अमेरिकी टैरिफ से त्रस्त चीन, भारत से लगा रहा मदद की गुहार
अमेरिका के साथ रिश्ते खराब होने के बाद चीन अब भारत के साथ रिश्ते सुधारना चाह रहा है। चीन के राजदूत शू फेइहोंग ने भारत के व्यापार घाटे को कम करने में मदद करने की बात की है। पढ़ें रिपोर्ट।

शू फेइहोंग, Photo Credit: PTI
भारत के पड़ोसी देश चीन के सामान पर अमेरिका ने टैरिफ लगाया तो अब चीन भारत की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ा रहा है। विश्व व्यापार में पैदा हुए तनाव के चलते भारत और चीन के रिश्ते एक नया मोड़ ले सकते हैं। चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा लगातार बढ़ रहा है। चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा 99.2 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया है। चीन अमेरिका के साथ शुरू हुए टैरिफ युद्ध के बाद अब दूसरे देशों के साथ व्यापार बढ़ाने की कोशिश कर रहा है। इसी क्रम में चीन ने भारत से कहा है कि चीन भारत के व्यापार घाटे को कम करने में मदद करेगा साथ ही भारत के सामान को चीनी अर्थव्यवस्था में पैर जमाने में मदद करेगा और इसके बदले चीन चाहता है कि भारत में चीनी कंपनियों को उचित माहौल मिले।
भारत में चीन के राजदूत शू फेइहोंग ने भारत की मीडिया से पहली बार बात की और भारत चीन के व्यापार रिश्तों में बदलाव के संकेत दिए। शू फेइहोंग ने कहा कि भारत और चीन के बीच व्यापार से दोनों देशों को लाभ होना चाहिए और दोनों के लिए 'विन-विन' स्थिति होनी चाहिए। चीनी राजदूत शू फेइहोंग ने अधिक प्रीमियम भारतीय वस्तुओं का स्वागत करने और भारतीय व्यवसायों को चीन के विशाल उपभोक्ता बाजार में प्रवेश करने में मदद करने के बीजिंग के इरादे को साझा किया।
चीनी राजदूत शू फेइहोंग ने कहा,'चीन प्रीमियम भारतीय वस्तुओं का स्वागत करने और भारतीय व्यवसायों को चीन के बाजार में प्रवेश करने में मदद करने के लिए तैयार है।' चीनी राजदूत ने बताया कि 2024 में भारत से चीन में मिर्च, लौह अयस्क और कॉटन जैसी कई वस्तुओं के निर्यात में तेजी से बढ़ोतरी हुई है।
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भारत की मदद करेगा चीन
चीन भारत की कंपनियों का स्वागत करने के लिए तैयार है। राजदूत शू फेइहोंग ने कहा कि चीन एक बड़ा बाजार है और यहां एक बड़ा मिडिल क्लास वर्ग है। भारत की कंपनियों को इस मिडिल क्लास के लिए प्रिमियम वस्तुओं का निर्यात करना चाहिए। चीनी राजदूत ने भारत को वैश्विक मंचों का लाभ उठाने को कहा। चीन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस बयान का भी समर्थन किया जिसमें उन्होंने कहा था कि प्रतिस्पर्धा को संघर्ष में नहीं बदलना चाहिए। उन्होंने कहा कि संवाद के जरिए ही भारत चीन के रिश्तों को मजबूती दी जा सकती है। शू फेइहोंग ने इस बात पर जोर दिया कि चीन ने कभी भी जानबूझकर ट्रेड सरप्लस को बढ़ाने की कोशिश नहीं की है, उनका तर्क है कि इस तरह के असंतुलन बाजार की ताकतों के कारण होते हैं। उन्होंने कहा, 'चीन के विशाल आकार के बाजार का मूल्यांकन करने से भारतीय कंपनियों के लिए अधिक व्यावसायिक अवसर खुलेंगे।'
भारत से की अपील
शू फेइहोंग जब ने कहा कि चीन के विशाल बाजार में भारत के लिए बहुत अवसर हैं। चीन भारतीय कंपनियों के स्वागत के लिए तैयार है। हालांकि,भारत के साथ सहयोग बढ़ाने के संकेत देते हुए शू ने भारत से बीजिंग की चिंताओं को दूर करने के लिए भी कहा। उन्होंने कहा कि भारत को भी चीन की कंपनियों को भेदभाव रहित वातावरण देना चाहिए। । शू फेइहोंग ने कहा कि भारतीय मीडिया में चीनी कंपनियों और उत्पादों के खिलाफ माहौल बनाया गया है। उन्होंने आग्रह करते हुए कहा, 'भारत चीनी कंपनियों को एक निष्पक्ष, पारदर्शी और भेदभाव रहित वातावरण दे जिससे चीन की कंपनियों को भी भारत में व्यापार करने में आसानी होगी।'
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सीमा विवाद पर क्या बोले?
भारत और चीन के बीच सीमा विवाद लगातार जारी है। शू फेइहोंग ने दोनों देशों के बीच के सीमा विवाद पर बात करते हुए कहा, 'सीमा विवाद को शांतिपूर्ण तरीके से हल करने की कोशिशें जारी हैं। भारत चीन को आपसी सुरक्षा के सिद्धांतों का पालन करते हुए सीमा के नियमों को ओर अधिक सुरक्षित करना चाहिए। 2020 के गतिरोध के बाद विश्वास को फिर से स्थापित करने की आवश्यकता के बारे में बोलते हुए, शू ने कहा कि दोनों पक्षों को सीमा मुद्दे को पूरे रिश्ते को परिभाषित करने की अनुमति नहीं देनी चाहिए। शू ने कहा कि कोर कमांडर वार्ता और समन्वय के लिए मौशूदा व्यवस्थाओं ने स्थिति को स्थिर करने में मदद की है, तथा उन्होंने विश्वास को और अधिक मजबूत करने के लिए उपाय करने पर जोर देने के लिए कहा।
भारत के लिए अवसर
अमेरिका के साथ व्यापारिक रिश्ते खराब होने के बाद चीन अब भारत के साथ व्यापार बढ़ाना चाहता है। चीन ने इसके लिए भारतीय कंपनियों की मदद करने का आश्वासन दिया है। चीन की यह पहल भारत के लिए एक अच्छा अवसर है। भारत कई सालों से चीन के साथ व्यापार असंतुलन को को कम करने की कोशिश कर रहा है। भारत को इसके लिए चीन में ओर अधिक निर्यात करने की आवश्यकता है। भारत चीन के साथ व्यापार बढ़ा कर चीन के साथ व्यापार असंतुलन को कम कर सकता है। भारत चीन के साथ व्यापार के अलावा लंबे समय से जारी सीमा विवाद को भी सुलझा सकता है।
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