डायबिटीज एक लाइफस्टाइल डिजीज है। देश में डायबिटीज के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही हैं। टाइप 2 डायबिटीज आजीवन रहने वाली बीमारी है। इस बीमारी में पैंक्रियाज पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन नहीं बना पाता है। ये हार्मोन हमारे शरीर में ब्लड शुगर को मेंटेंन करने का काम करता है। ऐसे में इस बीमारी से बचने की ज्यादा से ज्यादा कोशिश करनी चाहिए। ICMR ने अपनी स्टडी में बताया था कि भारत में 15.8 प्रतिशत लोग प्री डायबिटीक हैं। अगर लोग अपने लाइस्टाइल में छोटे-छोटे बदलाव करने लेंगे तो डायबिटीज जैसी गंभीर बीमारी से बच सकते हैं।
भारत डायबिटीज की राजधानी है जहां टाइप 2 डायबिटीज से पीड़ित दूसरी सबसे बड़ी आबाद रहती है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (NIH) के अनुसार, 77 मिलियन से अधिक भारतीयों को टाइप 2 डायबिटीज हैं। अगर इस बीमारी को समय रहते नियंत्रित नहीं किया गया तो 2045 तक ये संख्या बढ़कर 134 मिलियन हो सकती हैं।
इन बदलावों से आप टाइप 2 डायबिटीज के खतरे को कम कर सकते हैं।
वजन घटाना- कई स्टडी में दावा किया गया है कि अगर लोग अपने वजन का 7 प्रतिशत कम करते हैं तो उन्हें डायबिटीज होने का खतरा 60 प्रतिशत तक कम हो जाता है। इसीलिए वजन को कंट्रोल में रखना जरूरी है। अगर आप मोटे हैं तो अपने शरीर के महत्वपूर्ण अंगों की जांच कराएं और अपने वजन को घटाने की कोशिश करें।
हेल्दी चीजों की तरफ रुख करें- टाइप 2 डायबिटीज का मुख्य कारण मोटापा है। ऐसे में आपको ज्यादा कार्बोहाइड्रेट, प्रोसेस्ड फूड, पैकेज्ड फ्रूट जूस और फ्रुक्टोज वाली चीजों का सेवन करने से बचना चाहिए। ब्लड शुगर को मेंटेंन रखने के लिए विटामिन्स, मिनरल्स से भरपूर चीजों का सेवन करें।
नियमित रूप से हेल्थ चेकअप कराएं- समय-समय पर हेल्थ चेकअप करवाते रहना चाहिए। इससे आपको किसी भी तरह की बीमारी के बारे में पहले ही पता चल जाएगा। डॉक्टर्स की मदद से आप प्री- डायबिटीक कंडीशन को रिवर्स कर सकते हैं।
मैनेज स्ट्रेस- टाइप 2 डायबिटीज का मुख्य कारण स्ट्रेस है। स्ट्रेस की वजह से पैंक्रियाज प्रर्याप्त मात्रा में इंसुलिन नहीं बना पाता है जिसकी वजह से ब्लड शुगर लेवल बढ़ जाता है। आप आप स्ट्रेस नहीं लेंगे तो ग्लाइसेमिक भी कंट्रोल में रहता है।
धूम्रपान और शराब से दूर रहे- अगर आप डायबिटीज जैसी बीमारी से बचना चाहता है तो शराब और स्मोकिंग बिल्कुल ना करें।
डिस्क्लेमर: यह लेख सामान्य जानकारी पर आधारित है। किसी भी तरह की चिकित्सकीय जानकारी या इलाज के लिए डॉक्टर से संपर्क करें।