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कॉन्ट्रैंट वालों को पक्की नौकरी और जीविका दीदी को 30 हजार, तेजस्वी के बड़े एलान

 RJD नेता तेजस्वी यादव ने बिहार के मतदाताओं को ध्यान में रखते हुए एलान किया है कि राज्य के सभी संविदा कर्मचारियों को स्थायी किए जाएगा और जीविका दीदी का मानदेय 30 हजार रुपये किया जाएगा।

Tejashwi Yadav

तेजस्वी यादव, Photo Credit: PTI

बिहार में विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन प्रक्रिया खत्म होने के बाद राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेता तेजस्वी यादव ने दो बड़े एलान किए हैं। बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी का कहना है कि अगर महागठबंधन की सरकार बनती है तो संविदा पर काम कर रहे सभी लोगों की नौकरी पक्की की जाएगी। उन्होंने बिहार की जीविका दीदियों की सैलरी 30 हजार रुपये महीना करने और उनके कर्ज के सूद को माफ करने का एलान किया है। रोचक बात है कि बिहार की मौजूदा नीतीश कुमार की सरकार ने जीविका दीदियों का मानदेय दोगुना करते हुए 22000 कर दिया था। तेजस्वी ने अपने इस वादे को 'ऐतिहासिक घोषणा' करार दिया है।

 

तेजस्वी यादव ने आरोप लगाए कि जीविका दीदियों का बहुत शोषण किया गया है और उनके साथ अन्याय हुआ है। उन्होंने यह भी कहा कि जब वह बिहार घूमे तो जीविका दीदियों के समूहों ने उनके सामने मांग रखी कि उनके लिए कुछ किया। तेजस्वी ने यह भी कहा है कि उन्होंने अध्ययन करके यह फैसला लिया है कि सभी जीविका दीदियों को स्थायी किया जाएगा। तेजस्वी ने सत्ता पक्ष पर आरोप लगाए कि उन्होंने जो भी वादे किए, उसी की नकल कर ली जा रही है। 

 

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इसके बारे में जब उनसे पूछा गया कि वह इसे संभव कैसे बनाएंगे तो तेजस्वी ने कहा, 'उसे आप छोड़िए कि कहां से लाएंगे, कहां से नहीं लाएंगे। हमने पहले भी करके दिखाया है। यही नियोजित शिक्षक जो थे, 2011 से मांग कर रहे थे कि उन्हें समान काम के लिए समान वेतन मिले। हमारी 17 महीने की सरकार आई तो हमने उन सभी 4.5 लाख नियोजित शिक्षकों को राजकीय कर्मी का दर्जा दिया। हमें प्रमाण देने की जरूरत नहीं है। बिना अध्ययन के, बिना विशेषज्ञों की राय के हम कोई घोषणा नहीं करते हैं।'

 

 

 

जीविका दीदियों के लिए तेजस्वी का एलान

 

उन्होंने आगे कहा, 'आज हम कह रहे हैं कि जितनी जीविका दीदी हैं, उनको स्थायी किया जाएगा और उनके 30 हजार रुपये प्रति महीने दिए जाएंगे। साथ ही, जीविका दीदी ने जो भी लोन लिया है, उसके सूद (ब्याज) को माफ किया जाएगा। 2 वर्ष तक उन्हें ब्याज मुक्त लोन दिया जाएगा। जीविका समूह की दीदियों को अन्य सरकारी कार्यों के निष्पादन के लिए हर महीने 2 हजार रुपये प्रति महीने का भत्ता दिया जाएगा। जीविका काडर का 5 लाख रुपये तक का बीमा सरकार करवाएगी। CLF, VO और समूह के अध्यक्ष और कोषाध्यक्ष को भी मानदेय दिया जाएगा।'

 

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दूसरा वादा उन्होंने किया, 'जितने भी संविदा कर्मी हैं, उनके साथ जो शोषण होता है, जो नुकसान हो रहा है। सारा काम उनके ही जरिए करवाया जाता है, सरकार आउटसोर्स कर देती है। कभी भी बिना कारण बताए उनकी सेवा समाप्त कर दी जाती है। वेतन से 18 पर्सेंट GST काटा जाता है। महिलाकर्मियों को छुट्टी नहीं मिलती है। पूरा तंत्र इन पर टिका है लेकिन इनके पास जॉब सिक्योरिटी नहीं है। हमारी घोषणा यह है कि प्रदेश में कार्यरत सभी संविदा कर्मियों को स्थायी किया जाएगा। आउटसोर्सिंग के जरिए काम कर रहे लोगों को भी स्थायी किया जाएगा।'

कमीशनखोरी खत्म करने का वादा

 

तेजस्वी ने आगे कहा, 'भ्रष्ट अधिकारी केवल कमीशनखोरी की वजह से ऐसा करते हैं। पद बनाए जा सकते हैं लेकिन सरकार नहीं करती है। जितना पैसा प्राइवेट कंपनियों को जाता है, उसका आधा भी कर्मचारियों को नहीं मिलता है। हम कमीशनखोरी मुक्त बिहार बनाएंगे। संविदा कर्मियों को दिए जाने वाले पैसे पर 18 पर्सेंट GST काटी जाती है, इससे बढ़िया तो उन्हें परमानेंट ही कर दें। यह बिल्कुल किया जा सकता है। यह कोई मामूली निर्णय नहीं है। लगभग डेढ़-दो लाख जीविका दीदी हैं, उन सबको हम स्थायी करेंगे और लोन का ब्याज माफ करेंगे।'

 

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इस मौके पर तेजस्वी यादव ने अपने ट्वीट में लिखा है, 'जीविका दीदियों और संविदाकर्मियों के लिए ऐतिहासिक घोषणा! जीविका दीदियों CMs (कम्युनिटी मोबिलाइजर) को स्थायी करके उन्हें सरकारी कर्मचारी का दर्जा दिया जाएगा। जीविका दीदियों का वेतन 30000 रुपये प्रतिमाह किया जाएगा। प्रदेश में कार्यरत सभी संविदाकर्मियों को स्थायी किया जाएगा। विभिन्न एजेंसियों के माध्यम से शारीरिक, मानसिक और आर्थिक शोषण झेल रहे संविदाकर्मियों को अब एक साथ पर्मानेंट किया जाएगा।'

जीविका दीदी पर इतना जोर क्यों?

 

बताते चलें कि बिहार में महिला मतदाता काफी प्रभावी हैं। यही वजह है कि इस चुनाव में महिला केंद्रित कई वादे सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों की ओर से किए गए हैं। आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक, इसके तहत कुल 1107481 स्वयं सहायता समूह बनाए गए हैं। 986946 लोन खाते हैं और 1,57,899 काडर इससे जुड़े हैं।

 

2006 में शुरू की गई इस योजना का लक्ष्य है कि महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाया जाए। इस योजना के तहत काम करने वाली महिलाओं को जीविका दीदी या कम्युनिटी मोबलाइजर कहा जाता है। यही जीविका दीदी महिलाओं की मदद करती हैं कि वे स्वयं सहायता समूह बनाकर रोजगार शुरू करें। इन समूहों को सरकार की ओर से भी लोन दिया जाता है। जीविका दीदी को कई अन्य कामों में भी लगाया जाता है।

नीतीश ने भी लगाया जोर

 

इसी साल सितंबर के महीने में बिहार की मौजूदा नीतीश सरकार ने जीविका कर्मियों के मानदेय को बढ़ाकर दोगुना कर दिया था। कुल 1.4 लाख जीविका कर्मयिों को इसका लाभ दिया गया। साथ ही, यह भी कहा गया कि 3 लाख से ज्यादा के लोन पर अब 10 पर्सेंट के बजाय 7 पर्सेंट ब्याज ही चुकाना होगा।

 

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वोटबैंक पर नजर?

 

चाहे नीतीश कुमार हों या फिर तेजस्वी यादव, चुनावी माहौल में ये एलान स्पष्ट तौर पर राजनीतिक फायदे के लिए किए जा रहे हैं। राज्य में लगभग डेढ़ लाख संविदा कर्मचारी हैं तो जाहिर है कि एक बड़े वर्ग को टारगेट करने की कोशिश की जा रही है। इसी तरह स्वयं सहायता समूहों से लगभग एक करोड़ महिलाएं जुड़ी हैं और लगभग डेढ़ लाख जीविका दीदी हैं जो मानदेय पाती हैं। ऐसे में इतने मतदाता किसी भी पार्टी या गठबंधन के लिए निर्णायक हो सकते हैं।

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