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RJD में कभी नहीं जाएंगे तेज प्रताप यादव, खाई गीता और कृष्ण की सौगंध

बिहार के चर्चित नेता तेज प्रताप यादव ने अपनी मूल पार्टी में वापस ना जाने की कसम खाई है। उन्होंने इसकी घोषणा सोमवार को की।

Tej Pratap yadav

तेज प्रताप यादव। Photo Credit- PTI

संजय सिंह, पटना। आरजेडी में सबकुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के बड़े पुत्र तेज प्रताप यादव ने यह घोषणा कर दी है कि अब वे किसी भी कीमत पर राष्ट्रीय जनता दल का हिस्सा नहीं बनेंगे। इसके लिए उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण और गीता की कसमें भी खाई हैं। अपने छोटे भाई तेजस्वी यादव पर व्यंग्य कसते हुए उन्होंने कहा कि कौन आरजेडी पर कब्जा करना चाहता है यह उनका मामला है।

 

इधर बहन रोहिणी आचार्या ने स्पष्ट किया है कि परिवार के किसी सदस्य से उनकी प्रतिद्वंदिता नही है। घटिया मंशा रखने वालों की तरफ से फैलाई जा रही तमाम अफवाहें निराधार हैं। मेरी छवि को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की जा रही है। हमारी राजनीतिक महत्वाकांक्षा न कभी थी और ना कभी आगे रहेगी। इधर दस दिनों के अंदर महागठबंधन में सीट शेयरिंग का मामला सुलझ जाएगा।

 

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'दरवाजे सभी दलों के लिए खुले हैं'

बिहार के पूर्व मंत्री तेज प्रताप ने दावा किया कि उनके दरवाजे सभी राजनीतिक दलों के लिए खुले हैं, लेकिन अब वे बैकफुट पर नहीं जाएंगे। जेडीयू, बीजेपी और आरजेडी के लोग भी उनके संपर्क में हैं। उन्होंने कहा कि एआईएमआईएम के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरूल इमान महागठबंधन का हिस्सा बनना चाहते हैं, लेकिन उनकी पार्टी को महागठबंधन में महत्व नहीं मिल रहा है। ऐसी स्थिति में ईमान को हमारे गठबंधन में आना चाहिए। तेज प्रताप यादव ने बहुत सोच समझकर यह राजनीतिक ऑफर दिया है। 

आरजेडी को हो सकता है नुकसान

अगर ऐसा होता है तो आरजेडी को इसका व्यापक नुकसान हो सकता है। 2020 के चुनाव में सीमांचल में एआईएमआईएम के कारण आरजेडी को राजनीतिक नुकसान हो चुका है। सीमांचल में आरजेडी का मजबूत गढ़ था, लेकिन यहां से ओवैसी के पांच विधायक चुनाव में सफल हो गए थे। बाद में पाला बदलकर चार विधायक आरजेडी में शामिल हो गए थे। तेज प्रताप यादव इस बात को अच्छी तरह जानते हैं कि आरजेडी का आधार वोट मुस्लिम और यादव है।

 

इधर पारिवारिक विवाद के बीच पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि तेज प्रताप आरजेडी के सिंबल पर चुनाव नहीं लड़ेंगे। इसके जवाब में तेज प्रताप ने कहा कि इस बार वे महुआ विधानसभा क्षेत्र से अपनी पार्टी जनशक्ति जनता दल के सिंबल पर चुनाव लड़ेंगे। महुआ विधानसभा तेज प्रताप के लिए सुरक्षित क्षेत्र है। 2020 के चुनाव में वे समस्तीपुर के हसनपुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गए थे, लेकिन इस बार के चुनाव में वह इलाका उन्हें रास नहीं आ रहा है। यही कारण है कि तेज प्रताप क्षेत्र बदलकर महुआ से चुनाव लड़ना चाहते हैं।

 

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थमता नजर नहीं आता घरेलू विवाद 

बहन रोहिणी और भाई तेज प्रताप का मानना है कि उनके लिए आत्मसम्मान और माता पिता के प्रति सम्मान व समर्पण, परिवार की प्रतिष्ठा सर्वोपरि है। राजनीति के जानकारों का कहना है कि जब तक वहां गठबंधन में सीट शेयरिंग का मामला फाइनल नहीं हो जाता है तब तक लालू प्रसाद यादव का घरेलू विवाद थमता नजर नहीं आता है।

कब फाइलन होगा शेयरिंग का मामला?

वहीं, इंडिया गठबंधन में दशहरा तक सीट शेयरिंग का मामला फाइनल होने की बात कही जा रही है। गठबंधन में शामिल सहयोगी दलों के लिए आरजेडी और कांग्रेस ने दस सीटें कम करने की तैयारी कर ली है। सहयोगी दलों से तीन चार बार औपचारिक बातें भी हो चुकी हैं। सीटों की संख्या को लेकर सभी दलों में सहमति बन गई है। वीआईपी के नेता मुकेश सहनी को मनाने का फॉर्मूला भी तैयार कर लिया गया है। उनकी पार्टी को 14 से 18 सीटें दी जाएंगी। इसके अलावा उन्हें डिप्टी सीएम पद का ऑफर भी दिया जा सकता है।

 

राजनीतिक पंडितों का मानना है कि सीट शेयरिंग के मामले का निदान होते ही लालू परिवार में उपजा राजनीतिक विवाद समाप्त हो जाएगा। इस विवाद का मुख्य कारण टिकटों का लेनदेन है।

 

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