभा सीट हाजीपुर से सटी हुई है और हाजीपुर लोकसभा क्षेत्र में ही आती है। पिछले दो ढाई दशक से यह विधानसभा एक बाहुबली और अब सजा पा चुके विजय कुमार शुक्ला उर्फ मुन्ना शुक्ला की वजह से भी चर्चा में रही है। जनता दल (यूनाइटेड), लोक जनशक्ति पार्टी और राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) ने मुन्ना शुक्ला को चुनाव लड़वाया और वह कुल तीन बार विधायक बने। फिलहाल मुन्ना शुक्ला को उम्रकैद की सजा हो चुकी है और उसकी पत्नी अनु शुक्ला चुनावी मैदान में हैं और आरजेडी से टिकट पाने की उम्मीद में हैं।

 

गंडक नदी के किनारे बसा यह क्षेत्र अंग्रेजों के जमाने में भी अहम शहरों में था। मौजूदा वक्त में इस क्षेत्र के लोग पारंपरिक फसलों के अलावा तंबाकू, लीची और आम की भी खेती करते हैं। ज्यादातर ग्रामीण आबादी वाली यह विधानसभा हाजीपुर इंडस्ट्रियल एरिया से बहुत दूर नहीं है। वैशाली और सारण जिले की सीमा पर बसा यह क्षेत्र राजापाकर, वैशाली, महुआ और परसा जैसे विधानसभा क्षेत्रों से सटा हुआ है।


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मौजूदा समीकरण

 

मौजूदा विधायक संजय कुमार सिंह अपने क्षेत्र में लगातार सक्रिय हैं। आचार संहिता लगने से ठीक पहले तक वह लोकार्पण और शिलान्यास करते हुए भी नजर आए। अगर यह सीट बीजेपी के ही खाते में रहती है तो वह बीजेपी की ओर से तो प्रबल दावेदार हो सकते हैं। पिछली बार निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़े विजय कुमार शुक्ला उर्फ मुन्ना शुक्ला अब आरजेडी में शामिल हो चुके हैं। वह 2024 के लोकसभा चुनाव में वैशाली सीट पर चुनाव भी लड़े लेकिन लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास) की वीणा देवी से चुनाव हार गए थे। ऐसे में वह आरजेडी के टिकट पर चुनाव में उतर सकते हैं।

 

पूर्व विधायक राज कुमार साह अभी भी एलजेपी (RV) के साथ हैं और वैशाली सीट पर एलजेपी की जीत के चलते वह इस सीट पर अपना दावा ठोक रही है। ऐसे में राजकुमार साह ने भी अपनी उम्मीदें नहीं छोड़ी हैं। पिछली बार कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़कर हारने वाले राकेश कुमार भी क्षेत्र में सक्रिय हैं। उन्हें उम्मीद है कि अगर कांग्रेस इस सीट को अपने खाते में रख पाए तो वह यहां से उम्मीदवार बन सकते हैं। हालांकि, मुन्ना शुक्ला की मौजूदगी में यह मुश्किल है कि आरजेडी यह सीट कांग्रेस को दे दे। यहां यह बताना जरूरी है कि मुन्ना शुक्ला को बृजबिहारी प्रसाद हत्याकांड में सजा हो चुकी है और फिलहाल वह जेल में बंद हैं। ऐसे में उनकी पत्नी अनु शुक्ला क्षेत्र में जनसंपर्क कर रही हैं। वह पहले भी इसी सीट से विधानसभा का चुनाव जीत चुकी हैं।

 

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वैशाली जिला परिषद के अध्यक्ष आशुतोष कुमार दीपू अब जन सुराज के साथ हैं और वह भी विधायकी का चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं। ऐसी भी चर्चाएं हैं कि अगर उन्हें जन सुराज से टिकट नहीं मिला तो वह निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर भी चुनाव लड़ सकते हैं। इससे पहले वह भी लोक जनशक्ति पार्टी में ही रहे हैं।

2020 में क्या हुआ था?


2015 में इस विधानसभा सीट पर लोक जनशक्ति पार्टी का विधायक जीता था। 2020 में गठबंधन नहीं था तो बीजेपी ने संजय कुमार सिंह को चुनाव में उतार दिया। महागठबंधन की ओर से राकेश कुमार चुनाव में उतरे। वहीं, 3 बार के पूर्व विधायक और 2015 के चुनाव में जेडीयू के टिकट पर चुनाव लड़े विजय कुमार शुक्ला निर्दलीय ही मैदान में उतर गए। तब के मौजूदा विधायक रहे राज कुमार साह भी एक बार फिर से एलजेपी के टिकट पर चुनाव में उतर गए। 

 

नतीजे आए तो विजय कुमार शुक्ला का दम एक बार फिर दिखा और उन्हें 27,460 वोट मिले यानी तत्कालीन विधायक राजकुमार साह से भी ज्यादा वोट। कांग्रेस के राकेश कुमार को 44,451 वोट मिले और वह दूसरे नंबर पर रहे। बीजेपी के संजय कुमार सिंह को कुल 70,750 वोट मिले और वह बड़े अंतर से चुनाव जीत गए।

 

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विधायक का परिचय

 

साल 2020 में पहली बार विधानसभा का चुनाव जीते संजय कुमार सिंह ग्रेजुएशन तक पढ़ें हैं। 2020 में उन्होंने अपने चुनावी हलफनामे में बताया था कि उनकी संपत्ति लगभग 2.35 करोड़ रुपये है। उन्होंने जानकारी दी थी कि उनके खिलाफ कुल 1 ही मुकदमा चल रहा था।

 

इसी साल संजय कुमार सिंह उस वक्त चर्चा में आ गए थे जब एक युवक ने उन पर आरोप लगा दिए कि वह सड़क निर्माण में 50 पर्सेंट कमीशन लेते हैं। तमतमाए संजय सिंह अपनी गाड़ी से उतरे और गाली-गलौज करने लगे। उनका यह वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ था।

विधानसभा का इतिहास

 

शुरुआती कुछ साल तक कांग्रेस का गढ़ रही इस सीट पर कांग्रेस ने आखिरी चुनाव साल 1985 में जीता था। इसी सीट से कुल तीन बार मुन्ना शुक्ला और एक बार उनकी पत्नी अनु शुक्ला भी चुनाव जीती हैं। मुन्ना शुक्ला ने एक बार निर्दलीय, एक बार LJP के टिकट पर और एक बार जेडीयू के टिकट पर जीत हासिल की थी। अनु शुक्ला भी साल 2010 में जेडीयू के टिकट पर ही चुनाव जीती थीं।

 

1952-ललितेश्वर प्रसाद शाही-कांग्रेस
चंद्रमणि लाल चौधरी-कांग्रेस
1957-ललितेश्वर प्रसाद शाही-कांग्रेस
वीरचंद पटेल-कांग्रेस
1962-बटेश्वर प्रसाद-निर्दलीय
वीरचंद पटेल-कांग्रेस
1967-दीप नारायण सिंह-कांग्रेस
1969-दीप नारायण सिंह-लोकतांत्रिक कांग्रेस
1972-दीप नारायण सिंह-कांग्रेस
1977-अरुण कुमार सिन्हा-जनता पार्टी
1980-ललितेश्वर प्रसाद शाही-कांग्रेस
1985-भारत प्रसाद सिंह- कांग्रेस
1990-केदार नाथ प्रसाद-जनता दल
1995-योगेंद्र प्रसाद साहू-जनता दल
2000-विजय कुमार शुक्ला-निर्दलीय
2005-विजय कुमार शुक्ला- LJP
2005-विजय कुमार शुक्ला-जेडीयू
2010-अनु शुक्ला-JDU
2015-राजकुमार साह-LJP
2020-संजय कुमार सिंह-BJP

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