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कोका कोला को खास बनाने वाली चीज की कैसे हो रही तस्करी?

सूडान दो साल से गृहयुद्ध की आग में जल रहा है। सूडान में एक खास तरीके की गम का उत्पादन होता है, जिसका इस्तेमाल कोका कोला, लिपस्टिक और कैंडी बनाने में किया जाता है।

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प्रतीकात्मक तस्वीर। (AI Generated Image)

अफ्रीकी मुल्क सूडान में गृहयुद्ध से हालात बिगड़ते जा रहे हैं। गृहयुद्ध ने अब कई कंपनियों की चिंता बढ़ा दी है। वह इसलिए क्योंकि कोका कोला से लेकर कैंडी तक में इस्तेमाल होने वाली खास चीज 'गम अरेबिक' की धड़ल्ले से तस्करी की जा रही है। सूडान में जिन इलाकों में गम अरेबिक की खेती होती है, वहां विद्रोहियों का कब्जा हो गया है। 


सूडान में दुनिया का 80 फीसदी गम अरेबिक पैदा होता है। इसी से कई कंपनियां लिपस्टिक बनाती हैं, कैंडी बनाती हैं और कोका कोला भी बनता है। सूडान में पाए जाने वाले खास अकेसिया ट्री से गम अरेबिक निकाला जाता है। यह एक तरह की गोंद होती है, जिसका इस्तेमाल अपने उत्पाद को गाढ़ा करने में किया जाता है।

विद्रोहियों ने कर लिया कब्जा

सूडान में लगभग दो साल से गृहयुद्ध छिड़ा हुआ है। विद्रोही गुट रैपिड सपोर्ट फोर्स (RSF) और यहां की सेना के बीच लड़ाई जारी है। पिछले साल पश्चिमी सूडान के कोर्डोफन और दारफुर में RSF ने कब्जा कर लिया था। यह वो इलाके हैं जहां गम अरेबिक का उत्पादन होता है। 


गम अरेबिक का उत्पादन करने वाले कारोबारियों का दावा है कि अब RSF बिना सर्टिफिकेशन के ही इसकी तस्करी कर रही है। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने दो कारोबारियों के हवाले से बताया है कि RSF बगैर सर्टिफिकेशन के ही गम अरेबिक को सस्ती कीमत पर धड़ल्ले से बेच रही है। हालांकि, RSF ने इससे इनकार किया है।

 

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कैसे हो रही है गम अरेबिक की तस्करी

न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, RSF का कब्जा होने के बाद गम अरेबिक की अब चाड, सेनेगल, दक्षिणी सूडान और मिस्र जैसे पड़ोसी देशों में तस्करी की जा रही है। इनमें से ज्यादातर देश ऐसे थे, जो पहले गम अरेबिक के छोटे उत्पादक या निर्यातक थे, अचानक से ही कारोबार के अहम खिलाड़ी बन गए हैं। 


गृहयुद्ध शुरू होने से पहले गम अरेबिक को खार्तूम से पोर्ट सूडान ले जाया जाता था और यहां से इसे दुनियाभर में भेजा जाता था। मगर अब कारोबारी सीधे RSF से इसे खरीद रहे हैं और बॉर्डर के जरिए इन्हें अमेरिकी डॉलर के बदले बेच रहे हैं।


रॉयटर्स ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि कब्जाए गए इलाकों से RSF गम अरेबिक सीधे तौर पर कारोबारियों को बेच रही है। कारोबारी इसके लिए कुछ फीस जमा करते हैं। फिर RSF की देखरेख में इसकी तस्करी कर दी जाती है।

 

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सस्ती कीमतों पर बिक रही गम अरेबिक

रॉयटर्स के मुताबिक, अच्छी क्वालिटी की गम की कीमत 5 हजार डॉलर प्रति मीट्रिक टन होती है। हालांकि, अंतर्राष्ट्रीय बाजार में इसकी औसत कीमत 3 हजार डॉलर प्रति मीट्रिक टन तय है। मगर RSF के कब्जे के बाद इस गम को काफी सस्ती कीमतों पर बेचा जा रहा है। 


बताया जा रहा है कि बॉर्डर के रास्ते इन्हें 1,950 डॉलर प्रति मीट्रिक टन की कीमत पर बेचा जा रहा है। जबकि, सेडेक्स सर्टिफिकेशन वाली गम की कीमत 3 हजार डॉलर प्रति मीट्रिक टन है। इससे सप्लाई चेन प्रभावित हो रही है। कई कंपनियां अब सूडान की बजाय दूसरे देशों से गम खरीद रही हैं। 


अरेबिक गम को ऑनलाइन भी बेचा जा रहाहै। सूडान के एक गम कारोबारी ने बताया कि अप्रैल 2023 में RSF ने उनके वेयरहाउस पर कब्जा कर लिया था। एक साल बाद उन्होंने देखा कि उनके गम को ऑनलाइन बेचा जा रहा है। 

 

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क्या हो सकता है इसका खतरा?

अफ्रीका के साहेल इलाके में अकेसिया ट्री होते हैं। इसी पेड़ से इस गोंद को निकाला जाता है। सबसे ज्यादा उत्पादन सूडान में ही होता था लेकिन RSF के कब्जे के बाद गम अरेबिक की सप्लाई चेन बाधित हो रही है। पेप्सी, कोका कोला, लोरियाल और नेसले जैसी कंपनियों को सप्लाई चेन बाधित होने से प्रोडक्शन कम होने का डर सता रहा है।

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