अमेरिका के बाद अब मेक्सिको ने भी भारत पर भारी टैरिफ लगाने की घोषणा की है। इस नई नीति के तहत मेक्सिको की सीनेट ने एक नए टैरिफ सिस्टम को मंजूरी दी है, जिसके तहत 1400 से अधिक उत्पादों पर ड्यूटी बढ़ाई जाएगी। यह निर्णय लंबे समय से चले आ रहे फ्री-ट्रेड के नजरिए से बिल्कुल अलग माना जा रहा है। जिन देशों पर यह असर डालेगा, उनमें चीन, भारत, साउथ कोरिया, थाईलैंड और इंडोनेशिया शामिल हैं। फिलहाल भारत के वाणिज्य मंत्रालय ने इस पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है।
मेक्सिको की ऊपरी सदन ने बिल को 76 वोटों के साथ पास कर दिया। इस बिल के खिलाफ केवल 5 वोट पड़े और 35 सांसदों ने वोट नहीं दिए। निचले सदन ने पहले ही इस कदम को मंजूरी दे दी थी। चीन के कड़े ऐतराज और मेक्सिको के स्थानीय संगठनों के विरोध के बावजूद इस बिल को पास कर दिया गया।
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भारत पर असर
लैटिन अमेरिका में भारत ने कई सेक्टर में एक्सपोर्ट बढ़ाने की कोशिश की है। रिपोर्ट के मुताबिक, सामानों पर ज्यादा ड्यूटी से प्रोडक्शन मूल्य के साथ-साथ महंगाई बढ़ेगी। ऑटो पार्ट्स, टेक्सटाइल, कपड़े, प्लास्टिक, स्टील और अन्य 1400 से अधिक उत्पादों पर 5% से 50% तक टैरिफ लगेगा।
क्या हो सकता है नुकसान?
- भारत-मेक्सिको व्यापार जो 2024 में 11.7 अरब डॉलर तक पहुंचा था। इस फैसले से इस पर सीधा असर पड़ेगा क्योंकि दोनों के बीच कोई विशेष ट्रेड समझौता नहीं है।
- भारतीय निर्यातक महंगे उत्पादों के कारण मेक्सिको बाजार खो सकते हैं, जिससे राजस्व में कमी आएगी।
- चीन, दक्षिण कोरिया, थाईलैंड और इंडोनेशिया जैसे देश भी प्रभावित होंगे जो वैश्विक व्यापार पर दबाव बढ़ाएगा।
अमेरिका से कनेक्शन
कुछ लोगों का कहना है कि मेक्सिको का अचानक से यह बदला रुख अगले साल होने वाले यूनाइटेड स्टेट्स-मेक्सिको-कनाडा एग्रीमेंट (USMCA) रिव्यू से पहले अमेरिका के दबाव से जुड़ा है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पानी की कमी के विवाद पर मेक्सिको को 5% अतिरिक्त टैरिफ लगाने की धमकी दी है, जो मेक्सिको की नीतियों को प्रभावित कर रहा है।
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ट्रंप ने आरोप लगाया कि मेक्सिको 1944 की संधि के तहत टेक्सास के किसानों के लिए तय मात्रा में पानी (लगभग 800,000 एकड़-फुट) नहीं दे रहा, जिससे अमेरिकी खेती को नुकसान हो रहा है। उन्होंने 31 दिसंबर तक 200,000 एकड़-फुट पानी देने की मांग की अन्यथा टैरिफ लगाने के दस्तावेज तैयार हैं।
अमेरिका का दबाव
यह धमकी ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में मेक्सिको के साथ उतार-चढ़ाव वाले संबंधों का हिस्सा है, जहां अमेरिका अपनी संधि जैसे कोलोराडो नदी से पानी को पूरा कर रहा लेकिन मेक्सिको पर उल्लंघन का ठीकरा फोड़ रहा। इससे मेक्सिको की अर्थव्यवस्था पर संभावित प्रभाव पड़ सकता है।
मेक्सिको में मिली-जुली प्रतिक्रियाएं
विपक्षी PAN के सीनेटर मारियो वाजक्वेज ने कहा कि हालांकि टैरिफ कुछ सेक्टर्स को मदद कर सकते हैं जो सस्ते चीनी इंपोर्ट से परेशान हैं, 'वे कंज्यूमर्स पर टैक्स की तरह भी काम करते हैं' और उन्होंने सवाल किया कि सरकार एक्स्ट्रा रेवेन्यू का इस्तेमाल कैसे करना चाहती है। रूलिंग मोरेना पार्टी के इमैनुएल रेयेस ने बिल का बचाव करते हुए कहा, 'यह कदम ग्लोबल सप्लाई चेन में मैक्सिकन प्रोडक्ट्स को मजबूत करेगा और प्रायोरिटी सेक्टर्स में नौकरियों की रक्षा करेगा।'
लोकल ऑटो ग्रुप्स ने खास तौर पर इस कदम का सपोर्ट किया और चेतावनी दी कि चीन की तेजी से बढ़त मेक्सिको के घरेलू मैन्युफैक्चरिंग बेस के लिए खतरा बन सकती है। मौजूदा वक्त में मेक्सिको के ऑटो मार्केट में चीन की हिस्सेदारी 20 पर्सेंट है, जो छह साल पहले लगभग कुछ भी नहीं था। नए नियमों के तहत, इंपोर्टेड चीनी कारों पर सबसे ज्यादा 50 परसेंट ड्यूटी लगेगी।
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यह कानून मेक्सिको की इकॉनमी मिनिस्ट्री को नॉन-FTA देशों पर अपनी मर्ज़ी से टैरिफ बदलने का पूरा अधिकार भी देता है जिससे USMCA रिव्यू से पहले तेजी से बदलाव किए जा सकेंगे। इसका मतलब हो सकता है कि भारतीय एक्सपोर्टर्स के लिए ड्यूटी स्ट्रक्चर में और उतार-चढ़ाव हो। US और कनाडा दोनों के चीनी सप्लाई-चेन रूटिंग पर कड़ी जांच के साथ, मेक्सिको का यह कदम नॉर्थ अमेरिका में प्रोटेक्शनिज़्म (संरक्षणवाद) की तरफ एक बड़े बदलाव को दिखाता है।