• NEW DELHI 06 Feb 2025, (अपडेटेड 06 Feb 2025, 3:02 PM IST)
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गाजा पर कब्जे करने की मंशा जाहिर की है। उनका कहना है कि अमेरिका इस पर कब्जा कर लेगा और यहां एक सिटी बनाई जाएगी। ऐसे में जानते हैं कि आखिर गाजा का इतिहास क्या है?
गाजा पट्टी। (Photo Credit: Google Maps)
कनाडा और ग्रीनलैंड पर कब्जे की बात कहने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अब गाजा को कंट्रोल में लेने की बात कह दी है। ट्रंप का कहना है कि अमेरिका गाजा पर कब्जा करेगा और वहां रिजॉर्ट सिटी बनाई जाएगी। ट्रंप का कहना है कि यहां ऐसी सिटी बसाई जाएगी, जिससे गाजा के लोगों को नौकरियां और घर मिलेंगे।
ट्रंप के इस बयान पर मध्य पूर्व में विरोध शुरू हो गया है। सऊदी अरब ने इसका विरोध करते हुए कहा कि वो फिलिस्तीनियों के साथ खड़ा है। संयुक्त राष्ट्र ने भी कहा कि गाजा पर कब्जा करना और वहां के लोगों को स्थापित करना अंतर्राष्ट्रीय नियमों के खिलाफ है। इनके अलावा जॉर्डन, तुर्किए और फिलिस्तीन ने भी ट्रंप का विरोध किया है। इनका कहना है कि गाजा से फिलिस्तीनियों को बेदखल करने के फैसले को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
क्या है गाजा पट्टी?
41 किलोमीटर लंबी और 10 किलोमीटर चौड़ा गाजा दो तरफ से इजरायल से घिरा है। जबकि, इसके पश्चिम में समंदर और दक्षिण में मिस्र है। नक्शे पर ये लंबी से पतली पट्टी की तरह दिखाई पड़ती है, इसलिए इसे गाजा पट्टी भी कहा जाता है। गाजा पट्टी को 5 शहरों- उत्तरी गाजा, गाजा सिटी, डेर अल-बलाह, खान यूनिस और रफाह में बांटा गया है।
कभी आजाद नहीं रहा गाजा?
गाजा कभी आजाद नहीं रहा। इस पर हमेशा कभी न कभी किसी न किसी का नियंत्रण रहा। गाजा के लोग कभी यहां खुलकर नहीं जी सके। 1948 से पहले तक यहां ब्रिटेन का शासन रहा। मई 1948 में ब्रिटेन के जाने के बाद जब इजरायल नया देश बना तो फिलिस्तीनी विस्थापित होकर गाजा में रहने लगे। इसके बाद करीब दो दशकों तक गाजा पर मिस्र का कब्जा रहा।
इसके बाद 1967 में चली 6 दिन की जंग में इजरायल ने गाजा पर कब्जा कर लिया। उस समय गाजा की आबादी 4 लाख से भी कम थी। इजरायली सेना का यहां जबरदस्त नियंत्रण रहा। साल 2005 में इजरायल ने गाजा पट्टी पर अपना नियंत्रण छोड़ दिया।
इजरायली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप। (Photo Credit: PTI)
2005 में इजरायल की सेना ने गाजा छोड़ दिया। गाजा को आजाद छोड़ दिया गया। इजरायल के खिलाफ हमास पहले ही बन चुका था। 2006 में हमास ने फिलिस्तीन अथॉरिटी चलाने वाली फतह पार्टी के खिलाफ चुनाव जीता। 2007 में गाजा पर पूरी तरह से हमास का कब्जा हो गया। हमास ने कब्जा करने के बाद पूरे गाजा में सुरंगों का नेटवर्क बना दिया। हमास के लड़ाकों ने इजरायल के खिलाफ जंग छेड़ दी। हमास के लड़ाके इजरायली सेना पर हमला करते और फिर सुरंगों में छिप जाते थे।
हमास के आने के बाद गाजा पट्टी में खूनी संघर्ष और बढ़ गया। हमास के हमलों का जवाब देने के लिए इजरायली सेना ने 2005 के बाद से अब तक कम से कम 7 बड़े हमले किए हैं। हमास की वजह से ही गाजा 7 अक्टूबर 2023 से इजरायली बमबारी झेल रहा है। इजरायली हमलों में 47 हजार से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं।
इजरायल और हमास के बीच सीजफायर हो गया है। हालांकि, अब भी रुक-रुककर बमबारी हो ही जाती है। 15 महीनों की जंग में गाजा पूरी तरह तबाह हो चुका है। स्कूल, अस्पताल, घर और सारी इमारतें मलबे में तब्दील हो गई हैं।
अमेरिकी रिसर्चर जैमन वेन डेन होक और कोरी स्केर का मानना है कि इजरायली बमबारी में गाजा पट्टी की कम से कम 60 फीसदी इमारतें पूरी तरह से तबाह हो गईं हैं। इनकी रिसर्च के मुताबिक, गाजा पट्टी में बने 92 फीसदी घर, 88 फीसदी स्कूल 68 फीसदी खेती की जमीन और 68 फीसदी सड़कें तबाह हो चुकीं हैं। 50 फीसदी से ज्यादा अस्पताल ऐसे हैं जो सिर्फ नाम के अस्पताल रह गए हैं।
15 महीने की इस जंग ने गाजा को सालों पीछे धकेल दिया है। संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि इस युद्ध ने गाजा को 69 साल पीछे धकेल दिया है। संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक, गाजा पट्टी से मलबा हटाने में कम से कम 21 साल लग सकते हैं। इस पर 1.2 अरब डॉलर का खर्च आएगा। बमबारी की वजह से इस मलबे में एस्बेस्टस जैसे खतरनाक तत्व भी हैं, जिससे आने वाले समय में कई बीमारियां भी फैलने का खतरा है।