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दान की 400 किताबें, पादरियों का स्कूल, हार्वर्ड के बनने की कहानी

क्या आपको पता है कि जॉन हार्वर्ड नाम के एक पादरी ने मरने से पहले हार्वर्ड यूनिवर्सिटी को अपनी आधी दौलत दान कर दी थीं। क्या है हार्वर्ड यूनिवर्सिटी का इतिहास, यहां पढ़ें।

history of Harvard university

हार्वर्ड यूनिवर्सिटी, Photo Credit: Harvard university

हार्वर्ड यूनिवर्सिटी इन दिनों सुर्खियों में बना हुआ है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हार्वर्ड को दी जाने वाली 2.3 अरब डॉलर यानी 17 हजार करोड़ की फंडिंग रोक दी है। अब यूनिवर्सिटी को दी गई छूट खत्म करने पर भी विचार किया जा रहा है। एक ग्लोबल यूनिवर्सिटी जहां पूरी दुनिया से छात्र पढ़ने और रिसर्च करने के लिए आते है, पहले केवल धार्मिक शिक्षा पर फोकस रखता था। जानकर हैरानी होगी लेकिन शुरुआत में इस यूनिवर्सिटी का मकसद केवल पादरी तैयार करना होता था, क्योंकि उस समय अमेरिका में चर्च का बड़ा असर था। ऐसे में आइये जानें की पादरी तैयार करने वाली यूनिवर्सिटी आज दुनिया का सबसे बड़ा एजुकेशन हब कैसे बना?

 

780 पाउंड और 400 किताबें किए दान

हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की कहानी 1636 से शुरू होती है, जब यह अमेरिका का पहला कॉलेज बना। उस समय अमेरिका के मैसाचुसेट्स के लोग चाहते थे कि उनके पादरी पढ़े-लिखे हों। इसलिए उन्होंने न्यूटाउन अब जो क्रैम्बिज कहलाता है, में एक छोटा सा कॉलेज शुरू किया। इसका मकसद था चर्च के लिए अच्छे पादरी तैयार करना। 1638 में जॉन हार्वर्ड नाम के एक पादरी ने मरने से पहले अपनी आधी दौलत करीब 780 पाउंड और 400 किताबें इस कॉलेज को दान कर दीं। उनके सम्मान में 1639 में कॉलेज का नाम 'हार्वर्ड कॉलेज' रखा गया।

 

जॉन हार्वर्ड  के दान ने अमेरिका की सबसे पुरानी और मशहूर यूनिवर्सिटी की नींव रखी गई। 26 नवंबर, 1607 में जॉन का जन्म हुआ था। वह एक मीडिल क्लास फैमिली से थे जिनके पिता रॉबर्ट हार्वर्ड एक कसाई और टैवर्न मालिक थे। उनकी मां, कैथरीन रोजर्स, एक पढ़ी-लिखी महिला थीं। 1638 में महज 31 साल की उम्र में जॉन हार्वर्ड की टीबी से मौत हो गई। उनके कोई बच्चे नहीं थे इसलिए उन्होंने अपनी संपत्ति का बड़ा हिस्सा दान में दे दिया। 

 

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शुरुआती दिनों में सिर्फ होती थी धार्मिक पढ़ाई

पहले हार्वर्ड में केवल बाइबिल, लैटिन और ग्रीक जैसी चीजें पढ़ाई जाती थीं। यह एक छोटा स्कूल जैसा था जो चर्च के लिए पादरी या लोग तैयार करता था। धीरे-धीरे 1700 के आसपास, यहां साइंस और अन्य जैसे नए विषय भी पढ़ाए जाने लगे। अब यह केवल धार्मिक स्कूल नहीं रह गया था। 

 

हार्वर्ड के बड़ा स्कूल बनने की शुरुआत

हार्वर्ड ने 1782 में मेडिकल स्कूल और 1817 में ल़़ॉ स्कूल शुरू किए। अब यह केवल पादरियों के लिए नहीं बल्कि डॉक्टरों, वकीलों और दूसरे पेशेवरों के लिए पढ़ाई का केंद्र बनने लगा। 1869-1909 के बीच हार्वर्ड के एक बड़े लीडर चार्ल्स एलियट ने इसे और आधुनिका बनाया। उन्होंने स्टू़डेंट्स को अपनी पसंद के सब्जेक्ट चुनने की आजादी दी और रिसर्च पर जोर दिया। इसकी वजह से हार्वर्ड को दुनिया भर में नाम मिला। 

 

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1900 से अब तक, दुनिया का नंबर 1 हार्वर्ड 

20वीं सदी में हार्वर्ड ने साइंस, बिजनेस और दूसरी फील्ड में बहुत काम किया। यहां से कई नोबेल प्राइज विनर और बड़े लोग पढ़कर निकले। पहले हार्वर्ड में केवल अमीर लोग या पुरुष पढ़ते थे लेकिन अब हार्वर्ड में लड़कियां, अलग-अलग देशों के लोग और हर तरह के स्टूडेंट्स पढ़ते हैं। बता दें कि हार्वर्ड के पास बहुत पैसा है, जिससे वे अच्छी इमारतें, रिसर्च और स्कॉलरशिप दे पाता है। 

 

आज का हार्वर्ड कैसा?

अब हार्वर्ड में 10 से अधिक स्कूल हैं जैसे, हार्वर्ड कॉलेज, बिजनेस स्कूल और लॉ स्कूल। यहां दुनिया भर के स्टूडेंट्स पढ़ते है। इसके पुराने स्टूडेंट्स में 8 अमेरिकी राष्ट्र्पति और 188 नोबेल प्राइज विनर शामिल हैं। यह दुनिया का सबसे मशहूर और सम्मानित यूनिवर्सिटी है, जो नई चीजें खोजने और दुनिया की भलाई के लिए काम करता है। 

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