बिहार की मनिहारी विधानसभा सीट अनुसूचित जनजाति (ST) उम्मीदवार के लिए आरक्षित है। यह कटिहार लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती है। 2008 के परिसीमन के मुताबिक इसमें मनिहारी, मनसाही और अमदाबाद प्रखंड शामिल हैं। गंगा किनारे बसा यह इलाका झारखंड के साहेबगंज तक जाने वाली फेरी सर्विस के लिए मशहूर है। फरक्का रेल ब्रिज बनने से पहले यहां गंगा नदी पर बना पोर्ट बिहार को फेरी के जरिए उत्तरी बंगाल और असम से जोड़ता था।
माघ पूर्णिमा और छठ के दौरान मनिहारी में बड़ा मेला लगता है। ब्रिटिश अधिकारी फ्रांसिस बुकानन के मुताबिक, 1811 में यहां लगने वाले मेले में 4 लाख से ज्यादा श्रद्धालु जुटे थे। गौरी शंकर मंदिर और हज घर शाही मस्जिद के चलते यह इलाका हिंदू और मुस्लिम दोनों धर्मों के लोगों के लिए अहमियत रखता है।
बाढ़ से मचने वाली तबाही, टूटी सड़कें और बदहाल स्वास्थ सेवाएं यहां के लोगों का अहम मुद्दा रहता है। यहां की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि पर आधारित है, जिसमें धान, मक्का और जूट प्रमुख फसलें हैं। मछली पालन और नदी आधारित व्यापार, लोगों की आमदनी का अहम जरिया है। क्षेत्र में कोई बड़ा उद्योग नहीं है। राजनीति की बात करें तो इस सीट पर अब तक 17 बार विधानसभा चुनाव हो चुका है। इनमें सबसे ज्यादा कांग्रेस ने जीत हासिल की है।
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मौजूदा समीकरण
सीट पर फिलहाल कांग्रेस की स्थिति मजबूत है। 2024 के लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस को मनिहारी विधानसभा क्षेत्र में बढ़त मिली थी। इस बार के विधानसभा चुनाव में सीट पर कांग्रेस को टक्कर देने के लिए NDA गठबंधन को काफी मशक्कत करनी पड़ेगी। हालांकि, पिछले विधानसभा चुनाव में चिराग पासवान की पार्टी ने NDA गठबंधन से अलग होकर चुनाव लड़ा था इसके चलते JDU के वोट कटे थे। इस बार देखना होगा की यह सीट JDU को मिलती है या LJP को।
2020 में क्या हुआ था?
2020 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के मनोहर प्रसाद सिंह ने JDU के शंभु कुमार सुमन को 21,209 वोटों से हराया था। वहीं LJP के अनिल कुमार को भी यहां से 20 हजार के करीब वोट मिले थे। झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) से लेकर ओवैसी की पार्टी AIMIM ने भी इस सीट पर उम्मीदवार उतारे थे। कुल मिलाकर यहां से 10 उम्मीदवार मैदान में थे।
विधायक का परिचय
फिलहाल मनिहारी सीट से कांग्रेस के मनोहर प्रसाद सिंह विधायक हैं। उन्होंने MA तक की पढ़ाई की है। उन पर कोई आपराधिक मामला दर्ज नहीं है। 2020 के हलफनामे के मुताबिक, उनके पास 1 करोड़ से ज्यादा की प्रॉप्रटी है। मनोहर का मनिहारी सीट पर काफी दबदबा है। वह पिछले 3 विधानसभा चुनाव से यह सीट जीतते आ रहे हैं।
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उन्हें इस बार भी सीट जीतने की उम्मीद है। इसके चलते वह लगातार इलाके का दौरा कर रहे हैं। उन्होंने हाल ही में अमदाबाद प्रखंड में एक बैठक के दौरान लोगों से वादा किया कि अगर बिहार में महागठबंधन सरकार बनाता है तो झारखंड की तरह यहां भी माई बहिन मान योजना लागू की जाएगी। महिलाओं को हर माह 2500 रुपये दिए जाएंगे। वह मतदाता पुनरीक्षण के मुद्दे को लेकर भी लोगों के बीच पहुंच रहे हैं।
सीट का इतिहास
इस सीट पर BJP आज तक नहीं जीत सकी है। इस विधानसभा क्षेत्र में मुस्लिम अहम भूमिका में हैं। यादव, ब्राह्मण, कोइरी, पासवान और यादव की संख्या भी अच्छी है। इस सीट को सबसे ज्यादा 7 बार कांग्रेस ने जीता है। JDU भी कांटे की टक्कर देती रही है। इस सीट उन चुनिंदा सीटों में से है जहां शुरुआती समय में समाजवादियों का दबदबा था जबकि उस वक्त बिहार में कांग्रेस काफी मजबूत थी।
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- 1952- परवथी देवी (कांग्रेस)
- 1957- युवराज (प्रजा सोशलिस्ट पार्टी)
- 1962- युवराज (प्रजा सोशलिस्ट पार्टी)
- 1967- युवराज (प्रजा सोशलिस्ट पार्टी)
- 1972- युवराज (संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी)
- 1977- राम सिपाही यादव (जनता पार्टी)
- 1980- राम सिपाही यादव (जनता पार्टी)
- 1985- मुबारक हुसैन (कांग्रेस)
- 1990- विश्वनाथ सिंह (जनता दल)
- 1995- मुबारक हुसैन (कांग्रेस)
- 2000- विश्वनाथ सिंह (JDU)
- 2005- मुबारक हुसैन (कांग्रेस)
- 2005-मुबारक हुसैन (कांग्रेस) उपचुनाव में जीते
- 2006- विश्वनाथ सिंह (JDU)
- 2010- मनोहर प्रसाद सिंह (कांग्रेस)
- 2015- मनोहर प्रसाद सिंह (कांग्रेस)
- 2020- मनोहर प्रसाद सिंह (कांग्रेस)